चंबा/भरमौर: चंबा जिले में बीते दिनों आए बर्फीले तूफान ने खासी तबाही मचाई है. जिले के जालसू जोत पार कर होली घाटी की ओर आ रहे दो भेड़पालकों की 83 बकरियां इस बर्फीले तूफान की चपेट में आ गई. जिससे उनकी मौत हो गई. वहीं, प्रशासन की टीम ने सर्च अभियान के तहत 32 मरी हुई बकरियों के शव बरामद कर लिए हैं लेकिन 51 बकरियों का कोई पता नहीं लग पाया है. सर्च टीम ने प्रशासन को सौंपी अपनी रिपोर्ट में बताया कि जहां पर बाकि बकरियों के दबे होने की आशंका है, वहां पर अत्याधिक बर्फ है और मौजूदा समय में वहां तक पहुंच पाना संभव नहीं है. बहरहाल राजस्व विभाग की टीम ने मौके का दौरा कर लिया है और रिपोर्ट आगामी कार्रवाई के लिए आगे भेज दी गई है.
बता दें कि बीते रोज न्याग्रां पंचायत को सूचना मिली थी कि जालसू जोत में दो दर्जन के करीब भेड-बकरियां बर्फीले तूफान की चपेट में आने के चलते मर गई हैं. जिसकी सूचना पंचायत की ओर से राजस्व विभाग को दी गई. जिस पर विभाग की एक टीम जालसू जोत पहुंची. विभागीय टीम की ओर से सौंपी रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्राम पंचायत सांह के दो भेड़पालक राकेश कुमार व चैंका राम, पुत्र सरवण, निवासी बनोग, डाकघर भराडी अपनी बकरियों के साथ कांगडा से जालसू जोत होकर होली घाटी की तरफ आ रहे थे.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 21 अप्रैल को जालसू दर्रे पर मौसम अत्याधिक खराब हो गया और ओलावृष्टि, बर्फबारी के साथ-साथ तेज हवाएं चलने लगी. जिसकी चपेट में आकर 83 बकरियों की मौत हो गई. रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 32 बकरियों के शव मौके से बरामद कर लिए गए हैं. जबकि 51 लापता पाई गई है। टीम ने बताया कि जिस स्थान पर बकरियों के दबे होने की शंका है, वहां पर अत्याधिक बर्फ है और वहां तक पहुंच पाना मुमकिन नहीं है. रिपोर्ट में कहा गया है इनमें 19 राकेश कुमार और 13 चैंका राम की बकरियां शामिल हैं.
बता दें कि राजस्व विभाग की टीम करीब 50 किलोमीटर लंबा आने-जाने का सफर कर घटनास्थल का दौरा कर देर रात वापस अपने गंतव्य स्थान व्याख्यान पंचायत पहुंची है. वहीं, न्याग्रां-बजोल-ग्रोंड़ा की पंचायत समिति सदस्य लता देवी और ग्राम पंचायत व्याख्यान के प्रधान अशोक ठाकुर ने उपमंडलीय प्रशासन से मांग की है कि पीड़ित भेड़पालकों को उचित मुआवजा प्रदान कर राहत दी जाए.
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