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किसानों को जागरूक करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन, 30 किसान हुए शामिल

कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण आत्मा के तहत ग्राम पंचायत बैहल में किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. 30 किसानों को ग्राम पंचायत बेहल में प्राकृतिक खेती के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई.

प्रशिक्षण कार्यक्रम
प्रशिक्षण कार्यक्रम
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Published : Nov 28, 2020, 2:26 PM IST

बिलासपुर: कृषि विभाग हिमाचल प्रदेश के तत्वाधान में कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण आत्मा के तहत ग्राम पंचायत बैहल में किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता खंड तकनीकी प्रबंधक स्वारघाट विकास ठाकुर ने की.

30 किसानों को दी गई जानकारी

30 किसानों को ग्राम पंचायत बेहल में प्राकृतिक खेती के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई. इस शिविर में किसानों को 4 फसलों गेहूं, मटर, चना और सरसों को एकसाथ पैदा करने की जानकारी दी गई.

4 फसलें तैयार करने की दी गई जानकारी

किसानों को एक साथ 4 फसलें तैयार करने के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी उपलब्ध करवाई गई, जिससे किसान आत्मनिर्भर हो सके और उन्हें अपनी फसलों का उचित दाम भी मिले. प्राकृतिक खेती का उद्देश्य है कि गांव का पैसा गांव में रहे और शहर का पैसा भी गांव में आए. इस तरह हमारे देश का पैसे विदेश नहीं जाएगा और देश में ही रहेगा.

क्या कहा खंड तकनीकी प्रबंधक ने

वहीं, अध्यक्षता खंड तकनीकी प्रबंधक स्वारघाट विकास ठाकुर ने बताया कि प्राकृतिक खेती प्रणाली से चाहे कोई भी खाद्यान्न, सब्जी या बागवान की फसल हो उसका लागत मूल्य जीरो या लगभग कमतर ही होगा. इस खेती से मुख्य फसल का लागत मूल्य अंतर्वर्ती मिश्र फसलों के उत्पादन से निकाल जाता है. इस अवसर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम में आए लगभग 30 किसानों को प्राकृतिक खेती की विधियां भी बताई गई.

बिलासपुर: कृषि विभाग हिमाचल प्रदेश के तत्वाधान में कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण आत्मा के तहत ग्राम पंचायत बैहल में किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता खंड तकनीकी प्रबंधक स्वारघाट विकास ठाकुर ने की.

30 किसानों को दी गई जानकारी

30 किसानों को ग्राम पंचायत बेहल में प्राकृतिक खेती के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई. इस शिविर में किसानों को 4 फसलों गेहूं, मटर, चना और सरसों को एकसाथ पैदा करने की जानकारी दी गई.

4 फसलें तैयार करने की दी गई जानकारी

किसानों को एक साथ 4 फसलें तैयार करने के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी उपलब्ध करवाई गई, जिससे किसान आत्मनिर्भर हो सके और उन्हें अपनी फसलों का उचित दाम भी मिले. प्राकृतिक खेती का उद्देश्य है कि गांव का पैसा गांव में रहे और शहर का पैसा भी गांव में आए. इस तरह हमारे देश का पैसे विदेश नहीं जाएगा और देश में ही रहेगा.

क्या कहा खंड तकनीकी प्रबंधक ने

वहीं, अध्यक्षता खंड तकनीकी प्रबंधक स्वारघाट विकास ठाकुर ने बताया कि प्राकृतिक खेती प्रणाली से चाहे कोई भी खाद्यान्न, सब्जी या बागवान की फसल हो उसका लागत मूल्य जीरो या लगभग कमतर ही होगा. इस खेती से मुख्य फसल का लागत मूल्य अंतर्वर्ती मिश्र फसलों के उत्पादन से निकाल जाता है. इस अवसर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम में आए लगभग 30 किसानों को प्राकृतिक खेती की विधियां भी बताई गई.

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