हमीरपुर: हिमाचल में 10 सिंतबर का दिन जनता के लिए किसी दिवाली से कम नहीं होगा. लोगों की भगवान पर अटूट आस्था, श्रद्धा और विश्वास को देखते हुए सरकार ने मंदिरों को खोलने का फैसला लिया है. जिस तरह भक्त अपने भगवान के दीदार के लिए आतूर हैं. वैसे ही मंदिर प्रबंधन भी श्रद्धालुओं के स्वागत की तैयारियों में जुटा है. फिर चाहे वो हमीरपुर के सुप्रसिद्ध मंदिर गसोता महादेव की बात हो या फिर दियोटसिद्ध बाबा बालक नाथ मंदिर की.
मंदिर खुलने के बाद भगवान भोलेनाथ के दर्शन के अभिलाषी श्रद्धालुओं में खुशी का माहौल है, लेकिन इस दौरान मंदिरों में सामाजिक दूरी के नियम की पालना को लेकर भी विशेष ध्यान रखने की जरूरत है. लंबे अरसे बाद जहां श्रद्धालु भगवान के दर्शन कर पाएंगे तो वहीं मंदिरों में नियमों के अनुसार ही दर्शन करवाने के प्रयास किए जा रहे हैं.
मंदिर खुलने की जितनी खुशी श्रद्धालुओं को है, शायद उतनी खुशी किसी को नहीं होगी. श्रद्धालुओं का कहना है कि मंदिर तो अब खुलने ही चाहिए. कितने समय तक सब कुछ बंद रखा जा सकता है.. अब लोगों को भी कुछ करना पड़ेगा. सरकार भी कितना कर सकती है. ऐसे में खुद ही सावधानी बरतने की जरूरत है.
मंदिर खुलेंगे तो आस-पास के बाजारों में कारोबार को भी पंख लगेंगे. मंदिर के गर्भ गृह खुलने की जितनी खुशी श्रद्धालुओं को है, उतनी ही प्रसन्नता दुकानदारों में भी देखने को मिल रही है.
सिद्ध पीठ बाबा बालक नाथ मंदिर में भी श्रद्धालुओं में मंदिर खुलने से काफी खुश नजर आ रहे हैं. बाबा बालक नाथ मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष हरिकेश मीणा ने कहा कि बाहरी राज्यों के श्रद्धालुओं को भी मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा हालांकि उन्हें पंजीकरण करवाना होगा. उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं को मंदिर में रोट ले जाने की अनुमति होगी.
गुरुवार को प्रदेश में मंदिर खुल रहे हैं, लेकिन आस्था के साथ-साथ लोगों को कोरोना नियमों को भी ध्यान में रखना होगा. इस बात में कोई दोराय नहीं कि प्रशासन और सरकार जनता की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं, लेकिन जिम्मेदारी सब की बराबर की है.