चंबा: प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा के तहत राधाअष्टमी के पावन मौके पर डल झील में शाही न्हौण करीब 23 घंटों तक चला. बुधवरा को यह शाही स्नान पूरे विधि विधान के साथ संपन्न हुआ. इस दौरान संचूई के शिव चेलों ने पवित्र डल झील को आर-पार करने की सदियों से चली आ रही परंपरा का निर्वाहन किया.
वहीं, पड़ोसी राज्य जम्मू-कश्मीर के विभिन्न छड़ियों ने भी रियासतकाल से चली आ रही रस्मों को निभाया. लिहाजा कोरोना संकट के चलते इस मर्तबा महज एक सौ के करीब यात्रियों ने ही राधाअष्टमी के मौके पर डल में आस्था की डुबकी लगाई. इस खास मौके पर डीसी चंबा विवेक भाटिया भी बुधवार को डल झील पहुंचे और इस दौरान यात्रा के विभिन्न पड़ावों में व्यवस्थाओं का जायजा भी लिया.
बता दें कि राधाअष्टमी के शाही स्नान का आगाज मंगलवार दोपहर 12 बजकर 22 मिनट पर हुआ था. वहीं, बुधवार सुबह दस बजकर चालीस मिनट पर इसका समापन हुआ. इससे पहले संचूई के शिव चेलों ने सप्तमी में मंगलवार को डल तोड़ने की रस्म निभाई, जिसके बाद विधिवत रूप से यात्रा का शाही स्नान शुरू हुआ. लिहाजा इस दौरान दशनाम अखाडा, चरपट नाथ, चौरासी और भद्रवाही छड़ियों ने भी डल में डुबकी लगाई.
गौर रहे कि कोरोना माहामारी के चलते इस साल सरकार ने मणिमहेश यात्रा पर रोक लगा दी थी और महज परंपराओं को निभाने का ही फैसला लिया था. प्रशासन की ओर से सदियों से यात्रा में हिस्सा लेने वाली छड़ियों के अलावा संचूई के शिव चेलो, कुगती और हड़सर के पुजारियों समेत एक सौ के करीब लोगों को ही डल झील की ओर जाने की अनुमति प्रदान की थी. लिहाजा इन सभी लोगों ने शाही न्हौण में सदियों से चली आ रही परंपराओं को निभा कर भोले नाथ के दरबार में हाजिरी लगाई.
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