चंबा: मंगलवार को चंबा के कांदु में हुए दर्दनाक बस हादसे में पांच परिवारों के चिराग हमेशा-हमेशा के लिए बुझ गए. वहीं, घायलों का चंबा मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है. एक गंभीर रूप से घायल शख्स को टांडा मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया है.
शुरुआती जांच में सामने आया है कि अगर सड़क किनारे पैराफिट या क्रैश बैरियर होते तो हादसा टल सकता था. हालांकि पुलिस ने चालक के खिलाफ लापरवाही से वाहन चलाने का मामला दर्ज किया है. घायल सवारियों ने पुलिस को जानकारी दी है कि बस रास्ते में दो बार खराब हुई थी. ऐसे में बस अपने निर्धारित समय से देरी से चल रही थी.
समय को कब्र करने के लिए बस चालक ने स्पिड से बस चलाई. इस दौरान चंबा से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर चाहला नामक स्थान पर ये दुर्घटना हुई. ऐसे में अगर सड़क किनारे पैराफिट या क्रैश बैरियर होता तो सड़क हादसा होने से बच सकता था.
ऐसे में सवाल उठता है कि जब भी कोई बड़ा हादसा होता है तो मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री तक शोक व्यक्त करते हैं. इसके अलावा कमेटी का गठन होता है. जांच रिपोर्ट भी बनती है, लेकिन ये रिपोर्ट महज कागजों में सिमट कर रह जाती है.
हादसे में घायल हुए कुछ लोगों ने कहा कि जब दुर्घटना हुई तो वो बस में सोए हुए थे. ऐसे में उन्हें मालूम नहीं पड़ा की बस रास्ते में खराब हुई थी. हिमाचल प्रदेश परिवहन निगम चंबा के कैशियर का कहना है कि विभाग ने हादसे में घायल लोगों के परिवारों को 10 हजार और मरने वाले पांच लोगों के परिवारों को 25000 हजार रुपये फौरी राहत के रूप में दिए हैं.
पीड़ित परिवारों से विभाग की संवेदनाएं हैं. चंबा के डीएसपी अजय कुमार ने बताया कि पुलिस ने चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर बस हादसे के कारणों की जांच शुरू कर दी है.