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भोरंज में पटरी पर लौट रही जिंदगी, काम मिलने से प्रवासी मजदूर खुश - Bhoranj laborers

भोरंज उपमंडल में प्रवासी मजदूरों के चेहेर पर खुशी साफ झलक रही है. काम मिलने से उनकी जिंदगी पटरी पर लौटने लगी है. लॉकडाउन के कारण काम धंधे बंद हो गए थे, जिसके कारण मजदूरों की आमदनी का जरिया भी बंद हो गया था. वहीं, अब दिहाड़ी मजदूरी लगाने वाले प्रवासी मजदूरों को काम मिलना शुरू हो गया है.

migrant laborers happy with getting work in bhoranj
प्रवासी मजदूर
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Published : Jun 4, 2020, 1:07 PM IST

भोरंज/हमीरपुर: जिला हमीरपुर के भोरंज उपमंडल में प्रवासी मजदूरों के चेहेर पर एक बार फिर खुशी साफ झलक रही है. काम मिलने से उनकी जिंदगी पटरी पर लौटने लगी है. इससे प्रवासी मजदूरों के हालात भी सुधरने लगे हैं. लॉकडाउन के कारण काम धंधे बंद हो गए थे, जिसके कारण मजदूरों की आमदनी का जरिया भी बंद हो गया था. वहीं, अब दिहाड़ी मजदूरी लगाने वाले प्रवासी मजदूरों को काम मिलना शुरू हो गया है.

भोरंज क्षेत्र में भवन निर्माण के कार्य में जुटे मजदूर, मिस्त्री, टाइल लगाने वाले, कारपेंटर, दर्जी, कबाड़ी और वेल्डरों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा था, लेकिन अब निर्माण कार्य शुरू होने के बाद उनकी स्थिति कुछ सुधर रही है.

गौरतलब है कि भोरंज उपमंडल के जाहू, मुंडखर, सुलगवान, भरेड़ी, बस्सी-भोरंज, तरक्वाड़ी, लदरौर, पट्टा व अन्य कस्बों में मजदूर बढ़ी संख्या में रहते थे, लेकिन कोरोना महामारी के चलते लगाए गए लॉकडाउन व क‌र्फ्यू के कारण रोजी-रोटी की मुसीबत होने के चलते कुछ मजदूर घरों को लौट गए हैं. वहीं, कुछ बचे हुए लोग अब अपने काम धंधों में जुट गए हैं. अब उन मजदूरों को काम मिलने लगा है, जिससे अब उनकी रोजी रोटी का गुजारा होने लगा है.

वीडियो रिपोर्ट

प्रवासी मजदूरों ने घर वापस जाने के सवाल पर बताया कि वहां जाने पर करोना संक्रमण का खतरा ज्यादा था. साथ ही उन्हें घर जाकर 24 दिनों के लिए क्वांरटाइन किया जाना था. इसलिए संकट की इस घड़ी में भी यहीं रहने का फैसला लिया. उन्होंने कहा कि अब हालात सुधरने पर उन्हें काम मिलना शुरू हो गया है, जिससे अब वे खुश हैं.

ये भी पढ़ें: कर्फ्यू में छूट के बावजूद बाजारों में पसरा सन्नाटा, दुकानदारों को सता रही भविष्य की चिंता

मध्य प्रदेश के निवासी महेंद्र ने बताया कि लॉकडाउन के चलते 1 महीने तक उन्हें कोई काम नहीं मिला. काम न मिलने से उनके ज्यादातर साथी अपने-अपने घरों को भी लौट गए हैं. बिहार के मोहन ने बताया कि लॉकडाउन में काम बंद था, लेकिन अब काम मिलने लगा है, जिससे वे खुश हैं.

ये भी पढ़ें: बिना पेनल्टी के जमा हो गृह कर, लोगों ने जिला उपायुक्त और संकल्प समिति से लगाई गुहार

भोरंज/हमीरपुर: जिला हमीरपुर के भोरंज उपमंडल में प्रवासी मजदूरों के चेहेर पर एक बार फिर खुशी साफ झलक रही है. काम मिलने से उनकी जिंदगी पटरी पर लौटने लगी है. इससे प्रवासी मजदूरों के हालात भी सुधरने लगे हैं. लॉकडाउन के कारण काम धंधे बंद हो गए थे, जिसके कारण मजदूरों की आमदनी का जरिया भी बंद हो गया था. वहीं, अब दिहाड़ी मजदूरी लगाने वाले प्रवासी मजदूरों को काम मिलना शुरू हो गया है.

भोरंज क्षेत्र में भवन निर्माण के कार्य में जुटे मजदूर, मिस्त्री, टाइल लगाने वाले, कारपेंटर, दर्जी, कबाड़ी और वेल्डरों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा था, लेकिन अब निर्माण कार्य शुरू होने के बाद उनकी स्थिति कुछ सुधर रही है.

गौरतलब है कि भोरंज उपमंडल के जाहू, मुंडखर, सुलगवान, भरेड़ी, बस्सी-भोरंज, तरक्वाड़ी, लदरौर, पट्टा व अन्य कस्बों में मजदूर बढ़ी संख्या में रहते थे, लेकिन कोरोना महामारी के चलते लगाए गए लॉकडाउन व क‌र्फ्यू के कारण रोजी-रोटी की मुसीबत होने के चलते कुछ मजदूर घरों को लौट गए हैं. वहीं, कुछ बचे हुए लोग अब अपने काम धंधों में जुट गए हैं. अब उन मजदूरों को काम मिलने लगा है, जिससे अब उनकी रोजी रोटी का गुजारा होने लगा है.

वीडियो रिपोर्ट

प्रवासी मजदूरों ने घर वापस जाने के सवाल पर बताया कि वहां जाने पर करोना संक्रमण का खतरा ज्यादा था. साथ ही उन्हें घर जाकर 24 दिनों के लिए क्वांरटाइन किया जाना था. इसलिए संकट की इस घड़ी में भी यहीं रहने का फैसला लिया. उन्होंने कहा कि अब हालात सुधरने पर उन्हें काम मिलना शुरू हो गया है, जिससे अब वे खुश हैं.

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मध्य प्रदेश के निवासी महेंद्र ने बताया कि लॉकडाउन के चलते 1 महीने तक उन्हें कोई काम नहीं मिला. काम न मिलने से उनके ज्यादातर साथी अपने-अपने घरों को भी लौट गए हैं. बिहार के मोहन ने बताया कि लॉकडाउन में काम बंद था, लेकिन अब काम मिलने लगा है, जिससे वे खुश हैं.

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