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मैंने तो पहले ही कहा था, मानव भारती फर्जी डिग्री घोटाले के जिम्मेदार और भी हैं: राणा

प्रारंभिक जानकारी बता रही है कि अब तक के इस फर्जीवाड़े में 36 हजार फर्जी डिग्रियां बेची गई हैं. करीब 80 फीसदी से ज्यादा छात्रों की डिग्रियां फर्जी बताई जा रही हैं और अब ईडी की जांच में इस फर्जीवाड़ा के सरगना की 194 करोड़ के करीब संपत्ति अटैच की गई है. यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है.

MLA Rajendra Rana news, विधायक राजेंद्र राणा न्यूज
विधायक राजेंद्र राणा
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Published : Feb 2, 2021, 9:15 PM IST

सुजानपुर: हिमाचल के फर्जी डिग्री घोटाले से आधे भारत में हड़कंप मचा है. प्रारंभिक जानकारी बता रही है कि अब तक के इस फर्जीवाड़े में 36 हजार फर्जी डिग्रियां बेची गई हैं. करीब 80 फीसदी से ज्यादा छात्रों की डिग्रियां फर्जी बताई जा रही हैं और अब ईडी की जांच में इस फर्जीवाड़ा के सरगना की 194 करोड़ के करीब संपत्ति अटैच की गई है. यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है.

विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि वह लगातार इस मामले को प्रमुखता से उठाते आए हैं. विधानसभा सत्र में भी इस मामले की जांच की आवाज उठाई गई है, लेकिन अब सवाल यह उठता है कि जब ईडी की जांच में यह फर्जीवाड़ा पूरी तरह से साबित हो गया है तो इस फर्जीवाड़े के सूत्रधारों की भी जांच होना जरूरी है.

राणा ने कहा कि जब इस फर्जीवाड़े के सरगना राजकुमार का अपराधिक रिकॉर्ड सरकार के समक्ष था तो वह ऐसे कौन से कारण थे कि इसके अपराधिक रिकॉर्ड को नजरअंदाज करके तत्कालीन सरकार ने तमाम नियमों को दरकिनार करते हुए इसको यूनिवर्सिटी चलाने की इजाजत दी. वह कौन लोग थे, जिनकी सरपरस्ती में गुनाह का यह साम्राज्य फलता फूलता गया और इसने आधे भारत में अपने पांव पसार लिए.

'फर्जीवाड़े के कनेक्शन सीधे तौर पर देश के 17 राज्यों तक फैले हैं'

राणा ने कहा कि जो-जो तथ्य अब इस शिक्षा माफिया के सरगना के खिलाफ पाए गए हैं. उन तथ्यों को वह लगातार प्रमुखता से उठाते आ रहे हैं. प्रदेश से शुरू हुए इस सबसे बड़े फर्जीवाड़े के कनेक्शन सीधे तौर पर देश के 17 राज्यों तक फैले हैं. यह एसआईटी ने अपनी जांच में पाया है.

राणा ने खुलासा किया कि यह घोटाला अभी तक की हुई जांच में आए तथ्यों से कहीं ज्यादा बड़ा है. लेकिन अब सरकार को इस घोटाले को शुरू करवाने वालों के खिलाफ निष्पक्षता से जांच करनी चाहिए. क्योंकि यह मामला सीधे तौर पर छात्रों के हितों व हकों से जुड़ा है, लेकिन इस कहानी के असली कथाकार अभी भी बचे हुए हैं. जिनके संरक्षण और लगातार मिली शह के कारण प्रदेश को बदनाम करने वाले इस घोटाले की शुरुआत हुई थी.

फर्जी डिग्रियों के माध्यम से कई लोगों ने ली नौकरियां

कहा कि यह घोटाला देश तक ही सीमित नहीं रहा है. ऐसे हजारों लोग हैं जिनकी जेबों पर डाका डालकर फर्जी डिग्रियां बेची गई हैं और वह विदेशों में इन फर्जी डिग्रियों के माध्यम पर नौकरियां हासिल कर चुके हैं. राणा ने कहा कि सवाल यह भी उठता है कि जब हिमाचल में इस माफिया सरगना ने पहली यूनिवर्सिटी खोली थी तब यह जमीन संबंधी औपचारिकता तक को पूरी नहीं करता था लेकिन तब विधानसभा में सत्ता ने अपनी विशेष शक्तियों का दुरुपयोग करके इसको यूनिवर्सिटी खोलने की अनुमति दी थी.

'देश और प्रदेश को लूटने का जरिया बनाया गया था'

उन्होंने कहा कि एसआईटी द्वारा जुटाए गए तथ्यों में ऐसा कोई तथ्य नहीं है जिसको उन्होंने न उठाया हो बल्कि अभी तक इसमें ऐसे खुलासे होने बाकी हैं. जिनको वह लगातार उठा चुके हैं. इस सारे खेल में शिक्षा विभाग को पंगु बनाकर सत्ता की धौंस और दबाव में इसके मुख्य आरोपी राजकुमार को किसके संरक्षण में जनता के हितों से खिलवाड़ करके देश और प्रदेश को लूटने का जरिया बनाया गया था. उसका खुलासा होना अभी बाकी है.

ये भी पढ़ें- हिमाचल में निकलेगी स्वर्णिम रथ यात्रा, CM बोले: 50 वर्षों की उपलब्धियों पर डाला जाएगा प्रकाश

सुजानपुर: हिमाचल के फर्जी डिग्री घोटाले से आधे भारत में हड़कंप मचा है. प्रारंभिक जानकारी बता रही है कि अब तक के इस फर्जीवाड़े में 36 हजार फर्जी डिग्रियां बेची गई हैं. करीब 80 फीसदी से ज्यादा छात्रों की डिग्रियां फर्जी बताई जा रही हैं और अब ईडी की जांच में इस फर्जीवाड़ा के सरगना की 194 करोड़ के करीब संपत्ति अटैच की गई है. यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है.

विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि वह लगातार इस मामले को प्रमुखता से उठाते आए हैं. विधानसभा सत्र में भी इस मामले की जांच की आवाज उठाई गई है, लेकिन अब सवाल यह उठता है कि जब ईडी की जांच में यह फर्जीवाड़ा पूरी तरह से साबित हो गया है तो इस फर्जीवाड़े के सूत्रधारों की भी जांच होना जरूरी है.

राणा ने कहा कि जब इस फर्जीवाड़े के सरगना राजकुमार का अपराधिक रिकॉर्ड सरकार के समक्ष था तो वह ऐसे कौन से कारण थे कि इसके अपराधिक रिकॉर्ड को नजरअंदाज करके तत्कालीन सरकार ने तमाम नियमों को दरकिनार करते हुए इसको यूनिवर्सिटी चलाने की इजाजत दी. वह कौन लोग थे, जिनकी सरपरस्ती में गुनाह का यह साम्राज्य फलता फूलता गया और इसने आधे भारत में अपने पांव पसार लिए.

'फर्जीवाड़े के कनेक्शन सीधे तौर पर देश के 17 राज्यों तक फैले हैं'

राणा ने कहा कि जो-जो तथ्य अब इस शिक्षा माफिया के सरगना के खिलाफ पाए गए हैं. उन तथ्यों को वह लगातार प्रमुखता से उठाते आ रहे हैं. प्रदेश से शुरू हुए इस सबसे बड़े फर्जीवाड़े के कनेक्शन सीधे तौर पर देश के 17 राज्यों तक फैले हैं. यह एसआईटी ने अपनी जांच में पाया है.

राणा ने खुलासा किया कि यह घोटाला अभी तक की हुई जांच में आए तथ्यों से कहीं ज्यादा बड़ा है. लेकिन अब सरकार को इस घोटाले को शुरू करवाने वालों के खिलाफ निष्पक्षता से जांच करनी चाहिए. क्योंकि यह मामला सीधे तौर पर छात्रों के हितों व हकों से जुड़ा है, लेकिन इस कहानी के असली कथाकार अभी भी बचे हुए हैं. जिनके संरक्षण और लगातार मिली शह के कारण प्रदेश को बदनाम करने वाले इस घोटाले की शुरुआत हुई थी.

फर्जी डिग्रियों के माध्यम से कई लोगों ने ली नौकरियां

कहा कि यह घोटाला देश तक ही सीमित नहीं रहा है. ऐसे हजारों लोग हैं जिनकी जेबों पर डाका डालकर फर्जी डिग्रियां बेची गई हैं और वह विदेशों में इन फर्जी डिग्रियों के माध्यम पर नौकरियां हासिल कर चुके हैं. राणा ने कहा कि सवाल यह भी उठता है कि जब हिमाचल में इस माफिया सरगना ने पहली यूनिवर्सिटी खोली थी तब यह जमीन संबंधी औपचारिकता तक को पूरी नहीं करता था लेकिन तब विधानसभा में सत्ता ने अपनी विशेष शक्तियों का दुरुपयोग करके इसको यूनिवर्सिटी खोलने की अनुमति दी थी.

'देश और प्रदेश को लूटने का जरिया बनाया गया था'

उन्होंने कहा कि एसआईटी द्वारा जुटाए गए तथ्यों में ऐसा कोई तथ्य नहीं है जिसको उन्होंने न उठाया हो बल्कि अभी तक इसमें ऐसे खुलासे होने बाकी हैं. जिनको वह लगातार उठा चुके हैं. इस सारे खेल में शिक्षा विभाग को पंगु बनाकर सत्ता की धौंस और दबाव में इसके मुख्य आरोपी राजकुमार को किसके संरक्षण में जनता के हितों से खिलवाड़ करके देश और प्रदेश को लूटने का जरिया बनाया गया था. उसका खुलासा होना अभी बाकी है.

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