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दलित बस्ती के लोगों का रास्ता बंद करने का मामला हुआ उग्र, ग्रामीणों ने दी अंदोलन की चेतावनी - पुलिस की कार्यप्रणाली

बिलासपुर के कंदरौर क्षेत्र के तहत आने वाली कटवाल दलित बस्ती के ग्रामीणों के लिए रास्ता बंद करने का मामला सुलझ नहीं रहा. इसी कड़ी में मंगलवार को ग्रामीणों ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि स्वर्ण जाति की ओर से उन्हें जातिसूचक शब्द बोलने पर पुलिस उक्त लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है.

Dalit colony
दलित बस्ती
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Published : Jun 16, 2020, 8:04 PM IST

बिलासपुर: जिला बिलासपुर के कंदरौर क्षेत्र के तहत आने वाली कटवाल दलित बस्ती के ग्रामीणों के लिए रास्ता बंद करने का मामला सुलझ नहीं रहा. इसी कड़ी में मंगलवार को ग्रामीणों ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि स्वर्ण जाति की ओर से उन्हें जातिसूचक शब्द बोलने पर पुलिस उक्त लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है.

ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि पंचायत के पूर्व प्रधान की ओर से वर्षों पुराना सार्वजनिक रास्ता उखाड़ दिया गया है, जिससे ग्रामीणों का आवागमन पूरी तरह से बंद हो गया है. यही नहीं उनके गांव के लोगों को जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करके अपमानित किया जाता है. उन्होंने बताया कि यहां पर 32 परिवारों के 250 लोग रहते हैं. इन लोगों की ओर से दशकों पुराना रास्ता रोकने की वजह से सैकड़ों लोग प्रभावित हो रहे हैं.

इन लोगों का आरोप है कि उनके घरों को आने-जाने वाले पुश्तैनी रास्ते को उखाड़ दिया गया है, जिससे उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने मांग की है कि इस रास्त को खुलवाया जाए, ताकि उन्हें इस समय आ रही विभिन्न कठिनाई से छुटकारा मिल सके. उन्होंने बताया कि इससे पहले भी वह अपनी शिकायत थाना प्रभारी, पंचायत के प्रधान व उपप्रधान सहित जिला प्रशासन के समक्ष रख चुके हैं, लेकिन आरोपी व्यक्तियों के सत्ताधारी पार्टी कार्यकर्ता होने के नाते पुलिस प्रशासन इन व्यक्तियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है.

पूर्व विधायक बंबर ठाकुर ने कहा कि यदि ग्रामीणों को न्याय नहीं दिया गया, तो वह ग्रामीणों के साथ धरने पर बैठेंगे. ग्रामीणों ने जिला प्रशासन को चेताया है कि अगर इस रास्ते को नहीं खोला गया तो वह सड़कों पर उतरकर धरना प्रदर्शन करने से भी परहेज नहीं करेंगे.

बिलासपुर: जिला बिलासपुर के कंदरौर क्षेत्र के तहत आने वाली कटवाल दलित बस्ती के ग्रामीणों के लिए रास्ता बंद करने का मामला सुलझ नहीं रहा. इसी कड़ी में मंगलवार को ग्रामीणों ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि स्वर्ण जाति की ओर से उन्हें जातिसूचक शब्द बोलने पर पुलिस उक्त लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है.

ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि पंचायत के पूर्व प्रधान की ओर से वर्षों पुराना सार्वजनिक रास्ता उखाड़ दिया गया है, जिससे ग्रामीणों का आवागमन पूरी तरह से बंद हो गया है. यही नहीं उनके गांव के लोगों को जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करके अपमानित किया जाता है. उन्होंने बताया कि यहां पर 32 परिवारों के 250 लोग रहते हैं. इन लोगों की ओर से दशकों पुराना रास्ता रोकने की वजह से सैकड़ों लोग प्रभावित हो रहे हैं.

इन लोगों का आरोप है कि उनके घरों को आने-जाने वाले पुश्तैनी रास्ते को उखाड़ दिया गया है, जिससे उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने मांग की है कि इस रास्त को खुलवाया जाए, ताकि उन्हें इस समय आ रही विभिन्न कठिनाई से छुटकारा मिल सके. उन्होंने बताया कि इससे पहले भी वह अपनी शिकायत थाना प्रभारी, पंचायत के प्रधान व उपप्रधान सहित जिला प्रशासन के समक्ष रख चुके हैं, लेकिन आरोपी व्यक्तियों के सत्ताधारी पार्टी कार्यकर्ता होने के नाते पुलिस प्रशासन इन व्यक्तियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है.

पूर्व विधायक बंबर ठाकुर ने कहा कि यदि ग्रामीणों को न्याय नहीं दिया गया, तो वह ग्रामीणों के साथ धरने पर बैठेंगे. ग्रामीणों ने जिला प्रशासन को चेताया है कि अगर इस रास्ते को नहीं खोला गया तो वह सड़कों पर उतरकर धरना प्रदर्शन करने से भी परहेज नहीं करेंगे.

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