हमीरपुर: कोरोना महामारी के दौर में प्रदेश और देश में शिक्षा व्यस्था पूरी तरह से ठप हो चुकी है. डबल इंजन सरकारें आपदा के समय शिक्षा के मौलिक अधिकार की रक्षा करने में पूर्ण रूप से असफल हो चुकी हैं. प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता प्रेम कौशल ने हमीरपुर में मीडिया से रूबरू होते हुए यह बयान दिया है.
जयराम सरकार की आलोचना करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि महामारी के दौर में शिक्षण संस्थानों और शिक्षा के प्रति दो कदम आगे दो कदम पीछे की नीति पर कामकर रही हैं. कभी शिक्षण संस्थान बन्द कर दिए जाते हैं, तो कभी आनन-फानन में खोलने का फरमान जारी कर दिया जाता है.
कोरोना प्रबंधन पर कार्य योजना नहीं बना पाई सरकार
प्रेम कौशल ने कहा कि हालांकि सरकार यह भली भांति जानती है कि कोरोना के साथ अभी देर तक लड़ना पड़ेगा. कोरोना वायरस के संक्रमण की संम्भावनाओं को ध्यान में रख कर ही सरकार को कार्य योजना बनानी चाहिए थी. सरकार इस विषय पर पूरी तरह से असमंजस की स्थिति में है.
खलनायक की तरह पेश किया जा रहे निजी स्कूल
सरकार पर आरोप लगाते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि निजी स्कूलों की प्रबंधन समितियों और अभिभावकों के बीच सरकार के ढीले-ढाले रवैये की वजह से खाई बढ़ती जा रही है. निजी स्कूलों द्वारा ली जाने वाली फीस को लेकर सरकार कोई ठोस नीति बनाने से पीछे हट रही है. जिसके चलते निजी स्कूल प्रबन्धकों को समाज में खलनायक के रूप में पेश किया जा रहा है, जबकि प्रदेश को शिक्षा के क्षेत्र में शिखर पर ले जाने के साथ साथ रोजगार सृजन में भी निजी शिक्षण संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.
शिक्षा व्यस्था पर गहरा असर
कांग्रेस नेता प्रेम कौशल का कहना है कि निजी स्कूलों की तरफ से अभिभावकों को राहत देने के मामले पर सरकार को आगे आ कर कोई राहत पैकेज देना चाहिए. कांग्रेस प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि महामारी का सामना करते हुए शिक्षा क्षेत्र में स्थिरता एवं निरंतरता बनाये रखने के लिए सरकार की कोई कार्य योजना नहीं है.
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