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इस किले में छिपा है अरबों का खजाना... सांप करते हैं रखवाली - mahal moriyan fort hamirpur

पहाड़ी राज्य हिमाचल में रियासती दौर में महल मोरिया किला शानों शौकत का उदाहरण रहा है. कटोच वंश के अंतिम शासक राजा संसार चंद ने हमीरपुर जिला में महल मोरिया किला भी बनवाया था. जिसे आज महल मोयरियां किला के नाम से जाना जाता है. किंवदंतियों के मुताबिक इस किले में आज भी अरबों का खजाना दबा हुआ है,

mahal moriyan fort hamirpur
महल मोयरियां किला
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Published : Feb 11, 2020, 12:10 AM IST

हमीरपुरः पहाड़ी राज्य हिमाचल में रियासतों के दौर के अधिकतर किले आज के दौर में जर्जर हो चुके हैं. रियासती दौर में राजा और प्रजा के लिए यह दुश्मनों पर नजर रखने का एक सशक्त माध्यम होते थे. शानों शौकत का उदाहरण ऐसा ही एक सरहदी किला कटोच वंश के अंतिम शासक राजा संसार चंद ने हमीरपुर जिला में भी बनवाया था. जिसे आज महल मोयरियां किला के नाम से जाना जाता है.

किंवदंतियों के अनुसार जिला हमीरपुर के उपमंडल भोरंज में स्थित महाराजा संसार चंद के प्राचीन महल मोरिया किले में आज भी अरबों रुपए का रियासती दौर का खजाना दबा हुआ है. खंडहर बन चुके इस किले की कहानी और जर्जर हालत को देखने के लिए ईटीवी भारत की टीम इस किले तक पहुंची, लेकिन इस एतेहासिक किले तक पहुंचने वाला सफर बेहद ही चुनौतीपूर्ण था. सड़क से करीब चार किलोमीटर का पैदल सफर कर सुनसान और जंगली रास्तों के बीच से स्थानीय निवासी के साथ ईटीवी भारत के संवाददाता कमलेश भारद्वाज ने सफर शुरू किया.

वीडियो.

किले तक पहुंचने के लिए कलकल बहती कुनाह खड्ड को पार कर खड़ी चढ़ाई शुरू की. करीब 1 घंटे की चढ़ाई के बाद ईटीवी भारत की सवांददाता स्थानीय निवासी के साथ किले तक पहुंच गए. महल मोरिया किले का सफर शुरू करते ही स्थानीय लोगों की तरफ से बताई जा रही यह कहानी रोंगटे खड़े कर देने वाली थी. मान्यता है कि इसमें दबा अरबों का खजाना आज भी सुरक्षित है. सरहदी किले में दबे इस खजाने की रक्षा इस जंगल में रहने वाले जहरीले सांप करते हैं. जिस किसी ने भी इस खजाने को निकालने का प्रयास किया उसे इन जहरीले सांपो का सामना करना पड़ा है

वहीं, गांवासियों ने बताया कि कई बार खजाने को निकालने के प्रयास भी किए गए हैं, लेकिन किसी को भी सफलता हाथ नहीं लगी. कई बार जहरीले सांपों से सामना होने के बाद लोगों ने खजाने को निकालने के प्रयास अब बंद कर दिए हैं. साथ ही इस किले की मौजूदा स्थिति के बारे में बात करें तो, आज भले ही इस किले की दीवारें ध्वस्त हो चुकी हों, लेकिन इसकी बनावट से पता चलता है कि यहां से दूर से आ रहा दुश्मन भी आसानी से देखा जा सकता था.

mahal moriyan fort hamirpur
महल मोयरियां किला

महल मोरियां का किला हमीरपुर जिला के महल गांव के बीच की पहाड़ी पर कुनाह खड्ड के किनारे पर हैं. इस गांव को आज भी महल नाम से जाना जाता है. जाहिर है कि इस गांव का नाम यहां पर सरहदी किला होने की वजह से रियासतों के दौर में पढ़ा था, जिस वजह से महल नाम से जाना जाता है.

यहां पर 1805 ई. में राजा संसार चंद गोरखा सेना के आगे परास्त हुए थे. महाराजा संसार चंद ने सुजानपुर टिहरा के साथ नादौन में कुछ समय व्यतीत किया जहां आज भी उनके पूर्वज रहते हैं.
कहा जाता है कि इस किले में ही मंडी रियासत के राजा ईश्वरी सेन को राजा संसार चंद ने कई वर्षों तक कैद करके रखा था, जिन्हें आजाद करने के लिए गोरखा सेना ने दो बार राजा संसार चंद से युद्ध लड़ा.

एक बार तो राजा संसार चंद ने गोरखा को खदेड़ दिया, लेकिन दूसरी बार वह किला नहीं बचा पाए और लंबी कैद के बाद राजा ईश्वरी सेन को गोरखा आजाद करके ले गए. तमाम बाधाओं को पार करने के बाद ईटीवी भारत की टीम यहां पर पहुंची और उस जगह को भी दिखाया जिसके बारे में अरबों रुपए का खजाना दबे होने की बात कही जाती है. हालांकि इसके कोई आधिकारिक प्रमाण नहीं है, लेकिन गांवासियों में यह धारणा यहां प्रचलित है.

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महल मोयरियां किला

इतना ही नहीं गुपचुप तरीके से इस खजाने को यहां से चुराने के प्रयास तो हुए हैं. इस सरहदी महल मोरियां किले पर हुई खुदाई इन प्रयासों का प्रमाण भी है, लेकिन सरकार और प्रशासन इस बारे में कुछ भी कहने को तैयार नहीं है. इस सरहदी किले की महज चंद दीवारें बची हैं और चारों ओर सिर्फ जंगल ही जंगल नजर आता है.

अब यहां पर इस किले को विकसित करने की संभावना भी लगभग ना के समान बची है. साथ ही इसके साथ सांपों द्वारा खजाने की रक्षा करने की दंतकथा भी इस किले के खंडहर में तबदील होने का बड़ा कारण बनी है. इसी तरह सरकार और स्थानीय लोगों की अनदेखी के चलते हिमाचल प्रदेश की एक और धरोहर मिट्टी में मिल गई.

हमीरपुरः पहाड़ी राज्य हिमाचल में रियासतों के दौर के अधिकतर किले आज के दौर में जर्जर हो चुके हैं. रियासती दौर में राजा और प्रजा के लिए यह दुश्मनों पर नजर रखने का एक सशक्त माध्यम होते थे. शानों शौकत का उदाहरण ऐसा ही एक सरहदी किला कटोच वंश के अंतिम शासक राजा संसार चंद ने हमीरपुर जिला में भी बनवाया था. जिसे आज महल मोयरियां किला के नाम से जाना जाता है.

किंवदंतियों के अनुसार जिला हमीरपुर के उपमंडल भोरंज में स्थित महाराजा संसार चंद के प्राचीन महल मोरिया किले में आज भी अरबों रुपए का रियासती दौर का खजाना दबा हुआ है. खंडहर बन चुके इस किले की कहानी और जर्जर हालत को देखने के लिए ईटीवी भारत की टीम इस किले तक पहुंची, लेकिन इस एतेहासिक किले तक पहुंचने वाला सफर बेहद ही चुनौतीपूर्ण था. सड़क से करीब चार किलोमीटर का पैदल सफर कर सुनसान और जंगली रास्तों के बीच से स्थानीय निवासी के साथ ईटीवी भारत के संवाददाता कमलेश भारद्वाज ने सफर शुरू किया.

वीडियो.

किले तक पहुंचने के लिए कलकल बहती कुनाह खड्ड को पार कर खड़ी चढ़ाई शुरू की. करीब 1 घंटे की चढ़ाई के बाद ईटीवी भारत की सवांददाता स्थानीय निवासी के साथ किले तक पहुंच गए. महल मोरिया किले का सफर शुरू करते ही स्थानीय लोगों की तरफ से बताई जा रही यह कहानी रोंगटे खड़े कर देने वाली थी. मान्यता है कि इसमें दबा अरबों का खजाना आज भी सुरक्षित है. सरहदी किले में दबे इस खजाने की रक्षा इस जंगल में रहने वाले जहरीले सांप करते हैं. जिस किसी ने भी इस खजाने को निकालने का प्रयास किया उसे इन जहरीले सांपो का सामना करना पड़ा है

वहीं, गांवासियों ने बताया कि कई बार खजाने को निकालने के प्रयास भी किए गए हैं, लेकिन किसी को भी सफलता हाथ नहीं लगी. कई बार जहरीले सांपों से सामना होने के बाद लोगों ने खजाने को निकालने के प्रयास अब बंद कर दिए हैं. साथ ही इस किले की मौजूदा स्थिति के बारे में बात करें तो, आज भले ही इस किले की दीवारें ध्वस्त हो चुकी हों, लेकिन इसकी बनावट से पता चलता है कि यहां से दूर से आ रहा दुश्मन भी आसानी से देखा जा सकता था.

mahal moriyan fort hamirpur
महल मोयरियां किला

महल मोरियां का किला हमीरपुर जिला के महल गांव के बीच की पहाड़ी पर कुनाह खड्ड के किनारे पर हैं. इस गांव को आज भी महल नाम से जाना जाता है. जाहिर है कि इस गांव का नाम यहां पर सरहदी किला होने की वजह से रियासतों के दौर में पढ़ा था, जिस वजह से महल नाम से जाना जाता है.

यहां पर 1805 ई. में राजा संसार चंद गोरखा सेना के आगे परास्त हुए थे. महाराजा संसार चंद ने सुजानपुर टिहरा के साथ नादौन में कुछ समय व्यतीत किया जहां आज भी उनके पूर्वज रहते हैं.
कहा जाता है कि इस किले में ही मंडी रियासत के राजा ईश्वरी सेन को राजा संसार चंद ने कई वर्षों तक कैद करके रखा था, जिन्हें आजाद करने के लिए गोरखा सेना ने दो बार राजा संसार चंद से युद्ध लड़ा.

एक बार तो राजा संसार चंद ने गोरखा को खदेड़ दिया, लेकिन दूसरी बार वह किला नहीं बचा पाए और लंबी कैद के बाद राजा ईश्वरी सेन को गोरखा आजाद करके ले गए. तमाम बाधाओं को पार करने के बाद ईटीवी भारत की टीम यहां पर पहुंची और उस जगह को भी दिखाया जिसके बारे में अरबों रुपए का खजाना दबे होने की बात कही जाती है. हालांकि इसके कोई आधिकारिक प्रमाण नहीं है, लेकिन गांवासियों में यह धारणा यहां प्रचलित है.

mahal moriyan fort hamirpur
महल मोयरियां किला

इतना ही नहीं गुपचुप तरीके से इस खजाने को यहां से चुराने के प्रयास तो हुए हैं. इस सरहदी महल मोरियां किले पर हुई खुदाई इन प्रयासों का प्रमाण भी है, लेकिन सरकार और प्रशासन इस बारे में कुछ भी कहने को तैयार नहीं है. इस सरहदी किले की महज चंद दीवारें बची हैं और चारों ओर सिर्फ जंगल ही जंगल नजर आता है.

अब यहां पर इस किले को विकसित करने की संभावना भी लगभग ना के समान बची है. साथ ही इसके साथ सांपों द्वारा खजाने की रक्षा करने की दंतकथा भी इस किले के खंडहर में तबदील होने का बड़ा कारण बनी है. इसी तरह सरकार और स्थानीय लोगों की अनदेखी के चलते हिमाचल प्रदेश की एक और धरोहर मिट्टी में मिल गई.

Intro:इस सरहदी किले में दबे अरबों रुपए के खजाने की रक्षा करते हैं जहरीले सांप , जाने क्या है वजह और क्या कहते हैं यहां के लोग
हमीरपुर
पहाड़ी राज्य हिमाचल में रियासतों के दौर के किले आज जर्जर हो चुके हैं शानों शौकत का उदाहरण होने के साथ ही सरहदी किले हमें उस दौर की याद दिलाते हैं जब राजा और प्रजा के लिए यह दुश्मनों पर नजर रखने का एक सशक्त माध्यम होते थे। ऐसा ही एक किला कटोच वंश के अंतिम शासक राजा संसार चंद ने हमीरपुर जिला में भी बनवाया था। किंवदंतियों के अनुसार जिला हमीरपुर के उपमंडल भोरंज में स्थित महाराजा संसार चंद के प्राचीन महल मोरिया किले में आज भी अरबों रुपए का रियासती दौर का खजाना दबा हुआ है। दंत कथाओं के अनुसार अरबों के  खजाने की रक्षा जहरीले सांप करते हैं।
दंत कथाओं के पीछे की कहानी को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम इसके लिए तक पहुंची किले तक पहुंचने वाला सफर बेहद ही चुनौतीपूर्ण था फरवरी माह की सर्दी में भी सुनसान और जंगल हो चुके रास्तों से मीलों का सफर तय करने के बाद स्थानीय निवासी करतार चंद के साथ ईटीवी भारत के संवाददाता यहां पर पहुंचे. किले तक पहुंचने से पहले हम एक बावड़ी भी रास्ते में नजर आई जिसका निर्माण कटोच वंश के शासक का राजा संसार चंद ने करवाया था यह से बावड़ी में हमने अपनी प्यास बुझाई और आगे का सफर शुरू किया. इस बावड़ी के साथ यहां पर एक राधा कृष्ण का मंदिर भी मौजूद है.




Body:किले तक पहुंचने के लिए कलकल बहती कुनाह खड्ड को पार कर चढ़ाई शुरू हुई करीब 1 घंटे की चढ़ाई के बाद किले तक पहुंचा जा सकता है। स्थानीय निवासी करतार चंद से भी इस दौरान हमने बातचीत की और उन्होंने बताया कि इस खजाने को निकालने की सोचना मतलब मौत को खुले तौर पर निमंत्रण देना है।  किसी को मौत की नींद सुलाने के लिए खजाने की रक्षा कर रहे जहरीले सांप की एक फूंकार ही काफी है। सफर की शुरुआत में स्थानीय लोगों की तरफ से बताई जा रही यह कहानी रोंगटे खड़े कर देने वाली थी। रास्ता भी बेहद ही भयंकर था जिस वजह से भी और भी मन में घर कर रहा था । भले ही यह किला आज खंडहर हो चुका हो लेकिन यदि स्थानीय बुजुर्ग की माने तो इसमें दबा अरबों का खजाना आज भी सुरक्षित है। जिस किसी ने भी इस खजाने को निकालने का प्रयास किया उसे खौफनाक कोबरा का सामना करना पड़ा। यही वजह है कि आज तक इस खजाने तक कोई नहीं पहुंच सका। अरबों के इस खजाने की रक्षा में तैनात सांप किसी को इसके नजदीक तक फटकने नहीं देते। कई बार खजाने को निकालने के प्रयास हुए लेकिन किसी को भी सफलता हाथ नहीं लगी। हर बार जहरीले सांपों से सामना होने के बाद लोगों ने खजाने को निकालने के प्रयास अब बंद कर दिए हैं। आज भले ही इस किले की दीवारें ध्वस्त हो चुकी हो, लेकिन इसकी बनावट से पता चलता है कि यहां से दूर से आ रहा दुश्मन भी आसानी से देखा जा सकता था।  



Conclusion:बता दें कि महल मोरियां का किला हमीरपुर जिला के महल गांव के बीच की पहाड़ी पर कुनाह खड्ड के किनारे पर हैं। इस गांव को आज भी महल नाम से जाना जाता है संभवत इस गांव का नाम यहां पर सरहदी अकेला होने की वजह से रियासतों के दौर में पढ़ा था जिस वजह से महल नाम से जाना जाता है। यहां पर 1805 ई. में राजा संसार चंद गोरखा सेना से परास्त हुए थे। महाराजा संसार चंद ने सुजानपुर टिहरा के साथ नादौन में कुछ समय व्यतीत किया जहां आज भी उनके पूर्वज रहते हैं। कहा जाता है कि इस किले में ही मंडी रियासत के राजा ईश्वरी सेन को राजा संसार चंद ने कई वर्षों तक कैद करके रखा था, जिन्हें आजाद करने के लिए गोरखा सेना ने दो बार राजा संसार चंद से युद्ध लड़ा। एक बार तो राजा संसार चंद ने गोरखा को खदेड़ दिया, लेकिन दूसरी बार वह किला नहीं बचा पाए और लंबी कैद के बाद राजा ईश्वरी सेन को को गोरखा आजाद करके ले गए। कहा यह भी जाता है कि इस किले में ही राजा संसार चंद का अरबों रुपए का खजाना छुपाया गया था, लेकिन रियासती दौर खत्म होने के बाद खजाने की महज कहानियां ही बची है जबकि महल मोरिया का यह किला लगभग मलबा ही हो चुका है। लोगों की मानें तो यह खजाना आज भी इस किले में दफन है जिसे निकालने के तमाम प्रयास हुए, लेकिन कोई भी इसमें कामयाब नहीं हो पाया है।

तमाम बाधाओं को पार करने के बाद ईटीवी भारत की टीम यहां पर पहुंची और उस जगह को भी दिखाया जहां पर यह कहा जाता है कि अरबों रुपए का खजाना दवा है हालांकि इसके कोई आधिकारिक प्रमाण तो नहीं है लेकिन लोगों में यह धारणा यहां पर प्रचलित है गुपचुप तरीके से इस खजाने को यहां से चुराने के प्रयास तो हुए हैं यहां पर हुई खुदाई इन प्रयासों का प्रमाण है लेकिन सरकार और प्रशासन इस बारे में कुछ भी कहने को तैयार नहीं है. इस सरहदी किले की महज चंद दीवारें बची हैं जबकि चारों तरफ जंगल ही जंगल नजर आता है अब यहां पर इस को विकसित करने की संभावना भी लगभग ना के समान हैं अब लोगों ने भी यह उम्मीद छोड़ दी है हालांकि यदि समय रहते सरकार ने गौर किया होता तो यहां पर पर्यटन की दृष्टि से इस क्षेत्र को विकसित किया जा सकता था ताकि स्थानीय लोगों को पर्यटन की दृष्टि से पैदा होने वाले रोजगार से फायदा मिलता है.

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