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बड़सर के किसान सुभाष चंद का कमाल, 2 कनाल पर लहलहा रही अमेरिकन केसर

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Published : May 5, 2022, 12:44 PM IST

Updated : May 5, 2022, 1:43 PM IST

हमीरपुर के बडसर विधानसभा क्षेत्र के किसान सुभाष चंद शर्मा ने अमेरिकन केसर की खेती कर अपनी आय को दोगुना भी किया.वहीं, दूसरे किसानों के सामने मिसाल पेश कर प्रेरणा स्त्रोत भी बन (American saffron cultivation in Barsar) गए. करीब एक साल पहले केसर को उन्होंने खेतों में लगाया. उनकी मेहनत अब रंग लाई और 10 से 12 लाख रुपए की आमदनी हो रही है.

American saffron cultivation in Barsar
बड़सर के किसान सुभाष चंद का कमाल,

हमीरपुर: जिले के बडसर विधानसभा क्षेत्र के किसान सुभाष चंद शर्मा ने अमेरिकन केसर की खेती कर अपनी आय को दोगुना भी किया.वहीं, दूसरे किसानों के सामने मिसाल पेश कर प्रेरणा स्त्रोत भी बन (American saffron cultivation in Barsar) गए. करीब एक साल पहले केसर को उन्होंने खेतों में लगाया. उनकी मेहनत अब रंग लाई और 10 से 12 लाख रुपए की आमदनी हो रही है.


ठंडे इलाकों में होती केसर: देश में केसर की अधिकतर खेती जम्मू कश्मीर , उत्तराखंड पहाड़ी और ठंडे इलाके में होती है, लेकिन पिछले साल से हमीरपुर के गांव बड़ीत्तर में सुभाष चंद शर्मा ने इसकी शुरुआत की है. बीते वर्ष सुभाष चंद ने साढ़े पांच किलो केसर बेचकर साढ़े तीन लाख रुपए का मुनाफा कमाया थाा. मुनाफे को देखते हुए सुभाष चंद ने इस बार दो कनाल जमीन पर केसर की खेती उगाई. इस बार सुभाष को केसर बेचकर कर 12 लाख रुपए की आमदनी हुई.

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30 हजार में खरीदे थे बीज: सुभाष चंद ने बताया कि पहले साल 30 हजार रुपए के केसर के बीज की 2 कनाल जमीन पर बिजाई की , लेकिन इस बार पिछले साल से दोगुना केसर से आय होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि इस साल बेहतर फसल होने की उम्मीद है,जिससे आमदनी अच्छी होगी. सुभाष चंद शर्मा ने बेरोजगार युवाओं से आह्वान किया है कि जिनके पास जमीन है. वह केसर की खेती कर अपनी आजीविका घर बैठे ही कमा सकते है. उन्होंने बताया कि केसर की खेती को जानवर भी नहीं उजाड़ते, इसलिए लोगों को केसर की खेती करने के लिए आगे आना चाहिए.

दूर-दूर से किसानों के पहुंचने का सिलसिला जारी: सुभाष चंद शर्मा के केसर की खेती को देखने के लिए दूर- दूर से किसान पहुंच रहे हैं और केसर की खेती के बारे में जानकारी हासिल कर रहे. ग्रामीण सतीश कुमार ने बताया कि पिछले साल भी करीब 7 लाख का का मुनाफा केसर की फसल से उठाया .उन्होने कहा कि जो किसान खेतीबाडी छोड चुके उन्हें भी केसर की खेती करनी चाहिए, ताकि आर्थिकी को सुदृढ बनाया जा सके. ग्रामीण ईश्वर दास शर्मा और कमलेश कुमारी ने बताया कि युवाओं को इस तरह की खेती-बाड़ी करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए. बाहरी प्रदेशों में भ्रमण कराकर और जानकारियां देना चाहिए.


ये भी पढ़ें : HIMACHAL: ओलों की आफत से कैसे निपटें बागवान, सरकारी सेक्टर में अभी तक सिर्फ एक एंटी हेलगन

हमीरपुर: जिले के बडसर विधानसभा क्षेत्र के किसान सुभाष चंद शर्मा ने अमेरिकन केसर की खेती कर अपनी आय को दोगुना भी किया.वहीं, दूसरे किसानों के सामने मिसाल पेश कर प्रेरणा स्त्रोत भी बन (American saffron cultivation in Barsar) गए. करीब एक साल पहले केसर को उन्होंने खेतों में लगाया. उनकी मेहनत अब रंग लाई और 10 से 12 लाख रुपए की आमदनी हो रही है.


ठंडे इलाकों में होती केसर: देश में केसर की अधिकतर खेती जम्मू कश्मीर , उत्तराखंड पहाड़ी और ठंडे इलाके में होती है, लेकिन पिछले साल से हमीरपुर के गांव बड़ीत्तर में सुभाष चंद शर्मा ने इसकी शुरुआत की है. बीते वर्ष सुभाष चंद ने साढ़े पांच किलो केसर बेचकर साढ़े तीन लाख रुपए का मुनाफा कमाया थाा. मुनाफे को देखते हुए सुभाष चंद ने इस बार दो कनाल जमीन पर केसर की खेती उगाई. इस बार सुभाष को केसर बेचकर कर 12 लाख रुपए की आमदनी हुई.

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30 हजार में खरीदे थे बीज: सुभाष चंद ने बताया कि पहले साल 30 हजार रुपए के केसर के बीज की 2 कनाल जमीन पर बिजाई की , लेकिन इस बार पिछले साल से दोगुना केसर से आय होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि इस साल बेहतर फसल होने की उम्मीद है,जिससे आमदनी अच्छी होगी. सुभाष चंद शर्मा ने बेरोजगार युवाओं से आह्वान किया है कि जिनके पास जमीन है. वह केसर की खेती कर अपनी आजीविका घर बैठे ही कमा सकते है. उन्होंने बताया कि केसर की खेती को जानवर भी नहीं उजाड़ते, इसलिए लोगों को केसर की खेती करने के लिए आगे आना चाहिए.

दूर-दूर से किसानों के पहुंचने का सिलसिला जारी: सुभाष चंद शर्मा के केसर की खेती को देखने के लिए दूर- दूर से किसान पहुंच रहे हैं और केसर की खेती के बारे में जानकारी हासिल कर रहे. ग्रामीण सतीश कुमार ने बताया कि पिछले साल भी करीब 7 लाख का का मुनाफा केसर की फसल से उठाया .उन्होने कहा कि जो किसान खेतीबाडी छोड चुके उन्हें भी केसर की खेती करनी चाहिए, ताकि आर्थिकी को सुदृढ बनाया जा सके. ग्रामीण ईश्वर दास शर्मा और कमलेश कुमारी ने बताया कि युवाओं को इस तरह की खेती-बाड़ी करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए. बाहरी प्रदेशों में भ्रमण कराकर और जानकारियां देना चाहिए.


ये भी पढ़ें : HIMACHAL: ओलों की आफत से कैसे निपटें बागवान, सरकारी सेक्टर में अभी तक सिर्फ एक एंटी हेलगन

Last Updated : May 5, 2022, 1:43 PM IST
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