हमीरपुर: जिला हमीरपुर में औद्यानिकी एवं वानिकी कॉलेज नेरी में छात्रों को अब शिक्षण संबंधित और भी ज्यादा सुविधाएं प्राप्त होंगी. अब औद्यानिकी एवं वानिकी कॉलेज नेरी में पीएचडी की पढ़ाई भी इसी सत्र शुरू होने जा रही है. इसके तहत नेरी कॉलेज में 6 विषयों में पीएचडी शुरू होगीस जिसमें फल विज्ञान, सॉइल साइंस और प्लांट पैथोलॉजी के विषय शामिल हैं. इसके अलावा नेरी कॉलेज में 5 नए विषयों में मास्टर डिग्री की पढ़ाई भी की जाएगी. अब यहां के छात्र 5 नए विषयों में मास्टर और 6 विषयों में शोधार्थी पीएचडी कर सकेंगे.
नेरी कॉलेज में 5 मास्टर डिग्री और 6 विषयों पर पीएचडी: वहीं, 5 नए विषय मे मास्टर डिग्री शुरू होने से यहां के छात्रों को बहुत लाभ मिलेगा. अब छात्रों को कहीं और जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और नेरी कॉलेज में ही छात्र अपनी ग्रेजुएशन, मास्टर और यहां तक की पीएचडी की पढ़ाई भी कर सकते हैं. इससे पहले इन विषयों में पढ़ाई करने के लिए हमीरपुर के छात्रों को देश और प्रदेश के अन्य कॉलेज और यूनिवर्सिटी का रुख करना पड़ता था, लेकिन अब नेरी कॉलेज में मास्टर डिग्री शुरू होने से छात्रों को अपने ही जिले के कॉलेज में अपनी पढ़ाई पूरा करने का मौका मिलेगा.
2011 में हुई थी नेरी कॉलेज की स्थापना: औद्यानिकी एवं वानिकी कॉलेज नेरी की स्थापना साल 2011 में हुई थी. नेरी कॉलेज की स्थापना के बाद 2017 में यहां पर मास्टर डिग्री की पढ़ाई शुरू हुई. नेरी कॉलेज के डीन डॉ. सोमदत शर्मा ने बताया कि कॉलेज के लगभग 150 छात्रों ने दुनिया भर के बड़े और नामी संस्थानों में प्रवेश हासिल किया है. साल 2015 में कॉलेज से पहला बैच पास आउट हुआ था और तब से लेकर अब तक 150 छात्र जूनियर रिसर्च फैलोशिप लेकर विश्व भर के बड़े संस्थानों में उच्च शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं. पिछले साल ही संस्थान के 5 छात्रों ने जूनियर रिसर्च फैलोशिप और 5 छात्रों ने गेट का एग्जाम पास किया है.
इन विषयों में होगी मास्टर डिग्री की पढ़ाई: औद्यानिकी एवं वानिकी कॉलेज नेरी के डीन डॉ. सोमदत शर्मा ने बताया कि फ्लोरीकल्चर, ट्री बायोलॉजी, फॉरेस्ट प्रोडक्ट यूटिलाइजेशन, माइक्रोबायोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री में मास्टर डिग्री प्रोग्राम शुरू किए जाएंगे. माइक्रोबायोलॉजी विषय के अंतर्गत ऑर्गेनिक खेती को लेकर विद्यार्थी पढ़ाई कर पाएंगे. उन्होंने कहा कि नेरी कॉलेज के छात्रों ने विभिन्न विश्वविद्यालयों और बड़े संस्थानों में दाखिला प्राप्त किया है. 2015 से अब तक लगभग 150 छात्रों ने जूनियर रिसर्च फैलोशिप की परीक्षा उत्तीर्ण की है.
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