चंबा: प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना सलूणी उपमंडल के किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. इस योजना का लाभ लेकर किसानों ने नकदी फसलों का दोहन कर उपमंडल की प्रदेश में अलग पहचान बनाई है. इससे किसान लाखों रुपए कमा रहे हैं. वहीं, इसके चलते प्रदेश के अन्य जिलों के किसान सलूणी उपमंडल के किसानों से नकदी फसलों का प्रशिक्षण लेने के लिए आ रहे हैं.
क्षेत्र के किसान सालों से अपनी जमीन में मक्की, गंदम का दोहन बारिश पर आधारित करते आ रहे थे. इन फसलों से उन्हें बड़ी मुश्किल से अपने परिवार का पालन पोषण करना पड़ता था, लेकिन केंद्र सरकार ने किसानों की आर्थिक को सुदृढ़ करने के लिए कई योजनाएं संचालित की हैं, लेकिन उन स्कीमों में सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री कृषि किसान योजना किसानों के लिए एक वरदान साबित हो रही है. इस योजना के तहत किसानों को सिंचाई सुविधा मिलने से अब किसान अपनी नकदी फसलों को उगाने के लिए बारिश के पानी पर निर्भर नहीं हैं.
वहीं, किसानों को नकदी फसलों के लिए प्रेरित करने के लिए कृषि विभाग व भू संरक्षण विभाग की सराहनीय भूमिका रही है. इसकी बदौलत किसानों ने बेमौसमी व अन्य नकदी फसलों के प्रति अपना रुझान बढ़ाया है. इसके चलते अब किसानों ने नकदी फसलों को अपना व्यवसाय मान लिया हैं और इससे किसानों को भरपूर लाभ हो रहा है. किसानों ने अब अपनी नकदी फसलों को बाहरी सब्जी मंडियों में बेच कर लाखों रुपए कमा रहे हैं.
वहीं, किसानों को नकदी फसलों के लिए अग्रसर करने में भू-संरक्षण विभाग का अहम रोल रहा है. भू-संरक्षण उपमंडल कार्यालय बनीखेत ने पिछले तीन सालों में उपमंडल सलूणी में 50 लाख रुपए खर्च कर सिंचाई व्यवस्था में फुहारे छिड़काव उपलब्ध करवाए. इसके चलते 200 किसानों को कृषि व्यवसाय से जोड़ा गया है.
कृषि विभाग भू-संरक्षण अधिकारी बनी खेत योग राज चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत बीते तीन सालों में 50 लाख रुपए खर्च कर 60 हैक्टेयर भूमि को सिंचाई लायक बनाने के साथ 200 लोगों को लाभ पहुंचाया है. उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत 4.95 लाख खर्च कर नरोई, बाणी और बंजवाड में सामुदायिक टैंकों का निर्माण किया गया. इन टैंकों के अन्तर्गत 8 हैक्टेयर भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाई है, जिससे 45 किसानों को लाभ पहुंचा है.
साथ ही इन टैंकों को फुहारे छिड़काव सिंचाई संयंत्र से जोड़ा गया है. किसान एक बीघा जमीन से 5 से 6 हजार रूपए ले रहे हैं और साल में एक से दो लाख रुपए कमा रहे है. विभाग का लक्ष्य है कि किसानों को नकदी फसलों से अधिक से अधिक जोड़ने के लिए प्रयासरत हैं.
ये भी पढ़ें: भरमौर एनएच पर गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त, तीन घायल