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बड़सर के बिझड़ी में उड़ रही स्वच्छता अभियान की धज्जियां, महिलाओं को शौचालय तक नसीब नहीं - शौचालय

बिझड़ी बाजार में शौचालयों के नाम पर कुआं चौक में एक ढांचा खड़ा दिखाई देता है. इन शौचालयों की हालत इतनी खराब है कि यहां से गुजरते समय मुंह पर रुमाल रखना पडता है. महिलाओं के लिए बिझड़ी में किसी भी तरह का कामचलाऊ प्रबंध भी प्रशासन नहीं कर पाया है.

bijhadi toilet condition
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Published : Sep 15, 2019, 8:26 PM IST

बड़सर/हमीरपुर: जिला हमीरपुर के विकासखंड मुख्यालय बिझड़ी में शौचालयों की कमी के कारण स्वच्छता अभियान की धज्जियां उड़ रही हैं. आम लोगों के साथ महिलाओं को भी इसका खामियाजा उठाना पड़ रहा है. बिझड़ी बाजार में प्रशासन शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा भी उपलब्ध नहीं करवा पाया है.

बिझड़ी बाजार में शौचालयों के नाम पर कुआं चौक में एक ढांचा खड़ा दिखाई देता है. इन शौचालयों की हालत इतनी खराब है कि यहां से गुजरते समय मुंह पर रूमाल रखना पडता है. महिलाओं के लिए बिझड़ी में किसी भी तरह का कामचलाऊ प्रबंध भी प्रशासन नहीं कर पाया है.

वीडियो

महिलाओं का कहना है कि एक ओर सरकार महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने की बातें करती है, लेकिन दूसरी ओर महिलाओं को मिलने वाली सुविधाओं की ओर किसी का ध्यान नहीं है. उनका कहना है कि महिला दिवस पर बड़े-बड़े आयोजनों से सरकार और प्रशासन अपना पल्ला नहीं झाड़ सकते.

प्रशासन को शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा दिलवाने के लिए गंभीर प्रयास करने चाहिए. अगर जल्द ही कोई कदम नहीं उठाया गया तो महिलाएं विरोध प्रदर्शन करेंगी. लोगों का कहना है कि शौचालय न होने के कारण आस-पास का वातावरण प्रदूषित हो रहा है. इस से गंभीर बीमारियां भी फैल सकती हैं. उनका का कहना है कि प्रशासन से गुहार लगाने के बावजूद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

विकास खंड अधिकारी बिझड़ी चंद्रवीर सिंह ने कहा कि ताल स्टेडियम बिझड़ी के पास 20 लाख की लागत से शौचालय निर्माण प्रस्तावित है. तहसीलदार सेटेलमेंट द्वारा जमीन हस्तांतरण करने के बाद मई-जून में कंस्ट्रक्शन शुरू कर दी जाएगी. उन्होंने कहा कि कुआं चौक में अगर सरकारी जमीन उपलब्ध हो जाती है या कोई निजी भूमि दान करता है तो वहां भी प्रशासन शौचालयों का निर्माण करवा देगा.

ये भी पढ़ें: कांग्रेस जिला अध्यक्ष का आरोप, भाजपा नेता के बेटे से चिट्टा बरामद होने के बाद पार्टी नहीं दे रही स्पष्टीकरण

बड़सर/हमीरपुर: जिला हमीरपुर के विकासखंड मुख्यालय बिझड़ी में शौचालयों की कमी के कारण स्वच्छता अभियान की धज्जियां उड़ रही हैं. आम लोगों के साथ महिलाओं को भी इसका खामियाजा उठाना पड़ रहा है. बिझड़ी बाजार में प्रशासन शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा भी उपलब्ध नहीं करवा पाया है.

बिझड़ी बाजार में शौचालयों के नाम पर कुआं चौक में एक ढांचा खड़ा दिखाई देता है. इन शौचालयों की हालत इतनी खराब है कि यहां से गुजरते समय मुंह पर रूमाल रखना पडता है. महिलाओं के लिए बिझड़ी में किसी भी तरह का कामचलाऊ प्रबंध भी प्रशासन नहीं कर पाया है.

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महिलाओं का कहना है कि एक ओर सरकार महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने की बातें करती है, लेकिन दूसरी ओर महिलाओं को मिलने वाली सुविधाओं की ओर किसी का ध्यान नहीं है. उनका कहना है कि महिला दिवस पर बड़े-बड़े आयोजनों से सरकार और प्रशासन अपना पल्ला नहीं झाड़ सकते.

प्रशासन को शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा दिलवाने के लिए गंभीर प्रयास करने चाहिए. अगर जल्द ही कोई कदम नहीं उठाया गया तो महिलाएं विरोध प्रदर्शन करेंगी. लोगों का कहना है कि शौचालय न होने के कारण आस-पास का वातावरण प्रदूषित हो रहा है. इस से गंभीर बीमारियां भी फैल सकती हैं. उनका का कहना है कि प्रशासन से गुहार लगाने के बावजूद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

विकास खंड अधिकारी बिझड़ी चंद्रवीर सिंह ने कहा कि ताल स्टेडियम बिझड़ी के पास 20 लाख की लागत से शौचालय निर्माण प्रस्तावित है. तहसीलदार सेटेलमेंट द्वारा जमीन हस्तांतरण करने के बाद मई-जून में कंस्ट्रक्शन शुरू कर दी जाएगी. उन्होंने कहा कि कुआं चौक में अगर सरकारी जमीन उपलब्ध हो जाती है या कोई निजी भूमि दान करता है तो वहां भी प्रशासन शौचालयों का निर्माण करवा देगा.

ये भी पढ़ें: कांग्रेस जिला अध्यक्ष का आरोप, भाजपा नेता के बेटे से चिट्टा बरामद होने के बाद पार्टी नहीं दे रही स्पष्टीकरण

Intro:
विकास खण्ड बिझड़ी में विकास के बड़े बड़े दावों के वावजूद महिलाओं को सार्वजनिक शौचालय तक नसीब नहीं
महिला पँचायत प्रधानों व आम महिलाओं ने लगाया अनदेखी का आरोप
20लाख की लागत से बिझड़ी में शौचालय निर्माण प्रस्तावित.. चन्द्रवीर सिंह विकास खण्ड अधिकारी

महिला शशक्तिकरण व महिला अधिकारों को लेकर सरकार व प्रशाशन द्वारा लाख दावे किए जाते हैं लेकिन जमीनी हकीकत इसके बिल्कुल विपरीत है। आज भी देश की आधी आबादी को सरकारें मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं करवा पाई हैं। चुनावी समर में महिलाओं को लुभाने के लिए सभी राजनीतिक दल खूब वायदे करते हैं लेकिन शायद महिलाओं को रोज पेश आने वाली परेशानियों की तरफ से वे आंखें मूंदे बैठे रहते हैं।

विकासखंड मुख्यालय बिझडी में शौचालयों की कमी के कारण एक तरफ जहां स्वच्छता अभियान की धज्जियां उड़ रही हैं वहीं दूसरी तरफ आम लोगों के साथ महिलाओं को को भी इसका खामियाजा उठाना पड़ रहा है। बताते चलें की बिझडी बाजार में रोज़ सैंकडों कामकाजी महिलाओं व पुरुषों का आना जाना लगा रहता है। बिझड़ी में तहसील कार्यालय, विकास खंड मुख्यालय, सी डी पी ओ कार्यालय, बी पी ओ ऑफिस, अस्पताल के अलावा कई शिक्षण संस्थान होने के कारण लोग कामकाज के सिलसिले में यहां पहुंचते हैं । लेकिन सुविधायें तो छोडिये प्रशासन अभी तक यहां शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा भी उपलब्ध नहीं करवा पाया है।
हालत इतने बदतर है कि लगभग एक किलोमीटर लंबे बाजार में शौचालयों के नाम पर कुआं चौक में एक ढांचा खड़ा दिखाई देता है। इन शौचालयों की हालत इतनी खराब है कि यहां से गुजरते समय मुंह पर रुमाल रखना पडता है। सबसे बड़ी समस्या आधी आबादी कही जाने वाली महिलाओं को पेश आती है जिनके लिए किसी भी तरह का कामचलाऊ प्रबंध भी प्रशासन नहीं कर पाया है।आज महिलााएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर क्षेत्र मेंं आगे बढ़ रही हैं। सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण व महिला अधिकारों के लिए अलग से विभाग भी बनाए गए हैं , महिलाओं के कल्याण के लिए अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जातेे हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है।

महिलाओं में सठवीं पँचायत प्रधान पूनम कपिलेश, धंगोटा प्रधान रजनी बाला, समताना प्रधान अंजू, रीना देवी ,मोनिका, कुशल कुमारी ,राजकुमारी , सुमन लता व स्नेह लता आदि का कहना है कि एक तरफ सरकार महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने की बातें करती हैं लेकिन दूसरी तरफ महिलाओं को मिलने वाली सुविधाओं की बात करें तो उनकी तरफ किसी का ध्यान नहीं है। इनका कहना है कि महिला दिवस पर बड़े बड़े आयोजनों से ही सरकार व प्रशासन अपना पल्ला नहीं झाड़ सकते। कम से कम प्रशासन को शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा दिलवाने के लिए गंभीर प्रयास करने चाहिए,अगर शीघ्र ही कोई कदम नहीं उठाया गया तो महिलाएं विरोध प्रदर्शन करेंगी।
इसी तरह रजनीश कुमार , सतीश ठाकुर ,रमन बनयाल, परविंदर सोनी, विजय सिंह ठाकुर व ओंकार सिंह के अनुसार शौचालय ना होने के कारण आस पास का वातावरण प्रदूषित हो रहा है जिस से गंभीर बीमारियां भी फैल सकती हैं.लोगों का कहना है की प्रशासन से बार बार गुहार लगाने के वावजूद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।


विकास खंड अधिकारी बिझड़ी चंद्रवीर सिंह का कहना है कि ताल स्टेडियम बिझड़ी के पास 20 लाख की लागत से शौचालय निर्माण प्रस्तावित है। तहसीलदार सेटेलमेंट द्वारा जमीन हस्तांतरण करने के बाद मई-जून में कंस्ट्रक्शन शुरू कर दी जाएगी ।कुआं चौक में अगर सरकारी जमीन उपलब्ध हो जाती है या कोई निजी भूमि दान करता है तो वहां भी प्रशासन प्राथमिकता के आधार पर


विकास खण्ड बिझड़ी में विकास के बड़े बड़े दावों के वावजूद महिलाओं को सार्वजनिक शौचालय तक नसीब नहीं
महिला पँचायत प्रधानों व आम महिलाओं ने लगाया अनदेखी का आरोप


महिला शशक्तिकरण व महिला अधिकारों को लेकर सरकार व प्रशाशन द्वारा लाख दावे किए जाते हैं लेकिन जमीनी हकीकत इसके बिल्कुल विपरीत है। आज भी देश की आधी आबादी को सरकारें मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं करवा पाई हैं। चुनावी समर में महिलाओं को लुभाने के लिए सभी राजनीतिक दल खूब वायदे करते हैं लेकिन शायद महिलाओं को रोज पेश आने वाली परेशानियों की तरफ से वे आंखें मूंदे बैठे रहते हैं।

विकासखंड मुख्यालय बिझडी में शौचालयों की कमी के कारण एक तरफ जहां स्वच्छता अभियान की धज्जियां उड़ रही हैं वहीं दूसरी तरफ आम लोगों के साथ महिलाओं को को भी इसका खामियाजा उठाना पड़ रहा है। बताते चलें की बिझडी बाजार में रोज़ सैंकडों कामकाजी महिलाओं व पुरुषों का आना जाना लगा रहता है। बिझड़ी में तहसील कार्यालय, विकास खंड मुख्यालय, सी डी पी ओ कार्यालय, बी पी ओ ऑफिस, अस्पताल के अलावा कई शिक्षण संस्थान होने के कारण लोग कामकाज के सिलसिले में यहां पहुंचते हैं । लेकिन सुविधायें तो छोडिये प्रशासन अभी तक यहां शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा भी उपलब्ध नहीं करवा पाया है।
हालत इतने बदतर है कि लगभग एक किलोमीटर लंबे बाजार में शौचालयों के नाम पर कुआं चौक में एक ढांचा खड़ा दिखाई देता है। इन शौचालयों की हालत इतनी खराब है कि यहां से गुजरते समय मुंह पर रुमाल रखना पडता है। सबसे बड़ी समस्या आधी आबादी कही जाने वाली महिलाओं को पेश आती है जिनके लिए किसी भी तरह का कामचलाऊ प्रबंध भी प्रशासन नहीं कर पाया है।आज महिलााएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर क्षेत्र मेंं आगे बढ़ रही हैं। सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण व महिला अधिकारों के लिए अलग से विभाग भी बनाए गए हैं , महिलाओं के कल्याण के लिए अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जातेे हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है।

महिलाओं में सठवीं पँचायत प्रधान पूनम कपिलेश, धंगोटा प्रधान रजनी बाला, समताना प्रधान अंजू, रीना देवी ,मोनिका, कुशल कुमारी ,राजकुमारी , सुमन लता व स्नेह लता आदि का कहना है कि एक तरफ सरकार महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने की बातें करती हैं लेकिन दूसरी तरफ महिलाओं को मिलने वाली सुविधाओं की बात करें तो उनकी तरफ किसी का ध्यान नहीं है। इनका कहना है कि महिला दिवस पर बड़े बड़े आयोजनों से ही सरकार व प्रशासन अपना पल्ला नहीं झाड़ सकते। कम से कम प्रशासन को शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा दिलवाने के लिए गंभीर प्रयास करने चाहिए,अगर शीघ्र ही कोई कदम नहीं उठाया गया तो महिलाएं विरोध प्रदर्शन करेंगी।
इसी तरह रजनीश कुमार , सतीश ठाकुर ,रमन बनयाल, परविंदर सोनी, विजय सिंह ठाकुर व ओंकार सिंह के अनुसार शौचालय ना होने के कारण आस पास का वातावरण प्रदूषित हो रहा है जिस से गंभीर बीमारियां भी फैल सकती हैं.लोगों का कहना है की प्रशासन से बार बार गुहार लगाने के वावजूद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।


अधिकारियों का रटा रटाया जवाब

अगर सरकारी जमीन उपलब्ध हो जाती है या कोई निजी भूमि दान करता है तो वहां प्रशासन प्राथमिकता के आधार पर शौचालयों का निर्माण करवा देगा।Body:रवि ठाकुर बड़सरConclusion:
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