हमीरपुर: जिला मुख्यालय हमीरपुर से महज 5 किलोमीटर दूर झनियारी गांव में गुलाबो ने शिमला-धर्मशाला नेशनल हाइवे के किनारे कंटीली झाड़ियों में खंडहर को अपना आशियाना बना रखा है. इस आशियाने में कोई दीवार और खिड़की नहीं हैं, लेकिन फिर भी यही खंडहर गुलाबों के लिए आशियाना बना हुआ है.
झाड़ियों से घिरे इस जगह पर गुलाबो पिछले 30 सालों से रह रही है. छत के नाम पर एक तिरपाल, ओढ़ने के लिए कंबल और सोने के लिए चारपाई है. साथ ही कुछ बर्तन है, जिसमें गांव वाले लोग रोटी दे जाते हैं.
स्थानीय निवासी संजीव कुमार ने कहा कि 30-35 सालों से यह महिला इस जगह पर रह रही है, लेकिन उसे लेने कोई नहीं आया. उन्होंने सरकार और प्रशासन से इस महिला को शिफ्ट कर उचित इलाज करवाने की मांग उठाई है, ताकि गुलाबो बेहतर जीवन यापन कर सके.
इस महिला को स्थानीय पंचायत ने छत मुहैया करवाने के प्रयास भी किया. कुछ समय पहले ही पास के एक जंजघर में महिला को शिफ्ट किया गया था, लेकिन इस महिला को कहीं भी शिफ्ट करने से पहले मानसिक उपचार की सख्त जरूरत है.
शीतकालीन सत्र के लिए शिमला से तपोवन धर्मशाला तक शासन और सरकार के नुमाइंदे शिमला धर्मशाला एनएच से 30 सालों से इसी जगह से गुजरते हैं, लेकिन किसी नेता और अफसर ने इस बुजुर्ग महिला की कभी सुध नहीं ली. स्थानीय निवासी रतन चंद का कहना है कि दो-तीन बार प्रशासन से मांग उठा चुके हैं कि महिला का उपचार करवाया जाए. इसके बावजूद कोई नेता और अधिकारी इस महिला की सुध लेने नहीं आया.
तीन दशक में देश और प्रदेश में कईं सरकारें आई, लेकिन गुलाबो के लिए कोई फरिश्ता बनकर नहीं आया. हर साल बरसात और सर्दियां मुसीबत बनकर जरूर आती हैं, लेकिन गुलाबो हर मौसम खुले आसमान के नीचे बिताने को मजबूर है.
स्थानीय पंचायत के उपप्रधान अरुण कुमार ने कहा कि रात को यहां से गुजरने पर गुलाबो कांगड़ी गीत गाते हुए सुनाई देती है. असहाय बुजुर्ग महिला का दर्द कभी गालियों में निकलता है तो कभी कांगड़ी गीतों में झलकता है.
ईटीवी भारत ने इस असहाय बुजुर्ग की आवाज को प्रशासन और सरकार तक पहुंचाने का प्रयास किया है . बता दें कि गांव वालों ने गुलाबों की जवानी में भरपूर मदद कर साथ तो निभाया ,लेकिन सरकार और प्रशासन एक महिला के अस्तित्व को 30 साल बाद भी तलाश नहीं सकते या फिर तलाशना ही नहीं चाहते.
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