शिमला: शहर में पार्किंग की समस्या को दूर करने के लिए येलो लाइन पार्किंग का मामला नगर निगम की लापरवाही की वजह से लटक गया है. दरअसल नगर निगम ने जल्द बाजी में आधी-अधूरी फाइल बनाकर उपायुक्त को भेजी थी, जिसे डीसी ने लौटा दिया है.
जिला प्रशासन ने येलो लाइन के लिए एक कमेटी का गठन किया था, जिसमें पुलिस, लोक निर्माण विभाग, नगर निगम और एसडीएम को शामिल किया गया था. टीम को संयुक्त तौर पर येलो लाइन के लिए मौके का मुआयना करना था और एक संयुक्त रिपोर्ट तैयार करनी थी, लेकिन नगर निगम ने इसे दरकिनार कर केवल अपनी रिपोर्ट ही भेजी. शहर में सील्ड रोड पर बिना परमिट गाड़ियों के जाने पर भी प्रतिबंध है. साथ ही नगर निगम ने इन सडकों पर येलो लाइन पार्किंग बनाने का प्रस्ताव भी तैयार किया, जिसे जिला प्रसाशन ने खारिज कर दिया है.
जिला उपायुक्त अमित कश्यप ने बताया कि शहर में नगर निगम ने ऐसी जगह येलो लाइन के लिए चिन्हित की है, जहां गाड़ियां खड़ी करने से वाहनों की आवाजाही बंद हो सकती है.
वहीं, नगर निगम महापौर कुसुम सदरेट ने बताया कि 11 हजार वाहनों को खड़ा करने के लिए येलो लाइन पार्किंग के स्थान चिन्हित कर जिला प्रसाशन को भेजे थे. उन्होंने बताया कि आपत्तियां लगाईं गई है, उन्हें जल्द ठीक करके दोबारा भेजा जायेगा.
बता दें कि शिमला में हुए बस हादसे के बाद नगर निगम को मुख्यमंत्री ने शहर में पार्किंग की संभावनाओं की तलाश करने के निर्देश दिए थे. नगर निगम ने शहर में येलो लाइन पार्किंग बनाने के साथ-साथ स्टील पार्किंग बनाने की योजना बनाई थी, लेकिन नगर निगम की जल्दबाजी में ये प्रस्ताव ठंडे बसते में जाता हुआ दिख रहा है.