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Baisakhi 2023: धर्मशाला में धूमधाम से मनाया जाएगा बैसाखी का त्योहार, आज से अखंड पाठ का आयोजन

धर्मशाला में बैसाखी का त्योहार 14 अप्रैल को धूमधाम के साथ मनाया जाएगा. इस दिन लंगर का आयोजन भी किया जाएगा.(Baisakhi 2023)

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Published : Apr 12, 2023, 10:25 AM IST

धर्मशाला: हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी धर्मशाला के गुरुद्वारा साहिब में बैसाखी का त्योहार 14 अप्रैल को धूमधाम के साथ मनाया जाएगा. उन्होंने बताया कि आज से धर्मशाला के गुरुद्वार साहिब में अखंड पाठ का आयोजन किया जा रहा है,जिसका समापन 14 अप्रैल को पाठ के भोग के बाद कीर्तन के साथ किया जाएगा.

लंगर का किया जाएगा आयोजन: धर्मशाला गुरुद्वारा साहिब के ग्रंथी परमजीत सिंह ने बताया कि उसके बाद गुरुद्वारा साहिब में माथा टेकने के लिए आने वाली संगत के लिए लंगर का आयोजन किया जाएगा. बैसाखी पर्व को मनाने के लिए तैयारियां की जा रही हैं और पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा.

1699 में खालसा पंथ की स्थापना: परमजीत सिंह ने बताया कि दसवें बादशाह गुरु गोविंद सिंह जी ने वर्ष 1699 में पंजाब के आनंदपुर साहिब में पंज प्यारों की अगुवाई में खालसा पंथ की स्थापना की थी. उन्होंने कहा कि इसमें गुरु साहिब द्वारा कोई जात -पात नहीं की गई और सभी पंज प्यारों को एक समान रखा.

फसल की कटाई का भी महत्व: इसी के साथ बैसाखी पर्व पर किसानों द्वारा अपनी पकी हुई फसल की भी कटाई की जाती है. इसलिए किसान बैसाखी के पर्व को धूमधाम के साथ मानते हैं. वहीं, बात अगर जिला कांगड़ा की कि जाए तो जिला कांगड़ा के भी कई स्थानों पर किसानों द्वारा अपनी पकी हुई फसल को काट लिया जाता है और किसान भी इस बैसाखी पर्व को धूमधाम के साथ मनाकर एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं.परमजीत सिंह ने बैसाखी पर बड़ी संख्या में पहुंचकर लोगों से प्रसादी ग्रहण करने का आग्रह किया है.

ये भी पढ़ें : Khalistani slogans and flag: तलवंडी साबो में बैसाखी से ठीक पहले माहौल बिगाड़ने की कोशिश, लिखे खालिस्तान समर्थक नारे

धर्मशाला: हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी धर्मशाला के गुरुद्वारा साहिब में बैसाखी का त्योहार 14 अप्रैल को धूमधाम के साथ मनाया जाएगा. उन्होंने बताया कि आज से धर्मशाला के गुरुद्वार साहिब में अखंड पाठ का आयोजन किया जा रहा है,जिसका समापन 14 अप्रैल को पाठ के भोग के बाद कीर्तन के साथ किया जाएगा.

लंगर का किया जाएगा आयोजन: धर्मशाला गुरुद्वारा साहिब के ग्रंथी परमजीत सिंह ने बताया कि उसके बाद गुरुद्वारा साहिब में माथा टेकने के लिए आने वाली संगत के लिए लंगर का आयोजन किया जाएगा. बैसाखी पर्व को मनाने के लिए तैयारियां की जा रही हैं और पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा.

1699 में खालसा पंथ की स्थापना: परमजीत सिंह ने बताया कि दसवें बादशाह गुरु गोविंद सिंह जी ने वर्ष 1699 में पंजाब के आनंदपुर साहिब में पंज प्यारों की अगुवाई में खालसा पंथ की स्थापना की थी. उन्होंने कहा कि इसमें गुरु साहिब द्वारा कोई जात -पात नहीं की गई और सभी पंज प्यारों को एक समान रखा.

फसल की कटाई का भी महत्व: इसी के साथ बैसाखी पर्व पर किसानों द्वारा अपनी पकी हुई फसल की भी कटाई की जाती है. इसलिए किसान बैसाखी के पर्व को धूमधाम के साथ मानते हैं. वहीं, बात अगर जिला कांगड़ा की कि जाए तो जिला कांगड़ा के भी कई स्थानों पर किसानों द्वारा अपनी पकी हुई फसल को काट लिया जाता है और किसान भी इस बैसाखी पर्व को धूमधाम के साथ मनाकर एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं.परमजीत सिंह ने बैसाखी पर बड़ी संख्या में पहुंचकर लोगों से प्रसादी ग्रहण करने का आग्रह किया है.

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