शिमला: हिमाचल के कद्दावर नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह लोकसभा के चुनावी दंगल में कूद सकते हैं. वीरभद्र सिंह ने सोशल मिडिया पर पोस्ट कर लोगों के प्यार व समर्थन को खुद की ताकत बताते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के हाथ मजबूत करने की बात कही है. साथ ही एक योद्धा की तरह खुद को हरेक चुनौती का सामना करने को तैयार बताया.
वीरभद्र सिंह के इस पोस्ट के चलते प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा का बाजार गर्म है और कयास लगाए जा रहे हैं कि वीरभद्र चुनावी समर में कूदेंगे या विक्रमादित्य सिंह मंडी से कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे.
बता दें कि मंडी संसदीय सीट से वीरभद्र के नाम पर स्क्रीनिंग कमेटी में भी चर्चा हुई है, हालांकि वीरभद्र सिंह लोकसभा चुनाव लड़ने से मना कर चुके हैं. लेकिन सोशल मीडिया पर पोस्ट ने राजनीतिक गलियारों में चुनाव लड़ने की चर्चा को हवा दे दिया है.
मंडी संसदीय सीट में शामिल 17 विधानसभा हलकों में से 10 मंडी जिला में हैं. इनके अलावा वीरभद्र सिंह के प्रभाव वाले रामपुर, किन्नौर भी इस संसदीय क्षेत्र में हैं. लाहौल-स्पीति व भरमौर में भी वीरभद्र का असर है.
विधानसभा चुनाव में मंडी जिला के दस विधानसभा हलकों में जयराम व सुखराम फैक्टर के चलते कांग्रेस का सफाया हो गया था. दस सीटों वाले जिला में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस खाता भी नहीं खोल सकी. 9 पर भाजपा व एक पर निर्दलीय प्रकाश राणा विजयी हुए थे.
लाहौल-स्पीति से भाजपा सरकार के मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा हैं. भरमौर से जिया लाल भाजपा विधायक हैं. सिर्फ रामपुर से नंद लाल और किन्नौर से जगत सिंह नेगी कांग्रेस के विधायक हैं.
जाहिर है कि इस संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस को भाजपा से पार पाने के लिए कद्दावर नेता की दरकार है. वीरभद्र व पंडित सुखराम की राजनीतिक प्रतिद्वंदिता भी सर्वविदित है.
जयराम व सुखराम फैक्टर को काटने के लिए कांग्रेस के पास वीरभद्र सिंह और उनके परिवार के किसी सदस्य के अलावा कोई और मजबूत चेहरा नहीं दिखाई देता. ऐसे में वीरभद्र सिंह की पोस्ट को लेकर चर्चाएं तेज होना भी लाजमी है.
साथ ही राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि वीरभद्र को कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश में प्रचार की कमान सौंपी हुई है. फेसबुक पोस्ट कांग्रेस कार्यकर्ताओं को एकजुट करने की रणनीति का हिस्सा भी हो सकती है.
मंडी संसदीय सीट से वीरभद्र सिंह 1971 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीते थे. इसके बाद वह 1977 में पराजित हुए, लेकिन फिर 2004 में उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह, 2009 में वीरभद्र सिंह और 2013 के उपचुनाव में फिर प्रतिभा सिंह विजयी हुईं.
2014 के लोकसभा चुनाव में प्रतिभा सिंह पराजित हुई थी. मंडी संसदीय सीट से चुनावी समर में किस्मत आजमाने से पहले वीरभद्र सिंह 1962 व 1967 में महासू से सांसद रहे थे.
उधर, कांग्रेस सूत्रों को कहना है कि लोकसभा चुनाव को लेकर हिमाचल से प्रत्याशियों के चयन को लेकर पार्टी की प्रदेश प्रभारी रजनी पाटिल ने दिल्ली में कांग्रेस संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से चर्चा की.
चर्चा के दौरान कांगड़ा चंबा सीट पर सुधीर शर्मा व पवन काजल के अलावा वरिष्ठ महिला नेत्री व पंजाब प्रभारी आशा कुमारी के नाम पर भी चर्चा हुई है. कांग्रेस टिकटों को लेकर प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के बीच चल रही खींचतान के चलते ही हिमाचल से उम्मीदवारों का ऐलान लटका हुआ है.