भोरंज/हमीरपुर: लॉकडाउन के बाद हिमाचल सरकार की ओर से पॉलीथिन पर लगाया गया प्रतिबंध सरकारी उदासीनता के कारण बेअसर साबित होने लगा है. कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन की घोषणा हो गई, जिसके बाद भोरंज के विभिन्न क्षेत्र भरेड़ी, बस्सी, तरक्वाड़ी, पट्टा, जाहू, सुलगवान में फिर दुकाने खुलने पर सब्जियों के साथ पॉलीथीन कैरी बैग आना शुरू हो गया है.
मौजूदा समय में पर्यावरण को पॉलीथीन से भी सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है. खासकर शहरी इलाकों में इसके इस्तेमाल से सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ रहा है. इसी को ध्यान में रखते हुए हिमाचल सरकार ने साल 2009 में पॉलीथीन को बैन कर दिया था.
वहीं, सरकार और प्रशासन की लगातार कार्रवाई और जागरूकता अभियान के चलते शहर में सब्जी विक्रेताओं, रेहड़ी-फड़ी और खुदरा दुकानदारों ने पॉलीथीन रखना बंद कर दिया था, लेकिन हिमाचल में फिर से बाहरी राज्यों से अधिकतर सब्जियां पॉलीथिन में आनी शुरू हो गई है.
हालांकि प्रशासन की ओर से लोगों को खरीददारी करने के लिए अपना बैग साथ लेकर चलने की सलाह दी जाती थी, लोग भी इसके चीज के आदी भी हो गए थे. इसी बीच लॉकडाउन में इस तरफ ध्यान न देने से बैन हो चुके पॉलीथिन के कैरी बैग बाहरी राज्यों से सब्जी के साथ बाजार में पहुंच रहे हैं.
हिमाचल में बैन होने के बाद पॉलीथिन वेस्ट बहुत कम हो गया था, जोकि प्रशासन के लिए बहुत बड़ी राहत थी. अब फिर पॉलीथिन कैरी बैग के बाजार में पहुंचने से प्लास्टिक कचरे की मात्रा बढ़ने लगी है.
लोगों का कहना है कि सडकों पर व अन्य स्थानों पर बिखरे प्लास्टिक को बेसहारा पशु खा लेते हैं. जिससे उनकी कई बार मौत भी हो जाती है. प्रशासन की इस ओर ध्यान देना चाहिए और लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.
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