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स्वारघाट क्वारंटीन सेंटर में मौत मामला, हाई कोर्ट ने सरकार से स्थिति स्पष्ट करने को कहा

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने 10 मई 2020 को स्वारघाट स्थित क्वारंटीन सेंटर में हुए हंसराज की मौत के मामले पर प्रदेश सरकार से 22 जनवरी तक स्थिति स्पष्ट करने को कहा है. प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य, उपायुक्त बिलासपुर, एसपी बिलासपुर, एसडीएम नयना देवी और क्वारंटीन सेंटर के प्रभारी को भी प्रतिवादी बनाया गया है.

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स्वारघाट क्वारंटीन सेंटर मौत मामले में उच्च न्यायालय के सरकार को 22 जनवरी तक स्थिति स्पष्ट करने के आदेश
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Published : Jan 16, 2021, 5:04 PM IST

बिलासपुरः हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने 10 मई 2020 को स्वारघाट स्थित क्वारंटीन सेंटर में हुए हंसराज की मौत के मामले पर प्रदेश सरकार से 22 जनवरी तक स्थिति स्पष्ट करने को कहा है.

उच्च न्यायालय में इस मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ता वरुण चंदेल ने कहा कि 10 मई 2020 को स्वारघाट स्थित क्वारंटीन सेंटर में हुए हंसराज की मौत मामले पर उच्च न्यायालय ने सरकार से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है कि हंसराज की मौत कैसे हुई और किन कारणों से हुई.

अदालत ने ये भी पुछा कि जिस समय हंसराज की मौत हुई थी, तो उसे न तो मिर्गी की बीमारी थी और न ही अन्य कोई बीमारी. फोरेंसिक रिपोर्ट के आधार पर उसके सिर पर साढ़े चार इंच का गहरा घाव भी मिला था, जिस पर सवाल उठने स्वाभाविक हैं.

इन्हें बनाया गया है प्रतिवादी

अधिवक्ता वरुण चंदेल ने बताया कि इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य, उपायुक्त बिलासपुर, एसपी बिलासपुर, एसडीएम नयना देवी और क्वारंटीन सेंटर के प्रभारी को भी प्रतिवादी बनाया गया है.

गौरतलब है कि 5 मई 2020 को हंसराज टैक्सी मलिक के साथ मध्य प्रदेश गया था और 7 मई को मध्य प्रदेश से वापिस आने पर उसे कोरोना गाइडलाइन के तहत स्वारघाट स्थित क्वारंटीन सेंटर में रखा गया. जहां 10 मई 2020 की रात करीब डेढ़ बजे वह वहां पर गंभीर रूप से घायल हो गया था.

परिजनों ने कार्यप्रणाली पर उठाए थे सवाल

हंसराज को देरी से स्वारघाट से बिलासपुर अस्पताल पहुंचाया गया और उसके बाद उसे आईजीएमसी शिमला रेफर कर दिया गया लेकिन, तब तक उसकी मृत्यु हो चुकी थी. हंसराज की अचानक हुई मौत पर उस समय उसके परिजनों ने जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल भी उठाए थे.

बिलासपुरः हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने 10 मई 2020 को स्वारघाट स्थित क्वारंटीन सेंटर में हुए हंसराज की मौत के मामले पर प्रदेश सरकार से 22 जनवरी तक स्थिति स्पष्ट करने को कहा है.

उच्च न्यायालय में इस मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ता वरुण चंदेल ने कहा कि 10 मई 2020 को स्वारघाट स्थित क्वारंटीन सेंटर में हुए हंसराज की मौत मामले पर उच्च न्यायालय ने सरकार से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है कि हंसराज की मौत कैसे हुई और किन कारणों से हुई.

अदालत ने ये भी पुछा कि जिस समय हंसराज की मौत हुई थी, तो उसे न तो मिर्गी की बीमारी थी और न ही अन्य कोई बीमारी. फोरेंसिक रिपोर्ट के आधार पर उसके सिर पर साढ़े चार इंच का गहरा घाव भी मिला था, जिस पर सवाल उठने स्वाभाविक हैं.

इन्हें बनाया गया है प्रतिवादी

अधिवक्ता वरुण चंदेल ने बताया कि इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य, उपायुक्त बिलासपुर, एसपी बिलासपुर, एसडीएम नयना देवी और क्वारंटीन सेंटर के प्रभारी को भी प्रतिवादी बनाया गया है.

गौरतलब है कि 5 मई 2020 को हंसराज टैक्सी मलिक के साथ मध्य प्रदेश गया था और 7 मई को मध्य प्रदेश से वापिस आने पर उसे कोरोना गाइडलाइन के तहत स्वारघाट स्थित क्वारंटीन सेंटर में रखा गया. जहां 10 मई 2020 की रात करीब डेढ़ बजे वह वहां पर गंभीर रूप से घायल हो गया था.

परिजनों ने कार्यप्रणाली पर उठाए थे सवाल

हंसराज को देरी से स्वारघाट से बिलासपुर अस्पताल पहुंचाया गया और उसके बाद उसे आईजीएमसी शिमला रेफर कर दिया गया लेकिन, तब तक उसकी मृत्यु हो चुकी थी. हंसराज की अचानक हुई मौत पर उस समय उसके परिजनों ने जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल भी उठाए थे.

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