भरमौर: मणिमहेश यात्रा के दौरान लोक निर्माण विभाग के मजदूरों के हौंसले को मणिमहेश यात्रियों के साथ-साथ अफसरों ने भी सलाम किया है. दरअसल, लोक निर्माण विभाग के मजदूरों ने क्विंटल से अधिक का भार उठाकर एक दिन में ही सात किलोमीटर का सफर कर पहुंचा दिया. बताया जा रहा है कि पथरीले रास्ते पर जिस हौसले और जज्बे के साथ मजदूरों की टोली भार उठाए जा रही थी, उस रास्ते से गुजरने वाला हर शख्स कुछ वक्त के लिए ठहर सा जा रहा था. यह उनकी अपने कार्य के प्रति कर्तव्य निष्ठा ही थी कि जिस कार्य के लिए दो से तीन दिन का समय लगना था, उसे इन मजदूरों ने आठ से दस घंटों में ही पूरा कर दिया.
दरअसल, मणिमहेश यात्रा में हड़सर से डल झील तक की राह को सुरक्षित बनाने के लिए बीच में पड़ने वाले नालों पर लोक निर्माण विभाग फ्रेबिकेटड पुलियों का निर्माण कार्य कर रहा है. लोक निर्माण विभाग ने दोनाली और हड़सर में इन पुलियों को स्थापित कर यात्रियों समेत घोडे़-खच्चरों की आवाजाही भी शुरू करवा दी है. अब लोक निर्माण विभाग गौरीकुंड और जमाढू नामक स्थान पर पड़ने वाले नालों पर इन पुलियों का निर्माण करने जा रहा है. बड़ी बात यह है कि फ्रेबिकेटड पुलियां का सामान लोक निर्माण विभाग के कर्मियों को कंधों पर उठाकर पहुंचाना पड़ रहा है. वहीं,अब विभाग ने जमाढू में पुली का निर्माण आरंभ कर दिया है. बताया जा रहा है कि निर्माण सामग्री के में से कुछ टुकड़ों में से एक-एक का भार डेढ़ क्विंटल से भी अधिक है.
बता दं, हड़सर से जमाढू तक पहुंचने के लिए पैदल सात किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है, लेकिन लोक निर्माण विभाग के मजदूरों ने बीम और रेलिंग के छह मीटर लंबे लोहे के ऐंगल को कंधों पर उठाकर सीधी चढाई चढकर एक दिन में ही जमाढू तक पहुंचा दिया. बड़ी बात यह है कि इतना भारी सामान को कंधों पर उठा कर उपर पहुंचाने में दो से तीन दिन का समय लग जाता है. बावजूद इसके लोक निर्माण विभाग के भरमौर उपमंडल के मजदूरों ने इसे एक दिन में ही जमाढू तक पहुंचा दिया है. लोक निर्माण विभाग के मजदूरों के हौंसले को मणिमहेश यात्रियों के साथ-साथ अफसरों ने भी सलाम किया है.
लोक निर्माण विभाग के भरमौर स्थित सहायक अभियंता ई. विशाल चौधरी का कहना है कि दोनाली और धनछो में फेब्रिकेटड पुलियां स्थापित कर आवाजाही शुरू करवा दी है. उन्होंने कहा कि विभाग अब जमाढू और गौरीकुंड में इनका निर्माण कर रहा है. उन्होंने कहा कि मणिमहेश यात्रा के बडे़ न्हौण से पहले इस कार्य को पूरा करने का प्रयास किया जाएगा. उन्होंने कहा कि पुलियों से संबंधित निर्माण सामग्री को मजदूर कंधों पर उठाकर पहुंचा रहे हैं. वहीं, विशाल चौधरी ने इस कार्य को अंजाम तक पहुंचाने वाले वर्करों की भी जमकर तारीफ करते हुए पीठ थपथपाई है. उल्लेखनीय है कि डल झील के रास्ते में आने वाले नालों पर लकड़ी की अस्थाई पुलियां ही बनाई जाती रही है. जिस पर गुजरते वक्त यात्रियों के साथ-साथ घोडे़ खच्चरों के साथ दुर्घटना होने का खतरा बना रहता था.
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