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हिमाचल में कृष्ण मुरारी का एक ऐसा मंदिर, जहां उल्टी दिशा में बांसुरी बजाते हैं बंसीधर

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Published : Aug 28, 2021, 8:05 PM IST

Updated : Aug 29, 2021, 11:26 AM IST

हिमाचल को देवी-देवताओं की भूमि भूमि माना जाता है. यहां पर साक्षात रूप में भगवान मौजूद रहते हैं. सैकड़ों की संख्या में मंदिर मौजूद हैं, जिनका ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्व है. ऐसा ही एक मंदिर महाराजा संसार चंद की नगरी सुजानपुर टीहरा मौजूद है. महाराजा संसार चंद ने लगभग 400 साल पहले स्वयं मुरली मनोहर मंदिर का निर्माण करवाया था. पूरे देश में यह इकलौता मंदिर है, जहां कृष्ण मुरारी विपरीत दिशा में मुरली को पकड़े हुए नजर आते हैं. महाराजा संसार चंद के जमाने से स्थापित ये मंदिर आज भी लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है.

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फोटो.

हमीरपुर: देशभर में इस साल 30 अगस्त को श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा, लेकिन देवभूमि हिमाचल में बड़े भव्य आयोजन देखने को नहीं मिलेंगे. हमीरपुर जिला के सुजानपुर में स्थित मुरली मनोहर मंदिर का जन्माष्टमी से जुड़ा 400 साल पुराना इतिहास है. यहां पर भी इस बार सोमवार को जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में बड़े और भव्य आयोजन देखने को नहीं मिलेंगे. यह मंदिर अपने आप में अनूठा इतिहास संजोए हुए है. पूरे देश में यह इकलौता मंदिर है, जहां कृष्ण मुरारी विपरीत दिशा में मुरली को पकड़े हुए नजर आते हैं.

मुरली मनोहर मंदिर में मौजूद भगवान श्री कृष्ण बांसुरी बजाते हुए विपरीत दिशा में दिखाई देते हैं. बांसुरी की दूसरी दिशा में पकड़कर बजाने के पीछे महाराजा संसार चंद के समय से एक दन्त कथा जुड़ी हुई है. जिसमें कहा जाता है कि मुरली मनोहर मंदिर के अंदर श्री कृष्ण की मूर्ति की स्थापना की जा रही थी, तो महाराजा संसार चंद ने पुजारियों से श्री कृष्ण जी की ही मूर्ति स्थापित करने पर सवालिया निशान खड़े किए और कहा कि अगर सुबह तक मुझे जवाब नहीं मिला तो सभी पुजारियों के सिर काट दिए जाएंगे. इस पर पुजारी रात भर चिंता में रहे, लेकिन जब सुबह मंदिर के अंदर भगवान श्री कृष्ण के चमत्कार को देखकर दंग रह गए और देखा कि बांसुरी दूसरी दिशा में घूम गई थी.

वीडियो

सुजानपुर के मुरली मनोहर मंदिर में महाराजा संसार चंद भी मुरली मनोहर मंदिर में जन्माष्टमी के दिन माथा टेकने आते थे. वह इस दिन मुरली मनोहर मंदिर में भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करते थे. मुरली मनोहर मंदिर को एक लख टकिया मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. क्योंकि इसका निर्माण महाराजा संसार चंद ने एक लाख रुपए से करवाया था. मंदिर के अंदर बेहतरीन नक्काशी की गई है. मंदिर की सजावट इस तरीके से हुई है कि भक्तजन यहां आकर भक्ति में लीन हो जाते हैं.

ऐतिहासिक मुरली मनोहर मंदिर की होली का भी अपना अलग महत्व है. इस मंदिर से भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी को गुलाल लगाकर ही राष्ट्र स्तरीय होली उत्सव का आगाज होता है. रियासतकाल के दौरान महाराजा संसार चंद के साथ रानियां ऐतिहासिक सुजानपुर चौगान में होली खेलती थीं. आज भी करीब 400 साल से चली आ रही परंपरा को लोगों और प्रशासन द्वारा निभाया जा रहा है. मुरली मनोहर मंदिर में विधिवत पूजा अर्चना करने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री राष्ट्र स्तरीय होली का शुभारंभ करते हैं. महाराजा संसार चंद के जमाने से स्थापित मुरली मनोहर मंदिर आज भी आस्था का केंद्र बना हुआ है.

ईटीवी भारत की टीम ने शनिवार को मंदिर में पहुंचकर तैयारियों का जायजा लिया. लेकिन यहां पर किसी तरह के बड़े आयोजन तैयारी होती नजर नहीं आई. मंदिर के गेट पर ताला लटका हुआ नजर आया और पुजारी भी नजर नहीं आए. हालांकि, सुबह शाम यहां पर पूजा-अर्चना तो होती है, लेकिन श्रद्धालुओं की संख्या ना के बराबर होती है.


सुजानपुर के चौरी गांव के रहने वाली प्लासो देवी मंदिर में दर्शन करने के लिए पहुंची थीं. मंदिर में ताला लटका हुआ होने की वजह से वे बाहर से ही माथा टेककर लौट गईं. उन्होंने बताया कि मंदिर काफी पुराना है. वह कई सालों से मंदिर में दर्शन करने के लिए पहुंच रही हैं और जब जन्माष्टमी को वह व्रत करती हैं तो मंदिर में जरूर आती हैं. लेकिन इस बार मंदिर में आने की अनुमति होगी या फिर कोई आयोजन होगा इसको लेकर उन्हें कोई जानकारी नहीं है.

मंदिर के पुजारी रवि अवस्थी बताते हैं कि इस मंदिर में लोगों की बहुत ज्यादा आस्था है. यहां पर हर मनोकामना पूर्ण होती है. लेकिन 400 सालों में पहली बार है जब कोरोना महामारी के चलते जन्माष्टमी पर्व के अवसर पर मनोहर मंदिर पूरी तरह सुना रहा. कोरोना के चलते जन्माष्टमी के दिन इस मंदिर में श्रद्धालु नहीं आ पाए. हर साल जन्माष्टमी के मौके पर इस मंदिर में बड़ी तादाद में लोग मंदिर आते थे. मंदिर में इस अवसर पर खूब धूम होती थी. लोग हर साल मंदिर में जन्माष्टमी के मौके पर विशेष पूजा अर्चना करते थे. मंदिर में सरकार द्वारा दिए गए आदेशों का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है. कोरोना के चलते इस बार मंदिर में पुजारी केवल जन्माष्टमी पर पूजा ही करेंगे. यहां पर कोई बड़ा भव्य आयोजन नहीं किया जाएगा.

ये भी पढ़ें: यशपाल शर्मा: ऐसे क्रांतिकारी-साहित्यकार जिन्हें आजाद और गुलाम भारत में जेल में गुजारने पड़े थे कई साल

हमीरपुर: देशभर में इस साल 30 अगस्त को श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा, लेकिन देवभूमि हिमाचल में बड़े भव्य आयोजन देखने को नहीं मिलेंगे. हमीरपुर जिला के सुजानपुर में स्थित मुरली मनोहर मंदिर का जन्माष्टमी से जुड़ा 400 साल पुराना इतिहास है. यहां पर भी इस बार सोमवार को जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में बड़े और भव्य आयोजन देखने को नहीं मिलेंगे. यह मंदिर अपने आप में अनूठा इतिहास संजोए हुए है. पूरे देश में यह इकलौता मंदिर है, जहां कृष्ण मुरारी विपरीत दिशा में मुरली को पकड़े हुए नजर आते हैं.

मुरली मनोहर मंदिर में मौजूद भगवान श्री कृष्ण बांसुरी बजाते हुए विपरीत दिशा में दिखाई देते हैं. बांसुरी की दूसरी दिशा में पकड़कर बजाने के पीछे महाराजा संसार चंद के समय से एक दन्त कथा जुड़ी हुई है. जिसमें कहा जाता है कि मुरली मनोहर मंदिर के अंदर श्री कृष्ण की मूर्ति की स्थापना की जा रही थी, तो महाराजा संसार चंद ने पुजारियों से श्री कृष्ण जी की ही मूर्ति स्थापित करने पर सवालिया निशान खड़े किए और कहा कि अगर सुबह तक मुझे जवाब नहीं मिला तो सभी पुजारियों के सिर काट दिए जाएंगे. इस पर पुजारी रात भर चिंता में रहे, लेकिन जब सुबह मंदिर के अंदर भगवान श्री कृष्ण के चमत्कार को देखकर दंग रह गए और देखा कि बांसुरी दूसरी दिशा में घूम गई थी.

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सुजानपुर के मुरली मनोहर मंदिर में महाराजा संसार चंद भी मुरली मनोहर मंदिर में जन्माष्टमी के दिन माथा टेकने आते थे. वह इस दिन मुरली मनोहर मंदिर में भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करते थे. मुरली मनोहर मंदिर को एक लख टकिया मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. क्योंकि इसका निर्माण महाराजा संसार चंद ने एक लाख रुपए से करवाया था. मंदिर के अंदर बेहतरीन नक्काशी की गई है. मंदिर की सजावट इस तरीके से हुई है कि भक्तजन यहां आकर भक्ति में लीन हो जाते हैं.

ऐतिहासिक मुरली मनोहर मंदिर की होली का भी अपना अलग महत्व है. इस मंदिर से भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी को गुलाल लगाकर ही राष्ट्र स्तरीय होली उत्सव का आगाज होता है. रियासतकाल के दौरान महाराजा संसार चंद के साथ रानियां ऐतिहासिक सुजानपुर चौगान में होली खेलती थीं. आज भी करीब 400 साल से चली आ रही परंपरा को लोगों और प्रशासन द्वारा निभाया जा रहा है. मुरली मनोहर मंदिर में विधिवत पूजा अर्चना करने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री राष्ट्र स्तरीय होली का शुभारंभ करते हैं. महाराजा संसार चंद के जमाने से स्थापित मुरली मनोहर मंदिर आज भी आस्था का केंद्र बना हुआ है.

ईटीवी भारत की टीम ने शनिवार को मंदिर में पहुंचकर तैयारियों का जायजा लिया. लेकिन यहां पर किसी तरह के बड़े आयोजन तैयारी होती नजर नहीं आई. मंदिर के गेट पर ताला लटका हुआ नजर आया और पुजारी भी नजर नहीं आए. हालांकि, सुबह शाम यहां पर पूजा-अर्चना तो होती है, लेकिन श्रद्धालुओं की संख्या ना के बराबर होती है.


सुजानपुर के चौरी गांव के रहने वाली प्लासो देवी मंदिर में दर्शन करने के लिए पहुंची थीं. मंदिर में ताला लटका हुआ होने की वजह से वे बाहर से ही माथा टेककर लौट गईं. उन्होंने बताया कि मंदिर काफी पुराना है. वह कई सालों से मंदिर में दर्शन करने के लिए पहुंच रही हैं और जब जन्माष्टमी को वह व्रत करती हैं तो मंदिर में जरूर आती हैं. लेकिन इस बार मंदिर में आने की अनुमति होगी या फिर कोई आयोजन होगा इसको लेकर उन्हें कोई जानकारी नहीं है.

मंदिर के पुजारी रवि अवस्थी बताते हैं कि इस मंदिर में लोगों की बहुत ज्यादा आस्था है. यहां पर हर मनोकामना पूर्ण होती है. लेकिन 400 सालों में पहली बार है जब कोरोना महामारी के चलते जन्माष्टमी पर्व के अवसर पर मनोहर मंदिर पूरी तरह सुना रहा. कोरोना के चलते जन्माष्टमी के दिन इस मंदिर में श्रद्धालु नहीं आ पाए. हर साल जन्माष्टमी के मौके पर इस मंदिर में बड़ी तादाद में लोग मंदिर आते थे. मंदिर में इस अवसर पर खूब धूम होती थी. लोग हर साल मंदिर में जन्माष्टमी के मौके पर विशेष पूजा अर्चना करते थे. मंदिर में सरकार द्वारा दिए गए आदेशों का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है. कोरोना के चलते इस बार मंदिर में पुजारी केवल जन्माष्टमी पर पूजा ही करेंगे. यहां पर कोई बड़ा भव्य आयोजन नहीं किया जाएगा.

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Last Updated : Aug 29, 2021, 11:26 AM IST
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