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जज्बे को सलाम! गरीब बच्चों के लिए मसीहा बने देवी सिंह, करीब 20 सालों से उठा रहे पढ़ाई का खर्चा

चंबा के गांव जुन्घरार के रहने वाले अध्यापक देवी सिंह शर्मा काफी सालों से गरीब बच्चों की मदद कर रहे हैं. देवी सिंह शर्मा अपने दम पर उनकी पढ़ाई से लेकर उनकी आर्थिक तौर पर सहायता करते रहे, ताकि किसी को कोई परेशानी ना हो. ये सिलसिला पिछले बीस से अधिक सालों से चलता आ रहा है.

अध्यापक देवी सिंह
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Published : Aug 25, 2021, 1:15 PM IST

Updated : Aug 25, 2021, 1:38 PM IST

चंबा: इरादे मजबूत हों और नीयत साफ हो तो मंजिल अपने आप मिल जाती है, इसलिए मेहनत के साथ आगे बढ़ें. सफलता आपके कदम जरूर चूमेगी. इसे सच कर दिखाया है जिला चंबा के छोटे से गांव जुन्घरार के रहने वाले देवी सिंह शर्मा ने, जो पेशे से अध्यापक हैं.

देवी सिंह का बचपन काफी संघर्ष में गुजरा और बड़ी मुश्किल से पढ़ाई की. देवी सिंह शर्मा वर्ष 1995 में पहली बार जेबीटी अध्यापक नियुक्त हुए. उनके दिल और दिमाग में बस यही बात थी कि जिस तरह से गरीबी और मुफलिसी (failure) में उनकी जिंदगी बीती है, किसी और छात्र के साथ ऐसा ना हो. ऐसे में अध्यापक देवी सिंह शर्मा ने समाज के कमजोर और गरीब तबके के बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया, जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी.

देवी सिंह शर्मा अपने दम पर उनकी पढ़ाई से लेकर उनकी आर्थिक तौर पर सहायता करते रहे, ताकि किसी को कोई परेशानी ना हो. ये सिलसिला पिछले बीस से अधिक सालों से चलता आ रहा है. देवी सिंह ने उन बच्चों को भी पढ़ाने का कार्य किया, जो किराए पर कमरा लेकर नहीं पढ़ सकते थे. उनके रहने और उनकी पढ़ाई का भी खर्चा उठाया.

वीडियो.

देवी सिंह ने बीस सालों में 100 से अधिक बच्चों की सहायता की है. जो आज कहीं ना कहीं सरकारी नौकरी के उच्च पदों पर बैठे हैं. ऐसे होनहार अध्यापक समाज के लिए किसी आईने से कम नहीं हैं. समाज के अन्य अध्यापकों को भी देवी सिंह शर्मा से सीख लेने की आवश्यकता है. देवी सिंह आजकल राजकीय प्राथमिक पाठशाला पुखरी में केंद्रीय मुख्य अध्यापक के पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. उनके दायरे में चार प्राथमिक स्कूल आते हैं, जिनकी वे निगरानी भी करते हैं.

केंद्रीय मुख्य अध्यापक देवी सिंह शर्मा का कहना है की मेरा गांव बहुत छोटा सा है. वहां से पढ़ाई करने के लिए पांच किलोमीटर पैदल जाना पड़ता था. मेरी प्राथमिक पढ़ाई गांव के स्कूल जुन्घरार से हुई. उसके बाद मैंने दसवीं की पढ़ाई पूरी की. फिर बारहवीं की, जिसके बाद 1995 में उनकी जेबीटी अध्यापक की नौकरी लग गई.

देवी सिंह ने बताया कि मेरे मन में एक ही बात थी कि हमने तो बहुत गरीबी देखी है, लेकिन अब गरीबी की वजह से किसी हुनरमंद बच्चे का भविष्य बर्बाद न हो. इसलिए मैंने ठान लिया कि ऐसे बच्चों को पढ़ाऊंगा, ताकि उनका भविष्य बन सके. आज भी किसी बच्चे को कॉलेज या अन्य पढ़ाई के लिए जरूरत होगी, तो मैं उनकी सहायता करने के लिए तत्पर हूं.

ये भी पढ़ें: शिक्षा विभाग में 4 हजार पदों को भरने की अनुमति, कैबिनेट बैठक में इन फैसलों पर भी लगी मुहर

चंबा: इरादे मजबूत हों और नीयत साफ हो तो मंजिल अपने आप मिल जाती है, इसलिए मेहनत के साथ आगे बढ़ें. सफलता आपके कदम जरूर चूमेगी. इसे सच कर दिखाया है जिला चंबा के छोटे से गांव जुन्घरार के रहने वाले देवी सिंह शर्मा ने, जो पेशे से अध्यापक हैं.

देवी सिंह का बचपन काफी संघर्ष में गुजरा और बड़ी मुश्किल से पढ़ाई की. देवी सिंह शर्मा वर्ष 1995 में पहली बार जेबीटी अध्यापक नियुक्त हुए. उनके दिल और दिमाग में बस यही बात थी कि जिस तरह से गरीबी और मुफलिसी (failure) में उनकी जिंदगी बीती है, किसी और छात्र के साथ ऐसा ना हो. ऐसे में अध्यापक देवी सिंह शर्मा ने समाज के कमजोर और गरीब तबके के बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया, जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी.

देवी सिंह शर्मा अपने दम पर उनकी पढ़ाई से लेकर उनकी आर्थिक तौर पर सहायता करते रहे, ताकि किसी को कोई परेशानी ना हो. ये सिलसिला पिछले बीस से अधिक सालों से चलता आ रहा है. देवी सिंह ने उन बच्चों को भी पढ़ाने का कार्य किया, जो किराए पर कमरा लेकर नहीं पढ़ सकते थे. उनके रहने और उनकी पढ़ाई का भी खर्चा उठाया.

वीडियो.

देवी सिंह ने बीस सालों में 100 से अधिक बच्चों की सहायता की है. जो आज कहीं ना कहीं सरकारी नौकरी के उच्च पदों पर बैठे हैं. ऐसे होनहार अध्यापक समाज के लिए किसी आईने से कम नहीं हैं. समाज के अन्य अध्यापकों को भी देवी सिंह शर्मा से सीख लेने की आवश्यकता है. देवी सिंह आजकल राजकीय प्राथमिक पाठशाला पुखरी में केंद्रीय मुख्य अध्यापक के पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. उनके दायरे में चार प्राथमिक स्कूल आते हैं, जिनकी वे निगरानी भी करते हैं.

केंद्रीय मुख्य अध्यापक देवी सिंह शर्मा का कहना है की मेरा गांव बहुत छोटा सा है. वहां से पढ़ाई करने के लिए पांच किलोमीटर पैदल जाना पड़ता था. मेरी प्राथमिक पढ़ाई गांव के स्कूल जुन्घरार से हुई. उसके बाद मैंने दसवीं की पढ़ाई पूरी की. फिर बारहवीं की, जिसके बाद 1995 में उनकी जेबीटी अध्यापक की नौकरी लग गई.

देवी सिंह ने बताया कि मेरे मन में एक ही बात थी कि हमने तो बहुत गरीबी देखी है, लेकिन अब गरीबी की वजह से किसी हुनरमंद बच्चे का भविष्य बर्बाद न हो. इसलिए मैंने ठान लिया कि ऐसे बच्चों को पढ़ाऊंगा, ताकि उनका भविष्य बन सके. आज भी किसी बच्चे को कॉलेज या अन्य पढ़ाई के लिए जरूरत होगी, तो मैं उनकी सहायता करने के लिए तत्पर हूं.

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Last Updated : Aug 25, 2021, 1:38 PM IST
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