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नौ पोस्ट कोड के रिजल्ट का इंतजार, जानिए किस पेंच में फंसी है सुखविंदर सरकार और कब निकलेगा रिजल्ट

हिमाचल में भंग हो चुके कर्मचारी चयन आयोग द्वारा लिए गए नौ पोस्ट कोड के रिजल्ट नहीं निकले हैं. आखिर रिजल्ट कब निकलेगा और इतनी देर क्यों लग रही है. जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

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सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू (फाइल फोटो).
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Published : May 31, 2023, 7:32 PM IST

शिमला: हिमाचल के युवा भंग हो चुके कर्मचारी चयन आयोग की तरफ से पूर्व में ली गई परीक्षाओं के परिणाम को लेकर चिंतित हैं. उनकी चिंता लाजमी है, क्योंकि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के आश्वासन के बावजूद नौ पोस्ट कोड के रिजल्ट नहीं निकले हैं. मई के पहले पखवाड़े में सीएम सुखविंदर सिंह ने सात दिन के भीतर रिजल्ट निकालने की बात कही थी. अब कांगड़ा जिले के फतहपुर में सीएम ने कहा कि जल्दी ही रिजल्ट निकलेगा. कुछ तकनीकी कारणों का सीएम ने इशारा किया. ऐसे में युवाओं के बीच ये जिज्ञासा का विषय है कि आखिरकार रिजल्ट निकालने में कहां देरी हो रही है और पेंच कहां फंसा है. यहां इस खबर में उन सभी सवालों का जवाब मिलेगा.

कहां फंसा हैं पेंच: अब बात ये है कि जब सीएम सुखविंदर सिंह ने भी कह दिया और लोकसेवा आयोग भी सहमत है तो आखिरकार रिजल्ट क्यों नहीं निकल रहा. कारण ये है कि लोकसेवा आयोग को हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग से जो रिकार्ड मिला है, उसके अनुसार रिजल्ट घोषित करने में तकनीकी और एक कानूनी पहलू आड़े आ रहा है. कानूनी पहलू ये है कि किसी भी परीक्षा का रिजल्ट घोषित करने से पहले रिजल्ट वाले डॉक्यूमेंट पर भर्ती एजेंसी के चेयरमैन, सचिव व मेंबर्स इन सभी के हस्ताक्षर होने चाहिए. अब लोकसेवा आयोग के पास जब रिकार्ड पहुंचा तो पता चला कि वो अधूरा है और किसी भर्ती कोड में मेंबर्स के साइन नहीं हैं तो किसी में सचिव के हस्ताक्षर नहीं हुए हैं. ऐसे में रिजल्ट वाले डॉक्यूमेंट की लीगल वैलिडिटी नहीं रहती है. अब लोकसेवा आयोग ने उपरोक्त सारे डॉक्यूमेंट की छानबीन और जांच के लिए दो सदस्यीय टीम भंग किए गए कर्मचारी चयन आयोग भेजी है. वहां तैनात ओएसडी से रिकार्ड को लेकर वेरीफिकेशन आदि की प्रक्रिया पूरी की जाएगी. ऐसे में रिजल्ट घोषित करने में कम से कम एक पखवाड़ा लग जाएगा.

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हिमाचल प्रदेश लोकसेवा आयोग शिमला.

आखिर क्यों डरा लोकसेवा आयोग: उल्लेखनीय है कि पूर्व में हुए एक घटनाक्रम से लोकसेवा आयोग संभल कर कदम रख रहा है. पूर्व में एक मामले में जलशक्ति विभाग में इंजीनियर भर्ती का रिजल्ट निकाला तो उसमें लोकसेवा आयोग के एक सदस्य के साइन नहीं थे. किसी शिकायत के कारण मामला हाई कोर्ट पहुंचा तो हाई कोर्ट ने तकनीकी आधार पर रिजल्ट रद्द कर दिया था. हाई कोर्ट ने फाइंडिंग दी थी कि सभी के साइन जरूरी हैं और बिना साइन के इस डॉक्यूमेंट की लीगल वैलिडिटी नहीं है. यही कारण है कि लोकसेवा आयोग फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है, ताकि किसी कानूनी पहलू के सामने आने पर बाद में किरकिरी ना हो. फिलहाल, रिजल्ट की राह देख रहे युवाओं को अभी और इंतजार करना पड़ेगा.

Read Also- रोहतांग दर्रे में Snowfall, पर्यटकों ने बर्फ के बीच की मस्ती, कुल्लू में निचले इलाकों में बारिश से Temperature हुआ Cool

पेपर लीक प्रकरण के बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग को भंग कर दिया था. आयोग के भंग हो जाने के बाद हजारों नौकरियों की परीक्षाओं के परिणाम ठंडे बस्ते में चले गए. विजिलेंस की जांच में पाया गया कि नौ पोस्ट कोड ऐसे हैं, जिनमें किसी तरह की धांधली के सुबूत नहीं मिले हैं. ऐसे में सरकार चाहे तो उनका रिजल्ट घोषित हो सकता है. विजिलेंस की रिपोर्ट के बाद गेंद राज्य सरकार व लोकसेवा आयोग के पाले में आ गई.

उसके बाद लोकसेवा आयोग ने कर्मचारी चयन आयोग के नौ पोस्ट कोड का सारा रिकार्ड तलब किया. यहां बता दें कि कर्मचारी चयन आयोग को भंग किए जाने के बाद वहां सरकार ने एक एचएएस अधिकारी को ओएसडी नियुक्त किया है. साथ ही नियुक्ति व क्लास थ्री की भर्ती के लिए लोकसेवा आयोग को काम सौंपा है. खैर, कर्मचारी चयन आयोग के सारा रिकार्ड लोकसेवा आयोग के पास आ गया. यहां पूरे मामले की संक्षिप्त पृष्ठभूमि पर भी बात करते हैं.

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भंग हो चुका कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर.

सरकार ने नई भर्ती एजेंसी बनने तक लोकसेवा आयोग को हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग (भंग) का कामकाज सौंपा है. कर्मचारी चयन आयोग में धांधली की विजिलेंस जांच के बाद पाया गया कि नौ पोस्ट कोड में गड़बड़ी नहीं हुई है. इनकी परीक्षा हो चुकी है और सिर्फ परिणाम घोषित करना बाकी है. हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग के भंग होने के बाद करीब 42 पोस्ट कोड की भर्तियों की प्रक्रिया रुकी है. इनमें से 22 पोस्ट कोड विजिलेंस ब्यूरो की जांच के तहत थे. अब जिन भर्तियों में पेपर लीक अब नहीं मिल रहा था, विजिलेंस उनकी क्लोजर रिपोर्ट भी साथ-साथ ही बना रहा था. इसी के आधार पर रिजल्ट घोषित करने का रास्ता निकला है.

Read Also- वाटर सेस और SYL के मुद्दे पर 5 जून को मिलेंगे हरियाणा-हिमाचल के CM

शिमला: हिमाचल के युवा भंग हो चुके कर्मचारी चयन आयोग की तरफ से पूर्व में ली गई परीक्षाओं के परिणाम को लेकर चिंतित हैं. उनकी चिंता लाजमी है, क्योंकि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के आश्वासन के बावजूद नौ पोस्ट कोड के रिजल्ट नहीं निकले हैं. मई के पहले पखवाड़े में सीएम सुखविंदर सिंह ने सात दिन के भीतर रिजल्ट निकालने की बात कही थी. अब कांगड़ा जिले के फतहपुर में सीएम ने कहा कि जल्दी ही रिजल्ट निकलेगा. कुछ तकनीकी कारणों का सीएम ने इशारा किया. ऐसे में युवाओं के बीच ये जिज्ञासा का विषय है कि आखिरकार रिजल्ट निकालने में कहां देरी हो रही है और पेंच कहां फंसा है. यहां इस खबर में उन सभी सवालों का जवाब मिलेगा.

कहां फंसा हैं पेंच: अब बात ये है कि जब सीएम सुखविंदर सिंह ने भी कह दिया और लोकसेवा आयोग भी सहमत है तो आखिरकार रिजल्ट क्यों नहीं निकल रहा. कारण ये है कि लोकसेवा आयोग को हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग से जो रिकार्ड मिला है, उसके अनुसार रिजल्ट घोषित करने में तकनीकी और एक कानूनी पहलू आड़े आ रहा है. कानूनी पहलू ये है कि किसी भी परीक्षा का रिजल्ट घोषित करने से पहले रिजल्ट वाले डॉक्यूमेंट पर भर्ती एजेंसी के चेयरमैन, सचिव व मेंबर्स इन सभी के हस्ताक्षर होने चाहिए. अब लोकसेवा आयोग के पास जब रिकार्ड पहुंचा तो पता चला कि वो अधूरा है और किसी भर्ती कोड में मेंबर्स के साइन नहीं हैं तो किसी में सचिव के हस्ताक्षर नहीं हुए हैं. ऐसे में रिजल्ट वाले डॉक्यूमेंट की लीगल वैलिडिटी नहीं रहती है. अब लोकसेवा आयोग ने उपरोक्त सारे डॉक्यूमेंट की छानबीन और जांच के लिए दो सदस्यीय टीम भंग किए गए कर्मचारी चयन आयोग भेजी है. वहां तैनात ओएसडी से रिकार्ड को लेकर वेरीफिकेशन आदि की प्रक्रिया पूरी की जाएगी. ऐसे में रिजल्ट घोषित करने में कम से कम एक पखवाड़ा लग जाएगा.

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हिमाचल प्रदेश लोकसेवा आयोग शिमला.

आखिर क्यों डरा लोकसेवा आयोग: उल्लेखनीय है कि पूर्व में हुए एक घटनाक्रम से लोकसेवा आयोग संभल कर कदम रख रहा है. पूर्व में एक मामले में जलशक्ति विभाग में इंजीनियर भर्ती का रिजल्ट निकाला तो उसमें लोकसेवा आयोग के एक सदस्य के साइन नहीं थे. किसी शिकायत के कारण मामला हाई कोर्ट पहुंचा तो हाई कोर्ट ने तकनीकी आधार पर रिजल्ट रद्द कर दिया था. हाई कोर्ट ने फाइंडिंग दी थी कि सभी के साइन जरूरी हैं और बिना साइन के इस डॉक्यूमेंट की लीगल वैलिडिटी नहीं है. यही कारण है कि लोकसेवा आयोग फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है, ताकि किसी कानूनी पहलू के सामने आने पर बाद में किरकिरी ना हो. फिलहाल, रिजल्ट की राह देख रहे युवाओं को अभी और इंतजार करना पड़ेगा.

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पेपर लीक प्रकरण के बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग को भंग कर दिया था. आयोग के भंग हो जाने के बाद हजारों नौकरियों की परीक्षाओं के परिणाम ठंडे बस्ते में चले गए. विजिलेंस की जांच में पाया गया कि नौ पोस्ट कोड ऐसे हैं, जिनमें किसी तरह की धांधली के सुबूत नहीं मिले हैं. ऐसे में सरकार चाहे तो उनका रिजल्ट घोषित हो सकता है. विजिलेंस की रिपोर्ट के बाद गेंद राज्य सरकार व लोकसेवा आयोग के पाले में आ गई.

उसके बाद लोकसेवा आयोग ने कर्मचारी चयन आयोग के नौ पोस्ट कोड का सारा रिकार्ड तलब किया. यहां बता दें कि कर्मचारी चयन आयोग को भंग किए जाने के बाद वहां सरकार ने एक एचएएस अधिकारी को ओएसडी नियुक्त किया है. साथ ही नियुक्ति व क्लास थ्री की भर्ती के लिए लोकसेवा आयोग को काम सौंपा है. खैर, कर्मचारी चयन आयोग के सारा रिकार्ड लोकसेवा आयोग के पास आ गया. यहां पूरे मामले की संक्षिप्त पृष्ठभूमि पर भी बात करते हैं.

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भंग हो चुका कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर.

सरकार ने नई भर्ती एजेंसी बनने तक लोकसेवा आयोग को हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग (भंग) का कामकाज सौंपा है. कर्मचारी चयन आयोग में धांधली की विजिलेंस जांच के बाद पाया गया कि नौ पोस्ट कोड में गड़बड़ी नहीं हुई है. इनकी परीक्षा हो चुकी है और सिर्फ परिणाम घोषित करना बाकी है. हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग के भंग होने के बाद करीब 42 पोस्ट कोड की भर्तियों की प्रक्रिया रुकी है. इनमें से 22 पोस्ट कोड विजिलेंस ब्यूरो की जांच के तहत थे. अब जिन भर्तियों में पेपर लीक अब नहीं मिल रहा था, विजिलेंस उनकी क्लोजर रिपोर्ट भी साथ-साथ ही बना रहा था. इसी के आधार पर रिजल्ट घोषित करने का रास्ता निकला है.

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