चंबा: चंबा मेडिकल कॉलेज को सरकार 8 सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर के सहारे चला रही है. मेडिकल कॉलेज के विभागों में एक-एक सीनियर रेजिडेंट सेवाएं दे रहे हैं. सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर का मरीजों के इलाज से लेकर एमबीबीएस प्रशिक्षुओं की पढ़ाई में भी योगदान रहता है. अस्पताल में जब भी कोई इमरजेंसी होती है तो सीनियर रेजिडेंट मरीज के इलाज को लेकर अपने जूनियर चिकित्सकों को परामर्श देता है. जरूरत पड़ने पर स्वयं मरीज की जांच और इलाज करता है लेकिन चंबा मेडिकल कॉलेज में ऐसी व्यवस्था देखने को नहीं मिल रही है.
सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स की भारी कमी
सरकार मेडिकल कॉलेज में विशेषज्ञों की तैनाती करने की बजाय आउट सोर्स पर स्टाफ नर्स, सफाई कर्मचारी और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद भरने जा रही है. हालात यह हैं कि मरीजों को इलाज के लिए टांडा और शिमला भेजा जा रहा है.
सामान्य ओपीडी और कोविड अस्पताल में सेवाएं देने के लिए पर्याप्त मात्रा में डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं. 4 तारीख को हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर चंबा जिला के एक दिवसीय दौरे पर आए थे. तब भी पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मिला था और डाक्टर की तैनाती को लेकर बात रखी थी. उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि उन्हें दो से तीन जगह कार्य करना पड़ रहा है जिसके चलते उन्हें परेशानी खड़ी हो रही है.
सीएम ने दिया था डॉक्टर्स की तैनाती का भरोसा
मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया था कि जल्द डॉक्टरों की तैनाती की जाएगी लेकिन जिस तरह के हालात बने हुए हैं उससे कहीं नहीं लगता कि डॉक्टर की तैनाती हो पाएगी. पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के एचओडी डॉक्टर पंकज गुप्ता का कहना है कि मेडिकल कॉलेज में सीनियर रेजिडेंट कम से कम 100 होने चाहिए.
प्रदेश के अन्य मेडिकल कॉलेजों में चंबा मेडिकल कॉलेज की तुलना में अधिक सीनियर रेजिडेंट उपलब्ध हैं. सरकार को चंबा में सीनियर रेजिडेंट के खाली पद शीघ्र भरने चाहिए ताकि यहां पर डॉक्टर बेहतरीन सेवाएं दे सकें. चंबा जिले की छह लाख की आबादी इसी मेडिकल कॉलेज पर निर्भर रहती है.
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