शिमला : वादों और सियासत का चोली दामन का साथ है. चुनाव आते ही नेताओं की जुबान वादों की चाशनी में लिपटी होती है. जनता की हर मांग, हर समस्या का समाधान ये वादे ही होते हैं लेकिन सियासतदानों के वादों को हकीकत की जमीन कम ही नसीब होती है. वरना ज्यादातर वादे तो वक्त के साथ भुला दिए जाते हैं और फिर अगले चुनाव में नए वादे नेताओं की जुबान पर चढ़ जाते हैं. एक ऐसा ही वादा बीते चुनाव के वक्त बीजेपी की तरफ से अनुबंध पर तैनात सरकारी कर्मचारियों को किया गया था. अब अगले चुनाव दहलीज पर दस्तक देने को हैं लेकिन वो वादा जैसे भारतीय जनता पार्टी को याद ही नहीं है.
2017 का वो वादा- 2017 के विधानसभा चुनाव को लेकर रैलियों का दौर चल रहा था और उन दिनों एक रैली सुजानपुर में हुई थी. जहां उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी आए थे. उस वक्त बीजेपी के सीएम उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल ने अनुबंध पर तैनात सरकारी कर्मियों के लिए नियुक्ति की तिथि से सीनियोरिटी का वादा किया था. उस वक्त प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने कहा था कि सरकार बनने के बाद इस मसले को हल करने के लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा, लेकिन सत्ता में आने के बाद भाजपा ने उनकी मांग को पूरा नहीं किया है.
वादा भूल गई भाजपा ?- दरअसल 2017 के चुनाव के बाद बीजेपी की सरकार को बन गई लेकिन प्रेम कुमार धूमल चुनाव हार गए. लेकिन बीजेपी की सरकार बनने से अनुबंध कर्मियों को उम्मीद जगी हुई थी. बीते साढ़े चार साल में कर्मचारी संगठनों ने इस मसले पर सरकार को लगभग पचास से अधिक ज्ञापन सौंपे हैं लेकिन कोई समाधान नहीं निकला है. सवाल है कि क्या भाजपा धूमल का किया वादा भूल गई है ? अपने कार्यकाल के आखिरी 6 महीनों में पहुंच चुकी बीजेपी सरकार की तरफ से अब तक कोई इशारा भी नहीं हुआ है.
कर्मचारियों की मांग क्या है- दरअसल हिमाचल में अनुबंध नियमित कर्मचारी प्रदेश सरकार के समक्ष लगातार नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता का लाभ देने की मांग (Seniority From Contract Period) उठा रहे हैं. कर्मचारी संगठन के महासचिव अनिल सेन के अनुसार इन कर्मचारियों के अनुबंध काल की सेवा को उनके कुल सेवा काल में नही जोड़ा (Himachal govt employees demand) जा रहा है, जोकि सरासर गलत है. इन कर्मचारियों की मांग है कि उनको नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता प्रदान की जाए, ताकि उन्हें समय रहते प्रमोशन (employees demand seniority from contract period) का लाभ मिल सके. हिमाचल में सरकारी कर्मचारियों की मांग को पिछली सरकारें पूरा नहीं कर पाई. ऐसे में चुनाव को देखते हुए धूमल ने 2017 में ये वादा कर दिया था.
जयराम सरकार ने क्या किया- प्रेम कुमार धूमल भले मुख्यमंत्री ना हों लेकिन सूबे में बीजेपी की सरकार है. कर्मचारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मुनीष गर्ग का कहना है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के समक्ष भी इस मांग को कई बार उठाया जा चुका है. जेसीसी की बैठक (jcc meeting himachal pradesh) में भी इस मांग पर कमेटी गठन की बात कही है, लेकिन अभी तक कोई कमेटी नहीं बनाई गई. इससे कर्मचारियों में निराशा है. अनुबंध काल की सेवा का वरिष्ठता लाभ न मिलने के कारण उनके कनिष्ठ साथी वरिष्ठ होते जा रहे हैं. लेकिन इस मांग पर अब तक सरकार की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया है.
सरकार ने की अनदेखी, क्या बढ़ेगी बीजेपी की मुश्किल - सवाल है कि क्या ये मुद्दा चुनावी साल में बीजेपी के लिए मुश्किल बन सकता है ? दरअसल हिमाचल में सत्ता बनाने और गिराने में कर्मचारियों (Govt Employees in Himachal) का बड़ा हाथ होता है. हर राजनीतिक दल चुनाव से पहले कर्मचारी फैक्टर का खास ख़्याल रखता है. कारण जो भी हो लेकिन जयराम सरकार ने अनुबंध कर्मियों की इस मांग को अब तक अनदेखा किया है. मुख्यमंत्री ने साफ कहा है कि अनुबंध कर्मियों को नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता लाभ दिया जाना सही नहीं है. पुरानी पेंशन बहाल होने की उम्मीद लिए बैठे कर्मचारी तो नाराज़ हो ही गए थे और अब तो नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता की मांग कर रहे कर्मचारी भी खफा (Himachal election and govt employees) हो गए है. ऐसे में कर्मचारियों की नाराजगी का खामियाज़ा सत्तारूढ़ भाजपा को भुगतना (Himachal Election 2022) पड़ सकता है.
कांग्रेस दे रही कर्मचारियों को उम्मीद- उधर सरकार से नाराज कर्मचारियों का हमदर्द विपक्ष बनता जा रहा है. मौके की नजाकत को देखते हुए दस्तूर भी यही बनता है. कांग्रेस भी जानती है कि हिमाचल के पौने तीन लाख कर्मचारियों को जो भाएगा सत्ता की सुनहरी चाबी उसी के हाथ लगेगी. इसलिये कांग्रेसी भी धड़ाधड़ वादे कर रहे हैं, ओल्ड पेंशन लागू करने का झंडा कांग्रेस पहले ही बुलंद कर चुकी है और कांग्रेस शासित राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य पुरानी पेंशन लागू करने की ओर कदम भी उठा चुके हैं.
विधानसभा में सरकार कर चुकी है इनकार- दरअसल, विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान मुख्यमंत्री ने कांग्रेस विधायक पवन कुमार काजल और विनय कुमार के सवाल का लिखित जवाब देते हुए कहा है कि नियमित कर्मचारियों के विपरीत अनुबंध आधार पर नियुक्त कर्मचारियों पर सेवा संबंधित विभिन्न नियम लागू नहीं होते हैं. अनुबंध आधार पर नियुक्त व नियमित कर्मचारियों के नियमों एवं शर्तों में असमानता के कारण अनुबंध आधार पर नियुक्त कर्मचारियों को नियमितीकरण के बाद उनकी नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता लाभ दिया जाना सही नहीं है.
धूमल का किया वादा भूले जयराम- हिमाचल प्रदेश लोकसेवा आयोग व हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग की ओर से चयनित अनुबंध कर्मचारियों की प्रदेश में संख्या लगभग 8900 है. सरकारी सेवा में कार्यरत सभी कर्मचारियों को वरिष्ठता उनकी नियमितीकरण की तिथि से दिया जाता है. यहीं मांग अनुबंध कर्मचारी भी कर रहे हैं, जिससे मुख्यमंत्री साफ इनकार कर चुके हैं. इसलिये ये भी कहा जा रहा है कि क्या धूमल का किया वादा था इसलिये जयराम सरकार उसे पूरा नहीं कर रही ? जबकि कर्मचारियों को नए वेतनमान का तोहफा भी जयराम सरकार दे चुकी है. ऐसे में जयराम बनाम धूमल (Jairam vs dhumal) की चर्चा इस मुद्दे से फिर हो सकती है.
उम्मीद बाकी है- अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष अश्वनी ठाकुर का कहना है कि उन्होंने सरकार के समक्ष नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता के लाभ की मांग को कई बार दोहराया है. उन्होंने कहा कि जेसीसी की बैठक में भी यह मसला उठाया गया था. उस वक्त भी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस मसले को हल करने के लिए कमेटी गठन की बात कही. अश्वनी ठाकुर ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि जिस प्रकार सरकार ने कर्मचारियों की अन्य मांगों को मानते हुए कर्मचारियों की वित्त संबंधी दिक्कतों को दूर किया है उसी प्रकार नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता के लाभ को लेकर भी जल्द ही कमेटी का गठन होगा और कर्मचारियों की समस्या का समाधान हो सके.
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