शिमला: शिमला शहर से सिर्फ 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जलेल पंचायत में किसानों द्वारा खेती छोड़ कर अपने खेत गाड़ियों की पार्किंग के लिए देने के मामले में अब सरकार की नींद खुली है. सरकार ने विभाग के अधिकारियों को मौके पर जाकर किसानों से बात करने के निर्देश दिए हैं. ईटीवी भारत ने पिछले कल इस मामले को प्रमुखता से उठाया था.
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प्रदेश के कृषि मंत्री रामलाल मारकंडा ने कहा कि प्रदेश सरकार किसानों को प्रोत्साहित करने का प्रयास कर रही है. इस पंचायत के किसानों ने क्यों खेती छोड़ी है, इसके कारण जानने के लिए एक टीम इस पंचायत में भेजी जाएगी. खेती छोड़ने का कारणों का पता लगाया जाएगा और किसानों को दोबारा खेती की तरफ आने को लेकर प्रोत्साहित किया जाएगा. सरकार इन किसानों की सारी समस्याओं को दूर करने का प्रयास करेगी.
बता दें कि किसानों की खेती छोड़ने की वजह इलाके में जंगली जानवरों का आतंक है. जलेल पंचायत के खेतों में कभी बंपर फसल की पैदावार हुआ करती थी और उस समय ये इलाका अपने आप में मिसाल कायम किया करता था, लेकिन आज यहां बंदरों, जंगली सुअरों, नील गाय और लंगूरों जैसे जंगली जानवरों का आतंक है, जिससे यहां के किसानों ने खेतीबाड़ी को छोड़ने का फैसला किया है.
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अब यहां के खेतों में फसलों की बजाए हजारों वाहन खड़े हैं, जो एक कार कंपनी ने इन किसानों से सस्ती दरों पर मासिक किराए के रूप में लिए हैं. किसानों का कहना है की साल भर की कड़ी मेहनत और फसलों पर पैसा खर्च करने के बाद भी उनके हाथ खाली के खाली रह जाते हैं. ऐसे में खाली खेतों में वाहनों के लिए किराया आना उनके लिए एक बहुत बड़ी राहत है.