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लोगों के लिए प्रेरणा बनीं दर्शना भारवीं, महिलाओं को बना रहीं आत्मनिर्भर - दर्शना भारवीं चंबा

जिला चंबा की रहने वाली दर्शना भारवीं खुद तो आत्मनिर्भर हैं हीं, दूसरी महिलाओं और युवतियों को भी आत्मनिर्भर बना रही हैं. दर्शना ने पहले खुद गर्म कपड़ों की बुनाई का काम सीखा. उसके बाद अन्य महिलाओं सहित बेरोजगार युवतियों को भी ये काम सिखाया.

दर्शना भारवीं
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Published : Aug 27, 2021, 2:12 PM IST

Updated : Aug 27, 2021, 2:46 PM IST

चंबा: कहते हैं दिल में कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो मंजिल खुद ब खुद मिल जाया करती है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है ग्राम पंचायत डांड के कंडियारा गांव निवासी दर्शना भारवीं ने. दर्शना ने पहले खुद गर्म कपड़ों की बुनाई का काम सीखा. उसके बाद अन्य महिलाओं सहित बेरोजगार युवतियों को भी ये काम सिखाया.

सबसे पहले दर्शना ने एक छोटी सी मशीन ली. उस मशीन के माध्यम से महिला-पुरुष और बच्चों के लिए गर्म स्वेटर बनाए. 1 दिन में चार से पांच स्वेटर मशीन पर बनाए जाते हैं. इसी तकनीक से अन्य महिलाओं और युवतियों को काम सिखाया जा रहा है, ताकि कम लागत में वह भी अपना व्यवसाय शुरू कर आत्मनिर्भर बन सके.

वीडियो.

हालांकि दर्शना भारवीं ने अभी तक पिछले 6 सालों में करीब 100 से अधिक लड़कियों और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की ओर अपनी भूमिका निभाई है. यही कारण है कि इस व्यवसाय से अब महिलाएं अच्छा खासा मुनाफा कमा रही हैं. सर्दियों के मौसम में तो यह कारोबार और भी अधिक बढ़ जाता है. जिसका लाभ भी मिल रहा है.

दर्शना के पास काम सीखने वाली महिलाओं और युवतियों का कहना है कि वह स्वेटर बुनाई का काम सीख रही हैं, जिससे वह आत्मनिर्भर बन सकें. महिलाओं का कहना है कि उन्हें कल के लिए किसी के ऊपर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं है. लड़कियों ने कहा है कि यह कार्य बहुत अच्छा है और इसे काफी मुनाफा हो सकता है. ऐसे में जो भी महिलाएं और युवतियां बेरोजगार हैं, वह भी इस कार्य को सीखकर आत्मनिर्भर बन सकती हैं.

दूसरी ओर दर्शना भारवीं का कहना है कि मैंने बुनाई का काम सीखा, उसके बाद अपने गांव में ही इस कार्य को शुरू किया. बाद में बहुत सारी महिलाएं और युवतियां भी उनके पास काम सीखने के लिए आईं. धीरे-धीरे कई महिलाओं और युवतियों ने काम सीखा, जिनकी संख्या 100 के करीब है. अब ये महिलाएं आत्मनिर्भर बन चुकी हैं और अपने-अपने क्षेत्रों में काम कर अच्छा खासा मुनाफा भी कमा रही हैं.

उन्होंने कहा है कि 'यह कार्य इतना मुश्किल नहीं है. अगर मेहनत की जाए तो इस कार्य को जल्द ही सीखा जा सकता है. मैं यह कार्य पिछले 6 सालों से कर रही हूं और अच्छा खासा मुनाफा हो रहा है. यहां पर महिलाओं, पुरुषों और बच्चों के लिए स्वेटर सहित अन्य सामान तैयार किया जाता है, जिसका मूल्य भी अच्छा मिलता है.'

वहीं, समाज सेवी अंजू धीमान का कहना है कि 'मैं हमेशा महिलाओं को आत्मनिर्भर और स्वरोजगार के साथ जोड़ने के लिए प्रेरित करती हूं. मेरा प्रयास होता है कि महिलाएं आत्मनिर्भर बनें. अब ये काम सीख कर काफी महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं. जिसमें दर्शना भारवीं मुख्य नाम है. इन्होंने कई महिलाओं को काम सिखाया है और उन्हें आत्मनिर्भर भी बनाया है, जो अपने आप में काबिले तारीफ है.'

ये भी पढ़ें: Weather update: हिमाचल में अगले चार दिनों तक येलो अलर्ट, इन 10 जिलों में बारिश और भूस्खलन की आशंका

चंबा: कहते हैं दिल में कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो मंजिल खुद ब खुद मिल जाया करती है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है ग्राम पंचायत डांड के कंडियारा गांव निवासी दर्शना भारवीं ने. दर्शना ने पहले खुद गर्म कपड़ों की बुनाई का काम सीखा. उसके बाद अन्य महिलाओं सहित बेरोजगार युवतियों को भी ये काम सिखाया.

सबसे पहले दर्शना ने एक छोटी सी मशीन ली. उस मशीन के माध्यम से महिला-पुरुष और बच्चों के लिए गर्म स्वेटर बनाए. 1 दिन में चार से पांच स्वेटर मशीन पर बनाए जाते हैं. इसी तकनीक से अन्य महिलाओं और युवतियों को काम सिखाया जा रहा है, ताकि कम लागत में वह भी अपना व्यवसाय शुरू कर आत्मनिर्भर बन सके.

वीडियो.

हालांकि दर्शना भारवीं ने अभी तक पिछले 6 सालों में करीब 100 से अधिक लड़कियों और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की ओर अपनी भूमिका निभाई है. यही कारण है कि इस व्यवसाय से अब महिलाएं अच्छा खासा मुनाफा कमा रही हैं. सर्दियों के मौसम में तो यह कारोबार और भी अधिक बढ़ जाता है. जिसका लाभ भी मिल रहा है.

दर्शना के पास काम सीखने वाली महिलाओं और युवतियों का कहना है कि वह स्वेटर बुनाई का काम सीख रही हैं, जिससे वह आत्मनिर्भर बन सकें. महिलाओं का कहना है कि उन्हें कल के लिए किसी के ऊपर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं है. लड़कियों ने कहा है कि यह कार्य बहुत अच्छा है और इसे काफी मुनाफा हो सकता है. ऐसे में जो भी महिलाएं और युवतियां बेरोजगार हैं, वह भी इस कार्य को सीखकर आत्मनिर्भर बन सकती हैं.

दूसरी ओर दर्शना भारवीं का कहना है कि मैंने बुनाई का काम सीखा, उसके बाद अपने गांव में ही इस कार्य को शुरू किया. बाद में बहुत सारी महिलाएं और युवतियां भी उनके पास काम सीखने के लिए आईं. धीरे-धीरे कई महिलाओं और युवतियों ने काम सीखा, जिनकी संख्या 100 के करीब है. अब ये महिलाएं आत्मनिर्भर बन चुकी हैं और अपने-अपने क्षेत्रों में काम कर अच्छा खासा मुनाफा भी कमा रही हैं.

उन्होंने कहा है कि 'यह कार्य इतना मुश्किल नहीं है. अगर मेहनत की जाए तो इस कार्य को जल्द ही सीखा जा सकता है. मैं यह कार्य पिछले 6 सालों से कर रही हूं और अच्छा खासा मुनाफा हो रहा है. यहां पर महिलाओं, पुरुषों और बच्चों के लिए स्वेटर सहित अन्य सामान तैयार किया जाता है, जिसका मूल्य भी अच्छा मिलता है.'

वहीं, समाज सेवी अंजू धीमान का कहना है कि 'मैं हमेशा महिलाओं को आत्मनिर्भर और स्वरोजगार के साथ जोड़ने के लिए प्रेरित करती हूं. मेरा प्रयास होता है कि महिलाएं आत्मनिर्भर बनें. अब ये काम सीख कर काफी महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं. जिसमें दर्शना भारवीं मुख्य नाम है. इन्होंने कई महिलाओं को काम सिखाया है और उन्हें आत्मनिर्भर भी बनाया है, जो अपने आप में काबिले तारीफ है.'

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Last Updated : Aug 27, 2021, 2:46 PM IST
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