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कांग्रेस के गढ़ों में बंपर वोटिंग, BJP के किलों में कम मतदान से खामोशी, जानिए आंकड़ों का खेल

वर्तमान परिदृश्य और राष्ट्रीय राजनीति की बात करें तो सिर्फ राष्ट्रवाद का मुद्दा चुनावों में हावी रह. उस लिहाज से यह भी कहा जा सकता है कि या तो लोगों ने भाजपा की अपील पर राष्ट्रवाद के मुद्दों पर घर से निकल कर वोट दिया है. या फिर स्थिति बिल्कुल विपरीत है.

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Published : May 20, 2019, 12:29 PM IST

हमीरपुरः लोकसभा चुनाव 2019 में हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के लोगों ने बड़े उत्साह के साथ मतदान किया है. ईवीएम मशीनों में संसदीय क्षेत्र में सियासी समर में कूदे 11 प्रत्याशियों का भविष्य कैद हो गया है. बंपर वोटिंग कर हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं ने बड़े संकेत दिए हैं. एक तरफ कांग्रेस के गढ़ों में बंपर वोटिंग से कांग्रेसी चहके हैं. वहीं, भाजपा के किलों में कम मतदान से भाजपाइयों में खामोशी है. मतदान के आंकड़ों के खेल में कांग्रेसी कुछ हद तक बाजी मार गए हैं.

अधिक वोटिंग को बदलाव का संकेत माना जाता है. वहीं, वर्तमान परिदृश्य और राष्ट्रीय राजनीति की बात करें तो सिर्फ राष्ट्रवाद का जो मुद्दा चुनावों में हावी रह. उस लिहाज से यह भी कहा जा सकता है कि या तो लोगों ने भाजपा की अपील पर राष्ट्रवाद के मुद्दों पर घर से निकल कर वोट दिया है. या फिर स्थिति बिल्कुल विपरीत है.

वहीं, अगर हमीरपुर संसदीय क्षेत्र की बात करें तो यहां पर अपेक्षाकृत अधिक मतदान तो देखने को मिला है, लेकिन ओवरऑल संसदीय क्षेत्र की बात करें तो भाजपा के किले वोटिंग में इस बार पिछड़ गए हैं.

वहीं, कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले विधानसभा क्षेत्र में इस बार वोटिंग में कहीं आगे रहे हैं आइए नजर डालते हैं आंकड़ों के खेल पर. सबसे पहले बात करते हैं कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले विधानसभा क्षेत्रों की. हमीरपुर संसदीय सीट में वोटिंग के मामले में नंबर एक पर रहने वाले ऊना जिले के हरोली विधानसभा क्षेत्र को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. जबरदस्त मोदी लहर के बावजूद भी पिछले लोकसभा चुनावों में विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस को 6,960 मतों की लीड मिली थी.

वहीं, वर्ष 2004 में जब वर्तमान के कांग्रेस प्रत्याशी रामलाल ठाकुर ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था तब उस समय भी 12,762 मतों के लिए यहां से कांग्रेस को मिली थी. वर्ष 2004 के चुनाव में हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के किसी विधानसभा क्षेत्र द्वारा दी गई है सबसे बड़ी लीड थी.

इस बार हरोली विधानसभा क्षेत्र में 76.23 प्रतिशत मतदान देखने को मिला है और जाहिर तौर पर यहां से नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री के होने का कांग्रेस और प्रत्याशी रामलाल ठाकुर को फायदा मिलने के आसार लगाए जा रहे हैं.

वहीं, अगर अब बिलासपुर जिले के श्री नैना देवी विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां से भी जबरदस्त मोदी लहर के बावजूद वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में दूसरी सबसे कम 3,339 मतों की लीड भाजपा प्रत्याशी को हासिल हुई थी.

जब वर्ष 2004 में रामलाल ठाकुर ने कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ा था तब दूसरी सबसे बड़ी लीड कांग्रेस को इसी विधानसभा क्षेत्र से 6,490 मतों की मिली थी. यहां अब 79.81 प्रतिशत मतदान होना कांग्रेस के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है.

पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का गढ़ बन कर उभरे सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र में भी इस बार हमीरपुर जिला में सबसे अधिक मतदान देखने को मिला है. यहां पर भी भाजपा के मुख्यमंत्री चेहरे प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल को हार का सामना करना पड़ा था.

पूर्व मुख्यमंत्री धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर भाजपा के प्रत्याशी हैं, अगर उनके पिछले लोकसभा चुनाव की बात करें तो सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र में जबरदस्त मोदी लहर के बावजूद भी यहां के मतदाताओं ने हमीरपुर संसदीय क्षेत्र की सबसे कम लीड भाजपा को दी थी. यहां भाजपा प्रत्याशी को 3,220 मतों की लीड मिली थी जो कि हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में सबसे कम थी.

ओवरऑल जिलों की बात करें तो कांग्रेस को बिलासपुर और ऊना से राहत के आसार हैं. भाजपा का मजबूत किला माने जाने वाले हमीरपुर, कांगड़ा और मंडी के 3 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान का कम होना मतदाताओं की एक बड़ी खामोशी मानी जा रही है. हमीरपुर जिला के भोरंज विधानसभा क्षेत्र को भाजपा का गढ़ पिछले 3 लोकसभा चुनावों से माना जाता है. यह भाजपा प्रत्याशी अनुराग ठाकुर और पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का गृह क्षेत्र है.

पिछले 3 लोकसभा चुनावों की बात करें तो यहां पर भाजपा की लीड का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. वर्ष 2004 में यहां भाजपा प्रत्याशी को 4, 308, वर्ष 2009 में 8, 900 और वर्ष 2014 में 10, 878 मतों के लीड मिली थी.

इस बार के लोकसभा चुनाव में हमीरपुर जिला में सबसे कम मतदान भोरंज विधानसभा क्षेत्र 69.58 प्रतिशत देखने को मिला है. वहीं, अगर मंडी जिला के धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र की बात करें हैं तो यह भी लंबे अरसे से भाजपा का गढ़ है और यह प्रदेश भाजपा सरकार के पावरफुल मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर का विधानसभा क्षेत्र है.

इस विधानसभा क्षेत्र में ओवरऑल संसदीय क्षेत्र हमीरपुर का सबसे कम मतदान 62.71 प्रतिशत देखने को मिला है. आपको बता दें कि यहां पर वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में सर्वाधिक 14, 864 मतों के लिए भाजपा प्रत्याशी को मिली थी.

वहीं, 2014 के लोकसभा चुनाव में लगभग 8000 की लीड भाजपा प्रत्याशी अनुराग ठाकुर को मिली थी. इसके साथ ही हमीरपुर संसदीय सीट में आने वाले कांगड़ा के दो अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी ओवरऑल मतदान के हिसाब से कम वोटिंग देखने को मिली है. इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में भी पिछले 3 लोकसभा चुनाव में लगातार भाजपा प्रत्याशी लीड लेते आ रहे हैं. इस बार भाजपा के मजबूत किलो में पसरी खामोशी एक बड़ा भूचाल ला सकती है.
पढ़ेंः हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में रिकॉर्ड तोड़ मतदान, ये जिला बना नंबर-1

हमीरपुरः लोकसभा चुनाव 2019 में हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के लोगों ने बड़े उत्साह के साथ मतदान किया है. ईवीएम मशीनों में संसदीय क्षेत्र में सियासी समर में कूदे 11 प्रत्याशियों का भविष्य कैद हो गया है. बंपर वोटिंग कर हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं ने बड़े संकेत दिए हैं. एक तरफ कांग्रेस के गढ़ों में बंपर वोटिंग से कांग्रेसी चहके हैं. वहीं, भाजपा के किलों में कम मतदान से भाजपाइयों में खामोशी है. मतदान के आंकड़ों के खेल में कांग्रेसी कुछ हद तक बाजी मार गए हैं.

अधिक वोटिंग को बदलाव का संकेत माना जाता है. वहीं, वर्तमान परिदृश्य और राष्ट्रीय राजनीति की बात करें तो सिर्फ राष्ट्रवाद का जो मुद्दा चुनावों में हावी रह. उस लिहाज से यह भी कहा जा सकता है कि या तो लोगों ने भाजपा की अपील पर राष्ट्रवाद के मुद्दों पर घर से निकल कर वोट दिया है. या फिर स्थिति बिल्कुल विपरीत है.

वहीं, अगर हमीरपुर संसदीय क्षेत्र की बात करें तो यहां पर अपेक्षाकृत अधिक मतदान तो देखने को मिला है, लेकिन ओवरऑल संसदीय क्षेत्र की बात करें तो भाजपा के किले वोटिंग में इस बार पिछड़ गए हैं.

वहीं, कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले विधानसभा क्षेत्र में इस बार वोटिंग में कहीं आगे रहे हैं आइए नजर डालते हैं आंकड़ों के खेल पर. सबसे पहले बात करते हैं कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले विधानसभा क्षेत्रों की. हमीरपुर संसदीय सीट में वोटिंग के मामले में नंबर एक पर रहने वाले ऊना जिले के हरोली विधानसभा क्षेत्र को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. जबरदस्त मोदी लहर के बावजूद भी पिछले लोकसभा चुनावों में विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस को 6,960 मतों की लीड मिली थी.

वहीं, वर्ष 2004 में जब वर्तमान के कांग्रेस प्रत्याशी रामलाल ठाकुर ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था तब उस समय भी 12,762 मतों के लिए यहां से कांग्रेस को मिली थी. वर्ष 2004 के चुनाव में हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के किसी विधानसभा क्षेत्र द्वारा दी गई है सबसे बड़ी लीड थी.

इस बार हरोली विधानसभा क्षेत्र में 76.23 प्रतिशत मतदान देखने को मिला है और जाहिर तौर पर यहां से नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री के होने का कांग्रेस और प्रत्याशी रामलाल ठाकुर को फायदा मिलने के आसार लगाए जा रहे हैं.

वहीं, अगर अब बिलासपुर जिले के श्री नैना देवी विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां से भी जबरदस्त मोदी लहर के बावजूद वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में दूसरी सबसे कम 3,339 मतों की लीड भाजपा प्रत्याशी को हासिल हुई थी.

जब वर्ष 2004 में रामलाल ठाकुर ने कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ा था तब दूसरी सबसे बड़ी लीड कांग्रेस को इसी विधानसभा क्षेत्र से 6,490 मतों की मिली थी. यहां अब 79.81 प्रतिशत मतदान होना कांग्रेस के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है.

पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का गढ़ बन कर उभरे सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र में भी इस बार हमीरपुर जिला में सबसे अधिक मतदान देखने को मिला है. यहां पर भी भाजपा के मुख्यमंत्री चेहरे प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल को हार का सामना करना पड़ा था.

पूर्व मुख्यमंत्री धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर भाजपा के प्रत्याशी हैं, अगर उनके पिछले लोकसभा चुनाव की बात करें तो सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र में जबरदस्त मोदी लहर के बावजूद भी यहां के मतदाताओं ने हमीरपुर संसदीय क्षेत्र की सबसे कम लीड भाजपा को दी थी. यहां भाजपा प्रत्याशी को 3,220 मतों की लीड मिली थी जो कि हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में सबसे कम थी.

ओवरऑल जिलों की बात करें तो कांग्रेस को बिलासपुर और ऊना से राहत के आसार हैं. भाजपा का मजबूत किला माने जाने वाले हमीरपुर, कांगड़ा और मंडी के 3 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान का कम होना मतदाताओं की एक बड़ी खामोशी मानी जा रही है. हमीरपुर जिला के भोरंज विधानसभा क्षेत्र को भाजपा का गढ़ पिछले 3 लोकसभा चुनावों से माना जाता है. यह भाजपा प्रत्याशी अनुराग ठाकुर और पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का गृह क्षेत्र है.

पिछले 3 लोकसभा चुनावों की बात करें तो यहां पर भाजपा की लीड का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. वर्ष 2004 में यहां भाजपा प्रत्याशी को 4, 308, वर्ष 2009 में 8, 900 और वर्ष 2014 में 10, 878 मतों के लीड मिली थी.

इस बार के लोकसभा चुनाव में हमीरपुर जिला में सबसे कम मतदान भोरंज विधानसभा क्षेत्र 69.58 प्रतिशत देखने को मिला है. वहीं, अगर मंडी जिला के धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र की बात करें हैं तो यह भी लंबे अरसे से भाजपा का गढ़ है और यह प्रदेश भाजपा सरकार के पावरफुल मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर का विधानसभा क्षेत्र है.

इस विधानसभा क्षेत्र में ओवरऑल संसदीय क्षेत्र हमीरपुर का सबसे कम मतदान 62.71 प्रतिशत देखने को मिला है. आपको बता दें कि यहां पर वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में सर्वाधिक 14, 864 मतों के लिए भाजपा प्रत्याशी को मिली थी.

वहीं, 2014 के लोकसभा चुनाव में लगभग 8000 की लीड भाजपा प्रत्याशी अनुराग ठाकुर को मिली थी. इसके साथ ही हमीरपुर संसदीय सीट में आने वाले कांगड़ा के दो अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी ओवरऑल मतदान के हिसाब से कम वोटिंग देखने को मिली है. इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में भी पिछले 3 लोकसभा चुनाव में लगातार भाजपा प्रत्याशी लीड लेते आ रहे हैं. इस बार भाजपा के मजबूत किलो में पसरी खामोशी एक बड़ा भूचाल ला सकती है.
पढ़ेंः हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में रिकॉर्ड तोड़ मतदान, ये जिला बना नंबर-1

Intro:कांग्रेस के गढ़ों में बंपर वोटिंग, भाजपा के किलों में कम मतदान से खामोशी, जानिए आंकड़ों का खेल
हमीरपुर।
लोकसभा चुनाव 2019 में हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के लोगों ने बड़े उत्साह के साथ जनादेश दिया है। ईवीएम मशीनों में संसदीय क्षेत्र में सियासी समर में कूदे 11 प्रत्याशियों का भविष्य कैद हो गया है। बंपर वोटिंग इतिहास रचने वाले हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं ने बड़े संकेत दिए हैं। एक तरफ कांग्रेस के गढ़ों में बंपर वोटिंग से कांग्रेसी चहके हैं वहीं भाजपा के किलों में कम मतदान से भाजपाइयों में खामोशी है। मतदान के आंकड़ों के खेल में कांग्रेसी कुछ हद तक बाजी मार गए हैं। अधिक वोटिंग को बदलाव का संकेत माना जाता है वहीं वर्तमान परिदृश्य और राष्ट्रीय राजनीति की बात करें तो सिर्फ राष्ट्रवाद का जो मुद्दा चुनावों में हावी रहा उस लिहाज से यह भी कहा जा सकता है कि या तो लोगों ने भाजपा की अपील पर राष्ट्रवाद के मुद्दों पर घर से निकल कर वोट दिया है अथवा राष्ट्रवाद और सेना के नाम पर लड़े गए इस बार के लोकसभा चुनावों में राजनीतिक दलों को सबक सिखाने के लिए लोग घरों से निकले हैं। सीधे और स्पष्ट शब्दों में अगर बात की जाए तो भाजपा ने लोगों को राष्ट्रवाद का पाठ पढ़ा दिया है अथवा लोगों ने बंपर मतदान कर राष्ट्रवाद पर हो रही राजनीति को लेकर राजनीतिक दलों को सबक सिखा दिया है। वहीं अगर हमीरपुर संसदीय क्षेत्र की बात करें तो यहां पर भाजपा के किलों में अपेक्षाकृत लोकसभा चुनावों से अधिक मतदान तो देखने को मिला है लेकिन ओवरऑल संसदीय क्षेत्र की बात करें तो भाजपा के किले वोटिंग में इस बार पिछड़ गए हैं। वहीं कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले विधानसभा क्षेत्र इस बार वोटिंग में कहीं आगे रहे हैं। आइए नजर डालते हैं आंकड़ों के खेल पर।


Body:सबसे पहले बात करते हैं कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले विधानसभा क्षेत्रों की:-
हमीरपुर संसदीय सीट में वोटिंग के मामले में नंबर एक पर रहने वाले ऊना जिले के हरोली विधानसभा क्षेत्र को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। जबरदस्त मोदी लहर के बावजूद भी पिछले लोकसभा चुनावों में विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस को 6960 मतों की लीड मिली थी। वहीं वर्ष 2004 में जब वर्तमान के कांग्रेस प्रत्याशी रामलाल ठाकुर ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था तब उस समय भी 12762 मतों के लिए यहां से कांग्रेस को मिली थी। वर्ष 2004 के चुनाव में हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के किसी विधानसभा क्षेत्र द्वारा दी गई है सबसे बड़ी लीड थी। इस बार हरोली विधानसभा क्षेत्र में 76.23 प्रतिशत मतदान देखने को मिला है और जाहिर तौर पर यहां से नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री के होने का कांग्रेस और प्रत्याशी रामलाल ठाकुर को फायदा मिलने के आसार लगाए जा रहे हैं। वहीं अगर अब बिलासपुर जिले के श्री नैना देवी विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां से भी जबरदस्त मोदी लहर के बावजूद वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में दूसरी सबसे कम 3339मतों की लीड भाजपा प्रत्याशी को हासिल हुई थी। जब वर्ष 2004 में रामलाल ठाकुर ने कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ा था तब दूसरी सबसे बड़ी लीड कांग्रेस को इसी विधानसभा क्षेत्र से 6490 मतों की मिली थी। यहां पर अब 79.81 प्रतिशत मतदान होना कांग्रेस के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है। पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का गढ़ बन कर उभरे सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र में भी इस बार हमीरपुर जिला में सबसे अधिक मतदान देखने को मिला है। यहां पर भी भाजपा के मुख्यमंत्री चेहरे प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल को हार का सामना करना पड़ा था। पूर्व मुख्यमंत्री धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर भाजपा के प्रत्याशी हैं अगर उनके पिछले लोकसभा चुनाव की बात करें तो सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र में जबरदस्त मोदी लहर के बावजूद भी यहां के मतदाताओं ने हमीरपुर संसदीय क्षेत्र की सबसे कम लीड भाजपा को दी थी। यहां पर भाजपा प्रत्याशी को 3220 मतों की लीड मिली थी जो कि हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में सबसे कम थी। वहीं अगर ओवरऑल जिलों की बात करें तो कांग्रेस को बिलासपुर और ऊना से राहत के आसार हैं.


भाजपा के किले हैं यह विधानसभा क्षेत्र लेकिन मतदान में पिछड़े

भाजपा का मजबूत किला माने जाने वाले हमीरपुर जिला और कांगड़ा तथा मंडी के 3 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान का कम होना मतदाताओं की एक बड़ी खामोशी मानी जा रही है। हमीरपुर जिला के भोरंज विधानसभा क्षेत्र को भाजपा का गढ़ पिछले 3 लोकसभा चुनावों से माना जाता है। यह भाजपा प्रत्याशी अनुराग ठाकुर और पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का गृह क्षेत्र है। पिछले 3 लोकसभा चुनावों की बात करें तो यहां पर भाजपा की लीड का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2004 में यहां पर भाजपा प्रत्याशी को 4308, वर्ष 2009 में 8900 और वर्ष 2014 में 10878 मतों के लीड मिली थी। लेकिन इस बार के लोकसभा चुनावों में हमीरपुर जिला में सबसे कम मतदान भोरंज विधानसभा क्षेत्र 69.58 प्रतिशत देखने को मिला है। वहीं अगर मंडी जिला के धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र की बात करते हैं तो यह भी लंबे अरसे से भाजपा का गढ़ है और यह प्रदेश भाजपा सरकार के पावरफुल मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर का विधानसभा क्षेत्र है। लेकिन इस विधानसभा क्षेत्र में ओवरऑल संसदीय क्षेत्र हमीरपुर का सबसे कम मतदान 62.71 प्रतिशत देखने को मिला है। आपको बता दें कि यहां पर वर्ष 2009 के लोकसभा चुनावों में सर्वाधिक 14864 मतों के लिए भाजपा प्रत्याशी को मिली थी वही 2014 के लोकसभा चुनावों में लगभग 8000 की लीड भाजपा प्रत्याशी अनुराग ठाकुर को मिली थी। इसके साथ ही कांगड़ा के दो अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी ओवरऑल मतदान के हिसाब से कम वोटिंग देखने को मिली है। इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में भी पिछले 3 लोकसभा चुनाव में लगातार भाजपा प्रत्याशी लीड लेते आ रहे हैं। इस बार भाजपा के मजबूत किलो में पसरी खामोशी एक बड़ा भूचाल ला सकती है।






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