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हमीरपुर में स्क्रब टायफस ने पसारे पांव, 5 मामले आए पॉजिटिव... ये लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं

हमीरपुर अस्पताल में स्क्रब टायफस के मरीज आते रहे हैं. अब भी स्क्रब टायफस के मरीजों में कमी नहीं आई है. इसके अलावा मलेरिया और डेंगू के मरीजों पर अंकुश लगा है. इन रोगों से पीड़ित अब कोई भी मरीज अस्पताल नहीं पहुंच रहा है.

डॉ. राधाकृष्णन मेडिकल कॉलेज हमीरपुर
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Published : Oct 2, 2019, 11:59 PM IST

हमीरपुर: जिला हमीरपुर में स्क्रब टायफस ने पांव पसारना शुरू कर दिए हैं. जिले के पांच लोग स्क्रब टायफस की चपेट में आ गए हैं. इन सभी का इलाज डॉ. राधाकृष्णन मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में चल रहा है. सभी मरीजों को बुखार और सिरदर्द की शिकायत के चलते अस्पताल लाया गया, लेकिन लैब रिपोर्ट में सभी स्क्रब टायफस से पॉजीटिव पाए गए.

पूर्व में भी अस्पताल में स्क्रब टायफस के मरीज आते रहे हैं. अब भी स्क्रब टायफस के मरीजों में कमी नहीं आई है. इसके अलावा मलेरिया और डेंगू के मरीजों पर अंकुश लगा है. इन रोगों से पीड़ित अब कोई भी मरीज अस्पताल नहीं पहुंच रहा है. चिकित्सकों के अनुसार स्क्रब टायफस एक पिस्सू के काटने से होता है. यह बीमारी ज्यादातर उन लोगों को होती है जो जंगली इलाके या झाड़ियों के पास, चूहों वाली जगह, घास वाले इलाकों में रहते हैं, क्योंकि इन जगहों पर पाए जाने वाला पिस्सू जब मनुष्य को काटता है तो वह स्क्रब टायफस का शिकार होता है.

इसके लक्षण बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, ठंड लगना, त्वचा पर चकते होना, कटने वाली जगह पर निशान धीरे-धीरे बड़ा होना और इसके बाद उक्त त्वचा पर काले रंग की पपड़ी बनना और उतरना इसके लक्षण हैं. मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के मेडिसन विशेषज्ञ डॉ. बाबेश बरवाल का कहना है कि इसके बचाव के लिए पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनना, खुद को झाड़ियों या घास से दूर रखना, स्वच्छता बनाए रखना, घास पर न लेटना, नंगे पैर घास पर न चलना जैसी सावधानियां बरते. लक्षण दिखने पर चिकित्सक को दिखाएं

डॉ. बाबेश बरवाल ने कहा कि अस्पताल में उपचाराधीन पांच में से दो रोगियों को सेहत में सुधार होने पर छुट्टी दे दी गई है. शेष तीन का इलाज चल रहा है. उन्होंने लोगों को सावधानियां बरतने का आग्रह किया है.

ये भी पढ़ें- कांग्रेस नेताओं ने जूते डाल कर दी बापू को पुष्पांजलि, गांधी के आदर्शों की दुहाई देने वाले भूले अनुशासन

हमीरपुर: जिला हमीरपुर में स्क्रब टायफस ने पांव पसारना शुरू कर दिए हैं. जिले के पांच लोग स्क्रब टायफस की चपेट में आ गए हैं. इन सभी का इलाज डॉ. राधाकृष्णन मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में चल रहा है. सभी मरीजों को बुखार और सिरदर्द की शिकायत के चलते अस्पताल लाया गया, लेकिन लैब रिपोर्ट में सभी स्क्रब टायफस से पॉजीटिव पाए गए.

पूर्व में भी अस्पताल में स्क्रब टायफस के मरीज आते रहे हैं. अब भी स्क्रब टायफस के मरीजों में कमी नहीं आई है. इसके अलावा मलेरिया और डेंगू के मरीजों पर अंकुश लगा है. इन रोगों से पीड़ित अब कोई भी मरीज अस्पताल नहीं पहुंच रहा है. चिकित्सकों के अनुसार स्क्रब टायफस एक पिस्सू के काटने से होता है. यह बीमारी ज्यादातर उन लोगों को होती है जो जंगली इलाके या झाड़ियों के पास, चूहों वाली जगह, घास वाले इलाकों में रहते हैं, क्योंकि इन जगहों पर पाए जाने वाला पिस्सू जब मनुष्य को काटता है तो वह स्क्रब टायफस का शिकार होता है.

इसके लक्षण बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, ठंड लगना, त्वचा पर चकते होना, कटने वाली जगह पर निशान धीरे-धीरे बड़ा होना और इसके बाद उक्त त्वचा पर काले रंग की पपड़ी बनना और उतरना इसके लक्षण हैं. मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के मेडिसन विशेषज्ञ डॉ. बाबेश बरवाल का कहना है कि इसके बचाव के लिए पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनना, खुद को झाड़ियों या घास से दूर रखना, स्वच्छता बनाए रखना, घास पर न लेटना, नंगे पैर घास पर न चलना जैसी सावधानियां बरते. लक्षण दिखने पर चिकित्सक को दिखाएं

डॉ. बाबेश बरवाल ने कहा कि अस्पताल में उपचाराधीन पांच में से दो रोगियों को सेहत में सुधार होने पर छुट्टी दे दी गई है. शेष तीन का इलाज चल रहा है. उन्होंने लोगों को सावधानियां बरतने का आग्रह किया है.

ये भी पढ़ें- कांग्रेस नेताओं ने जूते डाल कर दी बापू को पुष्पांजलि, गांधी के आदर्शों की दुहाई देने वाले भूले अनुशासन

Intro:जिला में पांव पसार रहा स्क्रब टायफस, 5 मामले सामने आए
हमीरपुर.
जिला हमीरपुर में स्क्रब टायफस ने पांव पसारना शुरू कर दिए हैं जिले के पांच लोग स्क्रब टायफस की चपेट में आ गए हैं। इन सभी का इलाज डॉ. राधाकृष्णन मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में चल रहा है। सभी मरीजों को बुखार और सिरदर्द की स्थिति में अस्पताल लाया गया लेकिन, जब चिकित्सकों ने इनकी जांच की और खून जांच के लिए भेजा तो यह सभी स्क्रब टायफस पॉजीटिव पाए गए। इसके बाद चिकित्सकों ने इनका इलाज आरंभ कर दिया। पूर्व में भी अस्पताल में स्क्रब टायफस के मरीज आते रहे हैं। अब भी इसके मरीजों में कमी नहीं आई है। इसके अलावा मलेरिया और डेंगू के मरीजों पर अंकुश लगा है। इन रोगों से पीड़ित अब कोई भी मरीज अस्पताल नहीं पहुंच रहा है।

चिकित्सकों के अनुसार स्क्रब टायफस एक पिस्सू के काटने से होता है। यह बीमारी ज्यादातर उन लोगों को होती है जो जंगली इलाके या झाड़ियों के पास, चूहों वाली जगह, घास वाले इलाकों में रहते हैं। क्योंकि इन जगहों पर पाए जाने वाला पिस्सू जब मनुष्य को काटता है तो वह स्क्रब टायफस का शिकार होता है। इसके लक्षण बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, ठंड लगना, त्वचा पर चकते होना, कटने वाली जगह पर निशान धीरे-धीरे बड़ा होना और इसके बाद उक्त त्वचा पर काले रंग की पपड़ी बनना और उतरना इसके लक्षण हैं। मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के मेडिसन विशेषज्ञ डॉ. बाबेश बरवाल का कहना है कि इसके बचाव के लिए पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनना, खुद को झाड़ियों या घास से दूर रखना, स्वच्छता बनाए रखना, घास पर न लेटना, चूहों को न पनपने देना, नंगे पैर घास पर न चलना और लक्षण दिखने पर चिकित्सक को दिखाना आदि सावधानियां बरतनी अनिवार्य हैं। उन्होंने कहा कि अस्पताल में उपचाराधीन पांच में से दो रोगियों को सेहत में सुधार होने पर छुट्टी दे दी गई है। शेष तीन का इलाज चल रहा है। उन्होंने लोगों को सावधानियां बरतने का आग्रह किया है।  


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