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हमीरपुर में पिछले साल के मुकाबले लिंगानुपात में बेहतर सुधार, 1000 लड़कों के मुकाबले 965 बेटियां - हमीरपुर जिला में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान

जिला हमीरपुर में शिशु लिंगानुपात में सुधार हुआ है. बता दें कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान चलाने के साथ ही प्रशासन और विभाग की तरफ से अन्य कई योजनाएं भी लागू की गई है. जिसका प्रभाव ये है कि यहां 1000 लड़कों के मुकाबले 965 बेटियां हैं. (Child Sex Ratio in Hamirpur District)

Child Sex Ratio in Hamirpur District
Child Sex Ratio in Hamirpur District
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Published : Mar 29, 2023, 2:18 PM IST

हमीरपुर में पिछले साल के मुकाबले लिंगानुपात में बेहतर सुधार

हमीरपुर: जिला हमीरपुर में शिशु लिंगानुपात में लगातार सुधार हो रहा है. हमीरपुर खंड के अंतर्गत पिछले साल के मुकाबले 2022 के अंत में यह अनुपात बेहतर हुआ है. साल 2022 में हमीरपुर खंड के अंतर्गत 1000 लड़कों के मुकाबले 965 बेटियां पैदा हुई है. जन्म के समय लिंगानुपात के आंकड़ों में सुधार का मुख्य कारण लोगों में जागरूकता ही मानी जा रही है. गर्भ में बेटियों की हत्या ना हो इसके प्रति लगातार विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत लोगों को जागरूक किया जा रहा है. हमीरपुर में जीत के अच्छे नतीजे देखने को मिल रहे हैं.

चाइल्ड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट ऑफिसर हमीरपुर बलवीर सिंह बिरला का कहना है कि जन्म के समय लड़कियों के लिंग अनुपात में लड़कों के मुकाबले सुधार देखने को मिला है. उन्होंने कहा कि 2021 में 1000 लड़कों के मुकाबले 941 लड़कियां पैदा हुई थी जबकि साल 2022 में यह आंकड़ा 965 है. उन्होंने कहा कि फील्ड में विभाग के कर्मचारी लगातार मेहनत के साथ कार्य कर रहे हैं. आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के द्वारा जमीनी स्तर पर इसके लिए कार्य किया जा रहा है. घर-घर लोगों को जागरुक करने का कार्य इन कर्मचारियों ने किया है और बेटा बेटी के भेदभाव को मिटाने का भरसक प्रयास किया गया है. उन्होंने कहा कि विभिन्न विभाग मिलकर इस योजनाओं को आगे उठा रहे हैं और आने वाले दिनों में यह अलग से रखा जाएगा कि इस अनुपात को 1000 से पार किया जाए.

गौरतलब है कि हमीरपुर जिला में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान चलाने के साथ ही प्रशासन और विभाग की तरफ से अन्य कई योजनाएं भी लागू की गई है. बेटियों के जन्म पर परिवार को बधाई संदेश देने तथा उत्सव का आयोजन करने की पहल भी की गई थी. केंद्र तथा प्रदेश सरकार के विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत जन्म से ही बेटियों को प्रोत्साहित करने का कार्य किया जा रहा है यही वजह है कि बेटियों के नाम के नेम प्लेट घरों के बाहर लगाई जा रही है. विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धि हासिल करने वाली बेटियों के नाम से ही उनके घर को जाना जाता है फॉरेस्ट गार्ड से लेकर पुलिस कर्मचारी तथा अन्य पदों पर कर्मचारी से लेकर अधिकारी के रूप में सेवाएं देने वाली बेटियों के नाम से परिवार को पहचान देने का प्रयास किया जा रहा है. विभाग और प्रशासन के इन प्रयासों का नतीजा है कि अब लोग बेटियों को पढ़ाने और बचाने के लिए जागरूक हो रहे हैं.

ये भी पढ़ें: सिरमौर जिले में गेहूं बेचने के लिए 1 अप्रैल से पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन होगी शुरू

हमीरपुर में पिछले साल के मुकाबले लिंगानुपात में बेहतर सुधार

हमीरपुर: जिला हमीरपुर में शिशु लिंगानुपात में लगातार सुधार हो रहा है. हमीरपुर खंड के अंतर्गत पिछले साल के मुकाबले 2022 के अंत में यह अनुपात बेहतर हुआ है. साल 2022 में हमीरपुर खंड के अंतर्गत 1000 लड़कों के मुकाबले 965 बेटियां पैदा हुई है. जन्म के समय लिंगानुपात के आंकड़ों में सुधार का मुख्य कारण लोगों में जागरूकता ही मानी जा रही है. गर्भ में बेटियों की हत्या ना हो इसके प्रति लगातार विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत लोगों को जागरूक किया जा रहा है. हमीरपुर में जीत के अच्छे नतीजे देखने को मिल रहे हैं.

चाइल्ड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट ऑफिसर हमीरपुर बलवीर सिंह बिरला का कहना है कि जन्म के समय लड़कियों के लिंग अनुपात में लड़कों के मुकाबले सुधार देखने को मिला है. उन्होंने कहा कि 2021 में 1000 लड़कों के मुकाबले 941 लड़कियां पैदा हुई थी जबकि साल 2022 में यह आंकड़ा 965 है. उन्होंने कहा कि फील्ड में विभाग के कर्मचारी लगातार मेहनत के साथ कार्य कर रहे हैं. आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के द्वारा जमीनी स्तर पर इसके लिए कार्य किया जा रहा है. घर-घर लोगों को जागरुक करने का कार्य इन कर्मचारियों ने किया है और बेटा बेटी के भेदभाव को मिटाने का भरसक प्रयास किया गया है. उन्होंने कहा कि विभिन्न विभाग मिलकर इस योजनाओं को आगे उठा रहे हैं और आने वाले दिनों में यह अलग से रखा जाएगा कि इस अनुपात को 1000 से पार किया जाए.

गौरतलब है कि हमीरपुर जिला में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान चलाने के साथ ही प्रशासन और विभाग की तरफ से अन्य कई योजनाएं भी लागू की गई है. बेटियों के जन्म पर परिवार को बधाई संदेश देने तथा उत्सव का आयोजन करने की पहल भी की गई थी. केंद्र तथा प्रदेश सरकार के विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत जन्म से ही बेटियों को प्रोत्साहित करने का कार्य किया जा रहा है यही वजह है कि बेटियों के नाम के नेम प्लेट घरों के बाहर लगाई जा रही है. विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धि हासिल करने वाली बेटियों के नाम से ही उनके घर को जाना जाता है फॉरेस्ट गार्ड से लेकर पुलिस कर्मचारी तथा अन्य पदों पर कर्मचारी से लेकर अधिकारी के रूप में सेवाएं देने वाली बेटियों के नाम से परिवार को पहचान देने का प्रयास किया जा रहा है. विभाग और प्रशासन के इन प्रयासों का नतीजा है कि अब लोग बेटियों को पढ़ाने और बचाने के लिए जागरूक हो रहे हैं.

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