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पहाड़ में दफन होने की कगार पर ये गांव, ना सरकार ना प्रशासन के पास कोई समाधान

चंबा जिले के तीसा उपमंडल के तहत आने वाले मांडून गांव के अस्तित्व पर खतरा बना हुआ है. इस गांव में भूस्खलन का खतरा इस कदर है कि कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. गांव की निचली तरफ भारी मात्रा में लैंडस्लाइड हो रहा है, जिसके चलते पूरे गांव पर खतरा बना हुआ है.

Landslide prone area Mandoon village
Landslide prone area Mandoon village
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Published : Nov 14, 2020, 6:19 PM IST

चंबा: हिमाचल प्रदेश की चुराह विधानसभा क्षेत्र के तीसा उपमंडल के तहत आने वाली बोंदेड़ी पंचायत के मांडून गांव के अस्तित्व पर खतरा बना हुआ है. इस गांव में भूस्खलन का खतरा इस कदर है कि कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. गांव की निचली तरफ भारी मात्रा में लैंडस्लाइड हो रहा है, जिसके चलते पूरे गांव पर खतरा बना हुआ है.

मांडून गांव में 32 परिवार हैं, जिनकी आबादी 250 के करीब है. पिछले कई सालों से यहां के ग्रामीण खतरे के साए में अपना जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं. बरसात के दिनों में तो अकसर यहां के लोगों की रातों की नींद भी हराम हो जाती है, क्योंकि हर वक्त लैंडलस्लाइड होने का अंदेशा बना रहता है.

लगातार हो रहे लैंडस्लाइड के कारण अब मात्र 15 से 20 मीटर का फासला गांव और लैंडस्लाइंड वाली जगह के बीच बचा हुआ है. खेती योग्य कई बीघा जमीन भी इस लैंडस्लाइड की भेंट चढ़ चुकी है. ग्रामीणों का कहना है कि अब कभी भी पूरा गांव भूस्खलन की जद में आ सकता है.

वीडियो.

इस गांव की दूरी जिला मुख्यालय से करीब 90 किलोमीटर है. कई बार ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से भी इस समस्या के समाधान की गुहार लगाई, लेकिन आज तक उसका समाधान नहीं हो पाया.

ग्रामीणों का कहना है कि स्थानीय विधायक हंसराज से लेकर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और सरकार के जनमंच कार्यक्रम में भी वह अपनी इस समस्या को रख चुके हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का कोई हल नहीं हो सका.

डर के साए में ग्रामीण

हम लोगों ने अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाने का प्रयास किया है, लेकिन हमें हर बार मायूसी हाथ लगी है. हमारे गांव में इतना बड़ा लैंडस्लाइड हो रहा है और यह कभी भी पूरे गांव को अपनी जद में ले सकता है. भय के कारण रात को नींद नहीं आती, लेकिन किसी भी प्रशासनिक या सरकारी अमले का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.

ग्रामीणों ने कहा कि जहां भूस्खलन हो रहा है ठीक उसके नीचे एक निजी प्रोजेक्ट का काम चला हुआ है, जिस कारण यहां बहने वाली खड्ड का पानी भी इसी और आ जाता है, जिससे खतरा और अधिक बढ़ गया है. जहां संभव हो सकता था हमने अपनी फरियाद सुनाई, लेकिन किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया.

ग्रामीणों ने कहा कि हम प्रदेश मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से ये मांग करते हैं कि हमारी बात सुनी जाए और जल्द से जल्द इस समस्या के समाधान के लिए जरूरी कदम उठाए जाएं, ताकि एक पूरे गांव को बर्बाद होने से बचाया जा सके. समय रहते इस ओर कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो यह पूरे का पूरा गांव नेस्तनाबूद हो जाएगा.

क्या कहते हैं एसडीएम तीसा ?

जब इस बारे तीसा उपमंडल के एसडीएम मनीष चौधरी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वह हाल ही में यहां ज्वाइन हुए हैं और अब मामला ध्यान में लाया गया है तो जल्द ही मामले की तहकीकात की जाएगी. इसके लिए टीमें गठित करने के बाद इसकी रिपोर्ट बनाकर सरकार को भेजेंगे और जल्द ही इस गांव को सुरक्षित करने का प्रयास किया जाएगा.

चंबा: हिमाचल प्रदेश की चुराह विधानसभा क्षेत्र के तीसा उपमंडल के तहत आने वाली बोंदेड़ी पंचायत के मांडून गांव के अस्तित्व पर खतरा बना हुआ है. इस गांव में भूस्खलन का खतरा इस कदर है कि कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. गांव की निचली तरफ भारी मात्रा में लैंडस्लाइड हो रहा है, जिसके चलते पूरे गांव पर खतरा बना हुआ है.

मांडून गांव में 32 परिवार हैं, जिनकी आबादी 250 के करीब है. पिछले कई सालों से यहां के ग्रामीण खतरे के साए में अपना जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं. बरसात के दिनों में तो अकसर यहां के लोगों की रातों की नींद भी हराम हो जाती है, क्योंकि हर वक्त लैंडलस्लाइड होने का अंदेशा बना रहता है.

लगातार हो रहे लैंडस्लाइड के कारण अब मात्र 15 से 20 मीटर का फासला गांव और लैंडस्लाइंड वाली जगह के बीच बचा हुआ है. खेती योग्य कई बीघा जमीन भी इस लैंडस्लाइड की भेंट चढ़ चुकी है. ग्रामीणों का कहना है कि अब कभी भी पूरा गांव भूस्खलन की जद में आ सकता है.

वीडियो.

इस गांव की दूरी जिला मुख्यालय से करीब 90 किलोमीटर है. कई बार ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से भी इस समस्या के समाधान की गुहार लगाई, लेकिन आज तक उसका समाधान नहीं हो पाया.

ग्रामीणों का कहना है कि स्थानीय विधायक हंसराज से लेकर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और सरकार के जनमंच कार्यक्रम में भी वह अपनी इस समस्या को रख चुके हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का कोई हल नहीं हो सका.

डर के साए में ग्रामीण

हम लोगों ने अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाने का प्रयास किया है, लेकिन हमें हर बार मायूसी हाथ लगी है. हमारे गांव में इतना बड़ा लैंडस्लाइड हो रहा है और यह कभी भी पूरे गांव को अपनी जद में ले सकता है. भय के कारण रात को नींद नहीं आती, लेकिन किसी भी प्रशासनिक या सरकारी अमले का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.

ग्रामीणों ने कहा कि जहां भूस्खलन हो रहा है ठीक उसके नीचे एक निजी प्रोजेक्ट का काम चला हुआ है, जिस कारण यहां बहने वाली खड्ड का पानी भी इसी और आ जाता है, जिससे खतरा और अधिक बढ़ गया है. जहां संभव हो सकता था हमने अपनी फरियाद सुनाई, लेकिन किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया.

ग्रामीणों ने कहा कि हम प्रदेश मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से ये मांग करते हैं कि हमारी बात सुनी जाए और जल्द से जल्द इस समस्या के समाधान के लिए जरूरी कदम उठाए जाएं, ताकि एक पूरे गांव को बर्बाद होने से बचाया जा सके. समय रहते इस ओर कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो यह पूरे का पूरा गांव नेस्तनाबूद हो जाएगा.

क्या कहते हैं एसडीएम तीसा ?

जब इस बारे तीसा उपमंडल के एसडीएम मनीष चौधरी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वह हाल ही में यहां ज्वाइन हुए हैं और अब मामला ध्यान में लाया गया है तो जल्द ही मामले की तहकीकात की जाएगी. इसके लिए टीमें गठित करने के बाद इसकी रिपोर्ट बनाकर सरकार को भेजेंगे और जल्द ही इस गांव को सुरक्षित करने का प्रयास किया जाएगा.

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