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राजा संसार चंद ने मुरली मनोहर मंदिर में इसलिए की थी सुजानपुर होली उत्सव की शुरुआत, 1905 के भूकंप के बाद राधा ने ली थी रुक्मणी की जगह

सदियों पहले राजा संसार चंद ने की थी रासुजानपुर होली उत्सव की शुरूआत 1905 के भूकंप के बाद राधा ने ली थी रुक्मणी की जगह

सुजानपुर होली उत्सव
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Published : Mar 21, 2019, 11:15 PM IST

हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश के सुजानपुर में मनाई जाने वाली राष्ट्र स्तरीय होली उत्सव के आयोजन के पीछे एक रोचक कहानी है. रियासतों और रजवाड़ा शाही के दौर में शुरू हुआ ये उत्सव आज भी सदियों पुरानी परंपराओं के अनुसार ही मनाया जाता है.

कटोच वंश के शासन में होली उत्सव सुजानपुर का शुभारंभ हुआ था. रजवाड़ा शाही के दौर से ही यह उत्सव 3 दिन तक मनाया जाता था. राजा के महल में तालाब में रंग घोलकर होली खेली जाती थी. बता दें कि सुजानपुर नगर की स्थापना 1761 ई. में कटोच वंश के राजा घमंड चंद ने की थी, लेकिन इसे संपूर्ण करने का श्रेय कला प्रेमी और राजा घमंड चंद के पोते संसार चंद को जाता है.

राजा संसार चंद के दौर में ही सुजानपुर होली उत्सव को ख्याति मिली. संसार चंद ने ही प्राचीन मुरली मनोहर मंदिर का निर्माण भी करवाया और होली उत्सव को नई पहचान भी दी. रानी के एक लाख मुद्राएं एक साथ देखने की इच्छा पर राजा ने शाही खजाना खोल दिया था, लेकिन बाद में विद्वानों की सलाह पर शाही खजाने से निकाली गई इस रकम को वापिस खजाने में ना डालने की सलाह दी गई. इस पर राजा ने सुजानपुर में शिखर शैली में भव्य मुरली मनोहर मंदिर का निर्माण करवाया.

ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में मंदिर के पुजारी रविनंदन ने बताया कि होली उत्सव से पहले राजा यहां पर पूजा करते थे और सदियों से चली आ रही परंपरा को आज भी निभाया जा रहा है. हाथी-घोड़ों पर सवार होकर राजा अपने महल से मंदिर में पहुंचते थे और यहां पर पूजा अर्चना करने के बाद होली उत्सव का आगाज होता था. कटोच वंश की सेनाएं सुजानपुर मैदान में अभ्यास किया करती थी. इसी मैदान में होली उत्सव को भी नए आयाम मिले. यहां चौगान मैदान 514 कनाल पर समतल भूमि में बना हुआ है.

पुजारी रविनंदन ने बताया कि 1905 में हिमाचल में आए भूकंप के दौरान यह मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया था, लेकिन मुरली मनोहर की मूर्ति को कोई नुकसान नहीं हुआ. रुक्मणी के मूर्ति खंडित हो गई, जिसे बाद में पानी में विसर्जित कर दिया गया. इसके बाद यहां पर राधा की मूर्ति स्थापित की गई.

इस बार होली उत्सव 18 मार्च से 21 मार्च तक मनाया जा रहा है. बताया जाता है कि नगर में सुजान लोगों के बसने से नगर को सुजानपुर नाम मिला. राजा ने व्यास नदी के तट पर स्थित इस नगर की सुंदरता को तराश कर यहां पर राजधानी की स्थापना की. कला प्रेमी राजा संसार चंद ने देश के विख्यात कलाकार विद्वान एवं योग्य व्यक्तियों को यहां पर बसाया. राजा संसार चंद कटोच वंश के 481वें राजा थे. 1795 में प्रजा के साथ पहली बार राज महल में राजा संसार चंद ने शाही अंदाज में होली उत्सव मनाया और इसकी परंपरा आज सुजानपुर होली उत्सव के रूप में मनाई जा रही है. इसके बाद से इस नगर को जौनपुर के नाम से जाना जाने लगा.

राजा संसार चंद ने अपने शासनकाल में 1775 से 1823 ई. के दौरान सुजानपुर टीरा में अनेक भव्य मंदिरों का निर्माण करवाया गया. राजा के शासनकाल में ही कांगड़ा कलम विश्वविख्यात चित्रकला को भी संरक्षण मिला. राजा संसार चंद ने बैजनाथ स्थित शिव मंदिर के अनुरूप ही सुजानपुर में मुरली मनोहर मंदिर का निर्माण करवाया.

हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश के सुजानपुर में मनाई जाने वाली राष्ट्र स्तरीय होली उत्सव के आयोजन के पीछे एक रोचक कहानी है. रियासतों और रजवाड़ा शाही के दौर में शुरू हुआ ये उत्सव आज भी सदियों पुरानी परंपराओं के अनुसार ही मनाया जाता है.

कटोच वंश के शासन में होली उत्सव सुजानपुर का शुभारंभ हुआ था. रजवाड़ा शाही के दौर से ही यह उत्सव 3 दिन तक मनाया जाता था. राजा के महल में तालाब में रंग घोलकर होली खेली जाती थी. बता दें कि सुजानपुर नगर की स्थापना 1761 ई. में कटोच वंश के राजा घमंड चंद ने की थी, लेकिन इसे संपूर्ण करने का श्रेय कला प्रेमी और राजा घमंड चंद के पोते संसार चंद को जाता है.

राजा संसार चंद के दौर में ही सुजानपुर होली उत्सव को ख्याति मिली. संसार चंद ने ही प्राचीन मुरली मनोहर मंदिर का निर्माण भी करवाया और होली उत्सव को नई पहचान भी दी. रानी के एक लाख मुद्राएं एक साथ देखने की इच्छा पर राजा ने शाही खजाना खोल दिया था, लेकिन बाद में विद्वानों की सलाह पर शाही खजाने से निकाली गई इस रकम को वापिस खजाने में ना डालने की सलाह दी गई. इस पर राजा ने सुजानपुर में शिखर शैली में भव्य मुरली मनोहर मंदिर का निर्माण करवाया.

ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में मंदिर के पुजारी रविनंदन ने बताया कि होली उत्सव से पहले राजा यहां पर पूजा करते थे और सदियों से चली आ रही परंपरा को आज भी निभाया जा रहा है. हाथी-घोड़ों पर सवार होकर राजा अपने महल से मंदिर में पहुंचते थे और यहां पर पूजा अर्चना करने के बाद होली उत्सव का आगाज होता था. कटोच वंश की सेनाएं सुजानपुर मैदान में अभ्यास किया करती थी. इसी मैदान में होली उत्सव को भी नए आयाम मिले. यहां चौगान मैदान 514 कनाल पर समतल भूमि में बना हुआ है.

पुजारी रविनंदन ने बताया कि 1905 में हिमाचल में आए भूकंप के दौरान यह मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया था, लेकिन मुरली मनोहर की मूर्ति को कोई नुकसान नहीं हुआ. रुक्मणी के मूर्ति खंडित हो गई, जिसे बाद में पानी में विसर्जित कर दिया गया. इसके बाद यहां पर राधा की मूर्ति स्थापित की गई.

इस बार होली उत्सव 18 मार्च से 21 मार्च तक मनाया जा रहा है. बताया जाता है कि नगर में सुजान लोगों के बसने से नगर को सुजानपुर नाम मिला. राजा ने व्यास नदी के तट पर स्थित इस नगर की सुंदरता को तराश कर यहां पर राजधानी की स्थापना की. कला प्रेमी राजा संसार चंद ने देश के विख्यात कलाकार विद्वान एवं योग्य व्यक्तियों को यहां पर बसाया. राजा संसार चंद कटोच वंश के 481वें राजा थे. 1795 में प्रजा के साथ पहली बार राज महल में राजा संसार चंद ने शाही अंदाज में होली उत्सव मनाया और इसकी परंपरा आज सुजानपुर होली उत्सव के रूप में मनाई जा रही है. इसके बाद से इस नगर को जौनपुर के नाम से जाना जाने लगा.

राजा संसार चंद ने अपने शासनकाल में 1775 से 1823 ई. के दौरान सुजानपुर टीरा में अनेक भव्य मंदिरों का निर्माण करवाया गया. राजा के शासनकाल में ही कांगड़ा कलम विश्वविख्यात चित्रकला को भी संरक्षण मिला. राजा संसार चंद ने बैजनाथ स्थित शिव मंदिर के अनुरूप ही सुजानपुर में मुरली मनोहर मंदिर का निर्माण करवाया.

Intro:एक्सक्लूसिव
रानी ने 1 लाख स्वर्ण मुद्राएं एक साथ देखने की जताई थी इच्छा, राजा ने खोल दिया था शाही खजाना, फिर हुआ था प्राचीन मुरली मनोहर मंदिर का निर्माण और होली उत्सव का आगाज
हमीरपुर।
हिमाचल प्रदेश के सुजानपुर में मनाई जाने वाली राष्ट्र स्तरीय होली उत्सव के आयोजन के पीछे एक रोचक कहानी है। रियासतों और रजवाड़ा शाही के दौर मैं शुरू हुआ यह उत्सव आज भी पूर्व की भांति ही मनाया जा रहा है।
कटोच वंश के शासन में होली उत्सव सुजानपुर का शुभारंभ हुआ था। रजवाड़ा शाही के दौर से ही यह उत्सव 3 दिन तक बनाया जाता था। राजा के महल में तालाब में रंग घोलकर होली खेली जाती थी। सुजानपुर नगर की स्थापना 17 61 ईस्वी में कटोच वंश के राजा घमंड चंद ने की थी। लेकिन इसको संपूर्ण करने का श्रेय कला प्रेमी उनके पोते संसार चंद को जाता है। राजा संसार चंद के दौर में ही सुजानपुर होली उत्सव को ख्याति मिली। संसार चंद ने ही प्राचीन मुरली मनोहर मंदिर का निर्माण भी करवाया और होली उत्सव को नई पहचान भी दी। रानी के 100000 मुद्राएं एक साथ देखने के इच्छा पर राजा ने शाही खजाना खोल दिया था, लेकिन बाद में विद्वानों की सलाह पर शाही खजाने से निकाले गई इस रकम को वापस खजाने में ना डालने की सलाह दी गई। इस पर राजा ने सुजानपुर में शिखर शैली में भव्य मुरली मनोहर मंदिर का निर्माण करवाया। ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में मंदिर के पुजारी रविनंदन ने बताया कि होली उत्सव से पहले राजा यहां पर पूजा करते थे और सदियों से चली आ रही परंपरा को आज भी निभाया जा रहा है। हाथी घोड़ों पर सवार होकर राजा अपने महल से मंदिर में पहुंचते थे और यहां पर पूजा अर्चना करने के बाद होली उत्सव का आगाज होता था। कटोच वंश की सेनाएं सुजानपुर मैदान में अभ्यास किया करती थी। इसी मैदान में होली उत्सव को भी नए आयाम मिले। यहां चौगान मैदान 514 कनाल पर समतल भूमि में बना हुआ है। पुजारी ने बताया कि 1905 में हिमाचल में आए भूकंप के दौरान यह मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया था लेकिन मुरली मनोहर की मूर्ति को कोई नुकसान नहीं हुआ। लेकिन रुक्मणी के मूर्ति खंडित हो गई जिसे बाद में पानी में विसर्जित कर दिया गया। इसके बाद यहां पर राधा की मूर्ति स्थापित की गई। इस बार होली उत्सव 18 मार्च से 21 मार्च तक मनाया जा रहा है।


Body:
सुजान लोगों के बसने से नगर को मिला सुजानपुर नाम
राजा ने व्यास नदी के तट पर स्थित इस नगर की सुंदरता को तराश कर यहां पर राजधानी की स्थापना की। कला प्रेमी राजा संसार चंद ने देश के विख्यात कलाकार विद्वान एवं योग्य व्यक्तियों को लाकर यहां पर बसाया। राजा संसार चंद कटोच वंश के 481वें राजा थे। 1795 में प्रजा के साथ पहली बार राज महल में उन्होंने शाही अंदाज में होली उत्सव बनाया और इसकी परंपरा आज सुजानपुर होली उत्सव के रूप में मनाई जा रही है।
इसके बाद से इस नगर को जौनपुर के नाम से जाना जाने लगा। राजा संसार चंद ने अपने शासनकाल में 1775 से 1823 ईस्वी के दौरान सुजानपुर टीरा में अनेक भव्य भव्य मंदिरों का निर्माण करवाया। उनके शासनकाल में ही कांगड़ा कलम के नाम से जाने जाने वाली विश्वविख्यात चित्रकला को भी संरक्षण मिला। राजा संसार चंद ने बैजनाथ स्थित शिव मंदिर के अनुरूप ही सुजानपुर में मुरली मनोहर मंदिर का निर्माण करवाया।






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