शिमला: सिक्कों में छिपे इतिहास के रहस्यों को जानने समझने के लिए शिमला स्टेट म्यूजियम में कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को सिक्कों के बारे में जानकारी देने के लिए भारतीय मुद्रा शोध संस्थान नासिक के पूर्व उप-निदेशक और मौलाना आजाद ऊर्दू विश्वविद्यालय हैदराबाद के डॉ. दानिश मोईन उपस्थित रहे.
कार्यशाला में शिक्षक, विश्वविद्यालय के छात्रों संग्रहण कर्ता और बैंक के अधिकारियों समेत 22 लोगों ने हिस्सा लिया. कार्यशाला में विषय पूरक जानकारी के साथ-साथ भौतिक रूप में सिक्कों को पढ़ने का प्रशिक्षण दिया गयाय. कार्यशाला में मुगलकालीन व स्थानीय शासकों के सिक्कों की विस्तार से जनाकारी दी गई.
डॉ. दानिश मोईन ने बताया कि सिक्के कितने पुराने हैं और इनका कौन से काल से संबंध है, इसका अध्ययन किस तरह से किया जा सकता उसके बारे में प्रतिभागियों को बताया गया है. उन्होंने बताया कि सिक्के कभी भी गलत जनाकारी नहीं देते हैं, बल्कि इतिहास की अनसुलझी कड़ियों को सुलझाने का काम करते हैं. सचिव भाषा व संस्कृति विभाग की डॉ. पूर्णिमा चौहान ने बताया कि नासिक के बाद हिमाचल ही है, जहां सिक्कों को पढ़ने की कला सिखाई जाती है.
इस कार्यशाला में जो प्रतिभाशाली शामिल हुए, वो छात्र अपना सिक्कों का संग्रहण लेकर पहुंचे थे. उन्ही के सिक्कों का इस्तेमाल करके प्रतिभागियों को सिक्कों को पढ़ने के साथ ही उनकी क्या महता है उसके बारे में बताया गया. प्रतिभागियों को ये भी जानकारी दी गई कि सिक्कों के संग्रहण से वो मुनाफा कमा सकतें हैं.
म्यूजियम के संग्रालयाध्यक्ष डॉ. हरि चौहान ने बताया कि सिक्कों के माध्यम से इतिहास, राजनीति,विनिमय , धार्मिक, आर्थिक, अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय संबंधों की सटीक जानकारी मिलती है.