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बच्चों के भविष्य से हो रहा खिलवाड़, शिक्षकों की कमी के चलते छात्रों की पढ़ाई प्रभावित - चंबा के स्कूलों में शिक्षकों की कमी

चंबा जिला के डलहौजी विधानसभा क्षेत्र के गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल संघनी में पिछले कई महीने से एक भी अध्यापक बच्चों को पढ़ाने  के लिए नहीं है. बच्चों की वार्षिक परीक्षाओं को कुछ ही महीने बाकी हैं और बच्चे अपने परिणाम को लेकर काफी चिंतित दिख रहे हैं.

Government Senior Secondary School Sanghani
बच्चों के भविष्य से हो रहा खिलवाड़, स्टाफ की कमी के चलते छात्रों की पढ़ाई प्रभावित
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Published : Nov 29, 2019, 2:37 PM IST

चंबा: प्रदेश सरकार बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए शिक्षा के क्षेत्र में करोड़ों रुपये खर्च करती है, लेकिन अभी भी कई क्षेत्र ऐसे है जहां छात्रों की पढ़ाई के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों के शिक्षण संस्थानों में आज भी शिक्षा के अभाव के चलते बच्चों का भविष्य दाव पर लगा हुआ है. बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर स्कूल में सुविधाओं के साथ अध्यापकों की कमी है.

वीडियो.

चंबा जिला के डलहौजी विधानसभा क्षेत्र के गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल संघनी की बात करें तो यहां पर पिछले कई महीने से एक भी अध्यापक बच्चों को पढ़ाने के लिए नहीं है. जिन अध्यापकों को यहां तैनात किया जाता है, कुछ ही समय बाद यहां से बदली कर दी जाती है. बच्चों की वार्षिक परीक्षाओं को कुछ ही महीने बाकी है और बच्चे अपने परिणाम को लेकर काफी चिंतित दिख रहे हैं.

बच्चों ने बताया कि संघणी स्कूल सरकार की सुविधाओं से वंछित है. उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में भी उन्हें खुद के पैसे देकर पढ़ाई करनी पड़ रही है. बच्चों ने सरकार व शिक्षा मंत्री से आग्रह किया है कि उनके स्कूल में रिक्त पड़े पदों पर अध्यापकों की नियुक्ति की जाए.

ये भी पढ़ें: HPU दीक्षांत समारोह के लिए तय नए ड्रेस कोड से नाखुश छात्र, गुणवत्ता को लेकर भी उठाए सवाल

वहीं, गांव के पंचायत प्रधान ने भी यही माना है कि उनके गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल संघणी में कोई भी अध्यापक नहीं हैं. उन्होंने कहा कि एसएमसी के माध्यम से उन्होंने सरकार को अवगत भी करवाया है कि यहां पर स्कूल में अध्यापकों को भेजा जाए, लेकिन उसके बावजूद भी बच्चों का भविष्य अंधकार में लटका हुआ है. उन्होंने कहा कि अभिभावक खुद पैसे इकट्ठे कर यहां से प्राइवेट टीचर को बुलाते हैं और वही बच्चों को पढ़ाई करवा रहे हैं.

चंबा: प्रदेश सरकार बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए शिक्षा के क्षेत्र में करोड़ों रुपये खर्च करती है, लेकिन अभी भी कई क्षेत्र ऐसे है जहां छात्रों की पढ़ाई के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों के शिक्षण संस्थानों में आज भी शिक्षा के अभाव के चलते बच्चों का भविष्य दाव पर लगा हुआ है. बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर स्कूल में सुविधाओं के साथ अध्यापकों की कमी है.

वीडियो.

चंबा जिला के डलहौजी विधानसभा क्षेत्र के गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल संघनी की बात करें तो यहां पर पिछले कई महीने से एक भी अध्यापक बच्चों को पढ़ाने के लिए नहीं है. जिन अध्यापकों को यहां तैनात किया जाता है, कुछ ही समय बाद यहां से बदली कर दी जाती है. बच्चों की वार्षिक परीक्षाओं को कुछ ही महीने बाकी है और बच्चे अपने परिणाम को लेकर काफी चिंतित दिख रहे हैं.

बच्चों ने बताया कि संघणी स्कूल सरकार की सुविधाओं से वंछित है. उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में भी उन्हें खुद के पैसे देकर पढ़ाई करनी पड़ रही है. बच्चों ने सरकार व शिक्षा मंत्री से आग्रह किया है कि उनके स्कूल में रिक्त पड़े पदों पर अध्यापकों की नियुक्ति की जाए.

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वहीं, गांव के पंचायत प्रधान ने भी यही माना है कि उनके गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल संघणी में कोई भी अध्यापक नहीं हैं. उन्होंने कहा कि एसएमसी के माध्यम से उन्होंने सरकार को अवगत भी करवाया है कि यहां पर स्कूल में अध्यापकों को भेजा जाए, लेकिन उसके बावजूद भी बच्चों का भविष्य अंधकार में लटका हुआ है. उन्होंने कहा कि अभिभावक खुद पैसे इकट्ठे कर यहां से प्राइवेट टीचर को बुलाते हैं और वही बच्चों को पढ़ाई करवा रहे हैं.

Intro:राजकीय बरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला संघनी में स्टाफ की कमी के चलते बच्चों की पढाई प्रभावित ,

हिमाचल प्रदेश सरकार  शिक्षा के क्षेत्र में करोड़ों रुपए खर्च तो कर रही  है और अपने को इस क्षेत्र में देश में बढ़िया प्रदर्शन की बात भी कर रही  है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है।  दरअसल दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों के शिक्षण संस्थानों में आज भी शिक्षा के अभाव के चलते बच्चों का भविष्य दाव पर लगा हुआ है।  बहुत से ऐसे  क्षेत्र है जहां पर स्कूल तो खोल दिए गए हैं लेकिन वहां पर सरकार स्कूल में सुविधाएं व अध्यापक देना ही भूल गई।  कई स्कूल ऐसे हैं जहां पर एक भी अध्यापक पढ़ाने   के लिए नहीं है और  वहां के अभिभावकों को अपने बच्चों के भविष्य के लिए काफी चिंता रहती है। अभिभावकों को  स्कूल में अध्यापक ना होने की वजह से खुद अपने पैसे खर्च कर बाहर से बच्चों को पढ़ाने के लिए टीचर को लाने पढ़ रहें  है। कहने को तो यह सरकारी स्कूल हैलेकिन यहां ऐसी व्यवस्था बनी है कि लोगों को खुद खर्च कर अपने बच्चों को पढ़ाना पढ़ कर रहा है।  चम्बा  जिला के डलहौजी विधानसभा क्षेत्र के गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल संघनी  की बात करें तो यहां पर पिछले कई महीने से एक भी अध्यापक बच्चों को पढाने  के लिए नहीं है।   जिन अध्यापकों यहां तैनात किया जाता   है वह कुछ ही समय बाद यहां से बदल दिए जाते  है। अभी बच्चों की वार्षिक परीक्षाओं को कुछ ही महीने बाकी है और बच्चों अपने बार्षिक परिणाम को लेकर काफी चिंतित दिख रहे हैं।  वैसे तो प्राइवेट अध्यापक यहां पर बच्चों को शिक्षा तो दे रहे हैं लेकिन कुछ एक विषयों को बच्चे खुद ही पढ़ रहे हैं।  बच्चे सुबह स्कूल आते हैं और अपने आप ही पढ़ाई-लिखाई कर वापस घर को चले जाते हैं और यह सिलसिला निरंतर कई दिनों से चला आ रहा है।  शिक्षा विभाग मानव आंखें इन भविष्य इन बच्चों के भविष्य को अंधकार में डूबता देख रहा हैBody:बिना अध्यापकों के बच्चों को यहां किसी भी प्रकार का ज्ञान नहीं मिल पा रहा है जब उनसे मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री के बारे में पूछा गया तो कक्षा में किसी भी बच्चे को शिक्षा मंत्री के नाम का पता नहीं था।  बच्चों का यही कहना था कि  स्कूल में अध्यापक ही नहीं होंगे तो वह  इसके बारे में क्या बताएंगे उन्हें सामान्य ज्ञान के बारे कैसा पता होगा  उनके प्रदेश में क्या हो रहा है और कौन किस पद पर तैनात है। Conclusion:क्या कहते है स्कूली बच्चों
यहां शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों ने बताया कि सरकार तो रोजाना बड़े-बड़े दावे करती है कि हिमाचल प्रदेश में शिक्षा का स्तर बहुत ऊंचा जा रहा है  सरकारी संस्थान है वहां पर बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दी जा रही है लेकिन यहां संघणी  स्कूल में तो ऐसा कुछ नहीं दिख रहा है।  उन्हें सरकारी स्कूलों में भी खुद के पैसे देकर पढ़ाई करनी पड़ रही है।  उन्होंने सरकार व शिक्षा मंत्री से आग्रह किया है कि उनके स्कूल में रिक्त पड़े पदों पर अध्यापकों की नियुक्ति की जाए ताकि वार्षिक परीक्षा आने से पहले  वह कुछ पढ़ पाएं  वरना उनका यह  साल बर्बाद हो सकता है और उनका भविष्य अंधकार में पड़ सकता है।

क्या कहते है पंचायत प्रधान यकूफ मागरा .
गांव के  पंचायत प्रधान ने भी यही माना है कि उनके गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल संघणी  में  कोई भी अध्यापक नहीं है।  उन्होंने कहा कि s.m.c. के माध्यम से उन्होंने सरकार को अवगत भी करवाया है कि यहां पर स्कूल में अध्यापकों को भेजा जाए लेकिन उसके बावजूद भी  बच्चों का भविष्य अंधकार में लटका हुआ है।  उन्होंने कहा कि अभिभावक खुद पैसे इकट्ठे कर यहां से प्राइवेट टीचर को बुलाते हैं और वही बच्चों को पढ़ाई  करवा रहे हैं।  उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि उनके स्कूल में खाली पड़े अध्यापकों के पदों को भरा जाए ताकि बच्चों के भविष्य  को बचाया जा सके। 
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