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शीतकालीन सत्र ना बुलाना सरकार की सबसे बड़ी नाकामी: आशा कुमारी

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Published : Dec 6, 2020, 9:05 PM IST

डलहौजी से विधायक आशा कुमारी ने पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि हिमाचल प्रदेश शीतकाल का विधानसभा सत्र ना बुलाना सरकार की सबसे बड़ी नाकामी है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि इस बार विधानसभा सत्र को लेकर हमने कई सवाल तैयार किए थे, लेकिन जब सरकार के पास कांग्रेस पार्टी के विधायकों का डाटा गया तो सरकार ने बचने के लिए विधानसभा सत्र ही टाल दिया इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है जहां प्रदेश के लोगों के मुद्दों को नहीं सुना जा रहा है.

Press conference of MLA Asha Kumari in Dalhousie
फोटो.

चंबा: हिमाचल प्रदेश कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठ नेत्री एवं डलहौजी से विधायक आशा कुमारी ने पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि हिमाचल प्रदेश शीतकाल का विधानसभा सत्र ना बुलाना सरकार की सबसे बड़ी नाकामी है.

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि इस बार विधानसभा सत्र को लेकर हमने कई सवाल तैयार किए थे, लेकिन जब सरकार के पास कांग्रेस पार्टी के विधायकों का डाटा गया तो सरकार ने बचने के लिए विधानसभा सत्र ही टाल दिया इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है जहां प्रदेश के लोगों के मुद्दों को नहीं सुना जा रहा है.

हालांकि इसके बारे में उन्होंने कहा कि प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि विधानसभा सत्र 6 महीने में कभी भी हो सकता है, लेकिन हिमाचल प्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य है जहां नियम में यह प्रावधान किया गया है कि साल में सिटिंग करवानी होगी, लेकिन पिछले 3 सालों से सरकार 35 सिटिंग करवाने में नाकाम साबित हुई है.

वीडियो.

हिमाचल प्रदेश देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां नियम में प्रावधान किया गया है

नियम 4 में है प्रावधान कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठ नेत्री एवं डलहौजी से विधायक आशा कुमारी ने कहा कि देश के दूसरे विधानसभाओं में 6 महीने को विधानसभा सत्र आगे पीछे हो सकता है, लेकिन हिमाचल प्रदेश देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां नियम में प्रावधान किया गया है.

नियम चार में साफ तौर पर कहा है कि हिमाचल प्रदेश में साल में 35 सिटिंग करवानी सरकार की जिम्मेदारी है लेकिन सरकार मुद्दों से भाग रही है. राज्यपाल से मिल चुकी थी मंजूरी हिमाचल प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र धर्मशाला में 7 से 12 दिसंबर तक निर्धारित किया गया था.

सत्र को टाल दिया जो अपने आप में सरकार की मानसिकता को दर्शाता है

इसके बारे में राज्यपाल से मंजूरी मिल गई थी और राज्यपाल ने सभी विधायकों को अधिसूचना जारी करते हुए अवगत करवाया था कि वह अपने अपने सवाल विधानसभा को भेज सकते हैं, लेकिन उसके बावजूद भी सरकार ने सत्र को टाल दिया जो अपने आप में सरकार की मानसिकता को दर्शाता है.

विधानसभा सत्र ना बुलाना सरकार की सबसे बड़ी नाकामी

वहीं, दूसरी ओर डलहौजी से कांग्रेस की विधायक आशा कुमारी ने कहा कि कि हिमाचल प्रदेश का शीतकालीन विधानसभा सत्र ना बुलाना सरकार की सबसे बड़ी नाकामी है. सरकार मुद्दों से भाग रही है ऐसे में हमने कई सारे मुद्दे तैयार किए थे. जिसका जवाब सरकार को देना था जब हमने सवाल तैयार करके विधानसभा को भेजे तो ऐन मौके पर सरकार ने अपना रवैया बदल दिया और विधानसभा सत्र डाल दिया.

हालांकि बहुत सारे मुद्दे थे जिनके जवाब प्रदेश की जनता को मिलना चाहिए था, लेकिन हिमाचल प्रदेश की जनता को सरकार ने दरकिनार किया है इसका जवाब जनता जरूर देगी हम जनता के लिए लड़ रहे हैं और आखिरी दम तक लड़ते रहेंगे प्रदेश की जनता हमारे लिए सबसे पहले हैं.

विधायिका आशा कुमारी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कोरोना वायरस के मामले काफी संख्या बढ़ गए हैं. आज हिमाचल प्रदेश देश की कोरोना वायरस राजधानी बन गया है. हम शुरुआत से कहते रहे स्कूल मत खोलिए बॉर्डर पर खोलिए, लेकिन सरकार को अब सब बंद करना पड़ा है, लेकिन हमारी बात नहीं मानी. जिसका खामियाजा आज प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ रहा है.

चंबा: हिमाचल प्रदेश कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठ नेत्री एवं डलहौजी से विधायक आशा कुमारी ने पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि हिमाचल प्रदेश शीतकाल का विधानसभा सत्र ना बुलाना सरकार की सबसे बड़ी नाकामी है.

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि इस बार विधानसभा सत्र को लेकर हमने कई सवाल तैयार किए थे, लेकिन जब सरकार के पास कांग्रेस पार्टी के विधायकों का डाटा गया तो सरकार ने बचने के लिए विधानसभा सत्र ही टाल दिया इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है जहां प्रदेश के लोगों के मुद्दों को नहीं सुना जा रहा है.

हालांकि इसके बारे में उन्होंने कहा कि प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि विधानसभा सत्र 6 महीने में कभी भी हो सकता है, लेकिन हिमाचल प्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य है जहां नियम में यह प्रावधान किया गया है कि साल में सिटिंग करवानी होगी, लेकिन पिछले 3 सालों से सरकार 35 सिटिंग करवाने में नाकाम साबित हुई है.

वीडियो.

हिमाचल प्रदेश देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां नियम में प्रावधान किया गया है

नियम 4 में है प्रावधान कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठ नेत्री एवं डलहौजी से विधायक आशा कुमारी ने कहा कि देश के दूसरे विधानसभाओं में 6 महीने को विधानसभा सत्र आगे पीछे हो सकता है, लेकिन हिमाचल प्रदेश देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां नियम में प्रावधान किया गया है.

नियम चार में साफ तौर पर कहा है कि हिमाचल प्रदेश में साल में 35 सिटिंग करवानी सरकार की जिम्मेदारी है लेकिन सरकार मुद्दों से भाग रही है. राज्यपाल से मिल चुकी थी मंजूरी हिमाचल प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र धर्मशाला में 7 से 12 दिसंबर तक निर्धारित किया गया था.

सत्र को टाल दिया जो अपने आप में सरकार की मानसिकता को दर्शाता है

इसके बारे में राज्यपाल से मंजूरी मिल गई थी और राज्यपाल ने सभी विधायकों को अधिसूचना जारी करते हुए अवगत करवाया था कि वह अपने अपने सवाल विधानसभा को भेज सकते हैं, लेकिन उसके बावजूद भी सरकार ने सत्र को टाल दिया जो अपने आप में सरकार की मानसिकता को दर्शाता है.

विधानसभा सत्र ना बुलाना सरकार की सबसे बड़ी नाकामी

वहीं, दूसरी ओर डलहौजी से कांग्रेस की विधायक आशा कुमारी ने कहा कि कि हिमाचल प्रदेश का शीतकालीन विधानसभा सत्र ना बुलाना सरकार की सबसे बड़ी नाकामी है. सरकार मुद्दों से भाग रही है ऐसे में हमने कई सारे मुद्दे तैयार किए थे. जिसका जवाब सरकार को देना था जब हमने सवाल तैयार करके विधानसभा को भेजे तो ऐन मौके पर सरकार ने अपना रवैया बदल दिया और विधानसभा सत्र डाल दिया.

हालांकि बहुत सारे मुद्दे थे जिनके जवाब प्रदेश की जनता को मिलना चाहिए था, लेकिन हिमाचल प्रदेश की जनता को सरकार ने दरकिनार किया है इसका जवाब जनता जरूर देगी हम जनता के लिए लड़ रहे हैं और आखिरी दम तक लड़ते रहेंगे प्रदेश की जनता हमारे लिए सबसे पहले हैं.

विधायिका आशा कुमारी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कोरोना वायरस के मामले काफी संख्या बढ़ गए हैं. आज हिमाचल प्रदेश देश की कोरोना वायरस राजधानी बन गया है. हम शुरुआत से कहते रहे स्कूल मत खोलिए बॉर्डर पर खोलिए, लेकिन सरकार को अब सब बंद करना पड़ा है, लेकिन हमारी बात नहीं मानी. जिसका खामियाजा आज प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ रहा है.

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