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बिलासपुर में केंद्र सरकार के खिलाफ ट्रेड यूनियनों ने की नारेबाजी, उठाई ये मांगें - बिलासपुर में प्रदर्शन

केंद्र सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ बिलासपुर जिला की समस्त केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने संयुक्त रूप से मोर्चा खोलते हुए सोमवार को जिला मुख्यालय में विरोध रैली (Trade unions protest in Bilaspur) निकाली. उपायुक्त परिसर में संयुक्त रूप से इकट्ठे होकर पदाधिकारियों ने मोदी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की.

demonstration in bilaspur
बिलासपुर में प्रदर्शन
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Published : Mar 28, 2022, 4:32 PM IST

बिलासपुर: केंद्र सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ बिलासपुर जिला की समस्त केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने संयुक्त रूप से मोर्चा खोलते हुए सोमवार को जिला मुख्यालय में विरोध रैली (Trade unions protest in Bilaspur) निकाली. उपायुक्त परिसर में संयुक्त रूप से इकट्ठे होकर पदाधिकारियों ने मोदी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की. बिलासपुर जिला में संयुक्त यूनियनों ने सीटू, इंटक, एटक व बीएमसी यूनियन के बैनर तले विरोध रैली निकाल प्रदर्शन किया.

रैली का नेतृत्व करते हुए एटक के प्रदेश सचिव प्रवेश चंदेल ने केंद्र सरकार की नीतियों पर सवालिया निशान खड़े करते हुए कहा कि सरकार की नीतियों के कारण आज गरीब और गरीब व अमीर और अमीर होता जा रहा है. चाहे परियोजनाओं में कार्यरत मजदूर हो या फिर विभिन्न विभागों में आठ से पंद्रह सालों से अनुबंध पर लगे कर्मी या आंगनबाड़ी (Anganwadi workers in Himachal) में कार्यरत कार्यकर्ताओं पर सरकारी नीतियों के कारण दवाब बना हुआ है.

जिसके स्थायी समाधान के लिए केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने केंद्र सरकार को वार्ता करने का प्रस्ताव भेजा, लेकिन हर बार सरकार ने बैठक करने की बजाय व्यस्तता का हवाला दे कनी काट ली. उन्होंने कहा कि आज भी कल्याणकारी योजनाओं में गरीब वर्ग को दिहाड़ी 30 से 33 रुपये दिखाने का प्रमाण पत्र मांगा जाता है. जिसकी वजह से पात्र गरीब योजना से वंचित रह रहा है.

बिलासपुर में ट्रेड यूनियनों का प्रदर्शन.

उन्होंने कहा कि, मोदी सरकार ने देश के एक बड़े हिस्से के आम लोगों व ट्रेड यूनियन के अधिकारों एवं सामाजिक सुरक्षा को कम करके, मालिक वर्ग के हित में एक नया श्रम कानून पेश किया है. निजीकरण द्वारा आए दिन राष्ट्रीय सार्वजनिक संपत्ति (पीएसयू) को कुछ मुट्ठी भर पूंजीपतियों के हाथों बेचे जा रहे हैं. देश की लगभग 90 प्रतिशत संपत्ति मात्र 10 प्रतिशत लोगों के हाथों में चली गई है.

आज मोदी सरकार ने भारतीय मजदूर वर्ग के लोगों को व्यापक बेरोजगारी, वेतन कटौती व भूखमरी के कगार पर ला खड़ा कर दिया है. कृषि, उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य, सब कुछ को चौपट कर दिया है. पेट्रोल, डीजल व रसोई गैस की मूल्यवृद्धि समेत हर चीज की महंगाई बेलगाम आसमान छूती जा रही है. आम लोगों का जीना मुहाल हो गया है. सांप्रदायिकता चरम पर फैलाई जा रही है. इससे देश का सामाजिक ताना-बाना बुरी तरह प्रभावित हो रहा है.

ये भी पढ़ें: शिमला में डाक कर्मियों की हड़ताल, सरकार को दी चेतावनी

बिलासपुर: केंद्र सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ बिलासपुर जिला की समस्त केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने संयुक्त रूप से मोर्चा खोलते हुए सोमवार को जिला मुख्यालय में विरोध रैली (Trade unions protest in Bilaspur) निकाली. उपायुक्त परिसर में संयुक्त रूप से इकट्ठे होकर पदाधिकारियों ने मोदी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की. बिलासपुर जिला में संयुक्त यूनियनों ने सीटू, इंटक, एटक व बीएमसी यूनियन के बैनर तले विरोध रैली निकाल प्रदर्शन किया.

रैली का नेतृत्व करते हुए एटक के प्रदेश सचिव प्रवेश चंदेल ने केंद्र सरकार की नीतियों पर सवालिया निशान खड़े करते हुए कहा कि सरकार की नीतियों के कारण आज गरीब और गरीब व अमीर और अमीर होता जा रहा है. चाहे परियोजनाओं में कार्यरत मजदूर हो या फिर विभिन्न विभागों में आठ से पंद्रह सालों से अनुबंध पर लगे कर्मी या आंगनबाड़ी (Anganwadi workers in Himachal) में कार्यरत कार्यकर्ताओं पर सरकारी नीतियों के कारण दवाब बना हुआ है.

जिसके स्थायी समाधान के लिए केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने केंद्र सरकार को वार्ता करने का प्रस्ताव भेजा, लेकिन हर बार सरकार ने बैठक करने की बजाय व्यस्तता का हवाला दे कनी काट ली. उन्होंने कहा कि आज भी कल्याणकारी योजनाओं में गरीब वर्ग को दिहाड़ी 30 से 33 रुपये दिखाने का प्रमाण पत्र मांगा जाता है. जिसकी वजह से पात्र गरीब योजना से वंचित रह रहा है.

बिलासपुर में ट्रेड यूनियनों का प्रदर्शन.

उन्होंने कहा कि, मोदी सरकार ने देश के एक बड़े हिस्से के आम लोगों व ट्रेड यूनियन के अधिकारों एवं सामाजिक सुरक्षा को कम करके, मालिक वर्ग के हित में एक नया श्रम कानून पेश किया है. निजीकरण द्वारा आए दिन राष्ट्रीय सार्वजनिक संपत्ति (पीएसयू) को कुछ मुट्ठी भर पूंजीपतियों के हाथों बेचे जा रहे हैं. देश की लगभग 90 प्रतिशत संपत्ति मात्र 10 प्रतिशत लोगों के हाथों में चली गई है.

आज मोदी सरकार ने भारतीय मजदूर वर्ग के लोगों को व्यापक बेरोजगारी, वेतन कटौती व भूखमरी के कगार पर ला खड़ा कर दिया है. कृषि, उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य, सब कुछ को चौपट कर दिया है. पेट्रोल, डीजल व रसोई गैस की मूल्यवृद्धि समेत हर चीज की महंगाई बेलगाम आसमान छूती जा रही है. आम लोगों का जीना मुहाल हो गया है. सांप्रदायिकता चरम पर फैलाई जा रही है. इससे देश का सामाजिक ताना-बाना बुरी तरह प्रभावित हो रहा है.

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