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चलने फिरने वाला मल्टीपरपज चूल्हा: अब लकड़ी के जलने से नहीं होगा प्रदूषण, बीमारियों से भी मिलेगी निजात

हमीरपुर जिले में इन दिनों इंस्पायर मानक अवॉर्ड राज्यस्तरीय प्रतियोगिता (Inspire Standard Award) का आयोजन किया जा रहा है. इस प्रतियोगिता में 63 नन्हे वैज्ञानिक अपने-अपने अनूठे मॉडल पेश कर रहे हैं. इन्हीं नन्हे वैज्ञानिकों के बीच बद्दी के एक निजी स्कूल के छात्र वंश राणा भी अपना मॉडल लेकर पहुंचे हैं. उन्होंने एक चलता फिरता मल्टीपरपज चूल्हा बनाया है. महज 8 से 10 किलो के इस लकड़ी से जलने वाले चूल्हे को कहीं भी ले जाया जा सकता है. यह चूल्हा पर्यावरण संरक्षण के साथ ही बीमारियों से भी निजात दिलाएगा.

चलने फिरने वाला मल्टीपरपज चूल्हा
चलने फिरने वाला मल्टीपरपज चूल्हा
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Published : Jan 5, 2023, 9:04 PM IST

बद्दी के वंश राणा ने बनाया मल्टीपरपज चूल्हा.

हमीरपुर: हिमाचल के सोलन जिले के बद्दी के एक निजी स्कूल के छात्र वंश राणा ने लकड़ी से जलने वाला अनूठा चूल्हा तैयार किया है. महज 8 से 10 किलो के इस लकड़ी से जलने वाले चूल्हे को कहीं भी ले जाया जा सकता है. यह चूल्हा पर्यावरण संरक्षण के साथ ही बीमारियों से भी निजात दिलाएगा. वंश राणा ने लकड़ी के इस अनूठे चूल्हे को मल्टीपरपज चूल्हे का नाम दिया (Student Vansh Rana made a multipurpose stove) है.

सातवीं कक्षा में पढ़ने वाले वंश ने हमीरपुर जिले में चल रही इंस्पायर अवॉर्ड राज्यस्तरीय प्रतियोगिता (State level Inspire Standard Award competition) में इस चुल्हे को प्रस्तुत किया है. इस चूल्हे में एग्जॉस्ट फैन भी लगाया गया है. जिसके जरिये आग का धुएं शत प्रतिशत चिमनी के जरिए बाहर निकलेगा. इस चिमनी में स्टील की दो जालीनुमा छननी भी लगाई गई है. (Invention of multipurpose stove by student).

चलने फिरने वाला मल्टीपरपज चूल्हा.
चलने फिरने वाला मल्टीपरपज चूल्हा.

इन दोनों के बीच एक स्प्रिंकलर सिस्टम लगाया गया है, जो पाइप के जरिए धुएं के कार्बन यानि आग जलने के बाद उड़ने वाले बारीक कणों को चिमनी से बाहर नहीं निकलने देगा. यह बारीक कण जालीनुमा टीन की छलनी में फस जाएंगे. ऐसे में वायु प्रदूषण की बड़ी वजह बनने वाले यह बारीक कण वायु में नहीं मिलेंगे और पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा. दूसरी ओर इस मल्टीपरपज चूल्हे में एग्जॉस्ट फैन लगाया गया है. जिससे रसोई घर में फैलने वाला धुंआ जो बीमारियों का कारण होता है, उससे भी निजात मिलेगी.

चूल्हा एक फायदे अनेक: सातवीं कक्षा के छात्र वंश द्वारा तैयार किए गए इस मल्टीपरपज चूल्हे के कई फायदे हैं. खाना बनाते वक्त कम लकड़ी का इस्तेमाल होगा और लकड़ी जलने के लिए हवा पर्याप्त ढंग से मिले, इसके लिए भी दोनों तरफ हवा गुजरने के लिए छेद किए गए हैं. चूल्हे के अंदर ही 5 लीटर के लगभग पानी एक समय में गर्म करने के लिए एक स्टोरेज टंकी लगाई गई है. जिसमें ठंडा पानी डालते ही दूसरी तरफ से गर्म पानी निकलना शुरू हो जाएगा.

इतनी आई लागत: विवेक इंटरनेशनल स्कूल बद्दी के छात्र वंश राणा का कहना है कि जब भी वह गांव में अपने घर जाते थे तो उनके दादा-दादी रसोई घर के धुएं की वजह से परेशान रहते थे. वंश का कहना है कि दादी-दादा अक्सर बीमार भी रहते थे. जिस वजह से उन्हें यह आइडिया आया कि क्यों ना ऐसा चूल्हा तैयार किया जाए, जिससे रसोई घर में धुंआ न हो और पर्यावरण का संरक्षण भी हो. इस लकड़ी के चूल्हे को बनाने की लागत 7200 रुपए आई है. वंश का यह कहना है कि बड़े साइज का चूल्हा बनाने पर लागत में बहुत ज्यादा अंतर नहीं आएगा.

कहीं भी लगाओ और इस्तेमाल करो: इस मल्टीपरपज चूल्हे को कहीं भी लगाया जा सकता है. मसलन 8 से 10 किलो के वजन वाले इस चूल्हे को आसानी से उठाया जा सकता है. जरूरी नहीं है कि इसे रसोई घर में ही लगाया जाए. सुविधा के मुताबिक लकड़ी से जलने वाले इस चूल्हे को बालकनी या घर के किसी भी कोने में लगाया जा सकता है. हालांकि इसे एक जगह फिक्स करने का भी विकल्प मौजूद है.

गांव के साथ ही शहरों में भी कारगर है ये चूल्हा: अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में ही लकड़ी से इन दिनों चूल्हा जलाया जाता है. हालांकि छोटे शहरों में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में जहां पर लकड़ी की उपलब्धता है, वहां पर इस मल्टीपरपज चूल्हे का इस्तेमाल घर के किसी भी कोने में आसानी से किया जा सकता है. गांव और शहर, दोनों ही जगह यह कारगर सिद्ध हो सकता है. गांव में लकड़ी की उपलब्धता अधिक होती है, वहीं शहरों में घर में स्पेस की कमी होती है. जिस वजह से चलते फिरते इस चूल्हे को कहीं भी छोटी सी जगह में लगाकर कर इस्तेमाल किया जा सकता है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में सीमेंट फैक्ट्रियां बंद होने से हजारों लोग एक झटके में बेरोजगार, 21 दिनों से नहीं निकला कोई हल

बद्दी के वंश राणा ने बनाया मल्टीपरपज चूल्हा.

हमीरपुर: हिमाचल के सोलन जिले के बद्दी के एक निजी स्कूल के छात्र वंश राणा ने लकड़ी से जलने वाला अनूठा चूल्हा तैयार किया है. महज 8 से 10 किलो के इस लकड़ी से जलने वाले चूल्हे को कहीं भी ले जाया जा सकता है. यह चूल्हा पर्यावरण संरक्षण के साथ ही बीमारियों से भी निजात दिलाएगा. वंश राणा ने लकड़ी के इस अनूठे चूल्हे को मल्टीपरपज चूल्हे का नाम दिया (Student Vansh Rana made a multipurpose stove) है.

सातवीं कक्षा में पढ़ने वाले वंश ने हमीरपुर जिले में चल रही इंस्पायर अवॉर्ड राज्यस्तरीय प्रतियोगिता (State level Inspire Standard Award competition) में इस चुल्हे को प्रस्तुत किया है. इस चूल्हे में एग्जॉस्ट फैन भी लगाया गया है. जिसके जरिये आग का धुएं शत प्रतिशत चिमनी के जरिए बाहर निकलेगा. इस चिमनी में स्टील की दो जालीनुमा छननी भी लगाई गई है. (Invention of multipurpose stove by student).

चलने फिरने वाला मल्टीपरपज चूल्हा.
चलने फिरने वाला मल्टीपरपज चूल्हा.

इन दोनों के बीच एक स्प्रिंकलर सिस्टम लगाया गया है, जो पाइप के जरिए धुएं के कार्बन यानि आग जलने के बाद उड़ने वाले बारीक कणों को चिमनी से बाहर नहीं निकलने देगा. यह बारीक कण जालीनुमा टीन की छलनी में फस जाएंगे. ऐसे में वायु प्रदूषण की बड़ी वजह बनने वाले यह बारीक कण वायु में नहीं मिलेंगे और पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा. दूसरी ओर इस मल्टीपरपज चूल्हे में एग्जॉस्ट फैन लगाया गया है. जिससे रसोई घर में फैलने वाला धुंआ जो बीमारियों का कारण होता है, उससे भी निजात मिलेगी.

चूल्हा एक फायदे अनेक: सातवीं कक्षा के छात्र वंश द्वारा तैयार किए गए इस मल्टीपरपज चूल्हे के कई फायदे हैं. खाना बनाते वक्त कम लकड़ी का इस्तेमाल होगा और लकड़ी जलने के लिए हवा पर्याप्त ढंग से मिले, इसके लिए भी दोनों तरफ हवा गुजरने के लिए छेद किए गए हैं. चूल्हे के अंदर ही 5 लीटर के लगभग पानी एक समय में गर्म करने के लिए एक स्टोरेज टंकी लगाई गई है. जिसमें ठंडा पानी डालते ही दूसरी तरफ से गर्म पानी निकलना शुरू हो जाएगा.

इतनी आई लागत: विवेक इंटरनेशनल स्कूल बद्दी के छात्र वंश राणा का कहना है कि जब भी वह गांव में अपने घर जाते थे तो उनके दादा-दादी रसोई घर के धुएं की वजह से परेशान रहते थे. वंश का कहना है कि दादी-दादा अक्सर बीमार भी रहते थे. जिस वजह से उन्हें यह आइडिया आया कि क्यों ना ऐसा चूल्हा तैयार किया जाए, जिससे रसोई घर में धुंआ न हो और पर्यावरण का संरक्षण भी हो. इस लकड़ी के चूल्हे को बनाने की लागत 7200 रुपए आई है. वंश का यह कहना है कि बड़े साइज का चूल्हा बनाने पर लागत में बहुत ज्यादा अंतर नहीं आएगा.

कहीं भी लगाओ और इस्तेमाल करो: इस मल्टीपरपज चूल्हे को कहीं भी लगाया जा सकता है. मसलन 8 से 10 किलो के वजन वाले इस चूल्हे को आसानी से उठाया जा सकता है. जरूरी नहीं है कि इसे रसोई घर में ही लगाया जाए. सुविधा के मुताबिक लकड़ी से जलने वाले इस चूल्हे को बालकनी या घर के किसी भी कोने में लगाया जा सकता है. हालांकि इसे एक जगह फिक्स करने का भी विकल्प मौजूद है.

गांव के साथ ही शहरों में भी कारगर है ये चूल्हा: अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में ही लकड़ी से इन दिनों चूल्हा जलाया जाता है. हालांकि छोटे शहरों में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में जहां पर लकड़ी की उपलब्धता है, वहां पर इस मल्टीपरपज चूल्हे का इस्तेमाल घर के किसी भी कोने में आसानी से किया जा सकता है. गांव और शहर, दोनों ही जगह यह कारगर सिद्ध हो सकता है. गांव में लकड़ी की उपलब्धता अधिक होती है, वहीं शहरों में घर में स्पेस की कमी होती है. जिस वजह से चलते फिरते इस चूल्हे को कहीं भी छोटी सी जगह में लगाकर कर इस्तेमाल किया जा सकता है.

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