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गुरु गोविंद सिंह जी के विवाहोत्सव का शुभमूहर्त आज, गुरु का लाहौर गुरुद्वारा में संपन्न होगी शादी की रस्में - गुरु महाराज का विवाह उत्सव

आज बसंत पंचमी का शुभ अवसर है और देश के कई हिस्सों में बसंत पंचमी की धूम शुरू हो चुकी है. हर साल बसंत पंचमी का त्योहार पूरे उत्तर भारत में धूमधाम से मनाया जाता है. इसी दिन गुरु गोविंद सिंह का विवाह उत्सव भी मनाया जाता है. जिला बिलासपुर की ऊंची पहाड़ियों पर बने गुरुद्वारा गुरु का लाहौर और सेहरा साहब में ये पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.

anniversary of Guru Gobind Singh
गुरु का लाहौर गुरुद्वारा.
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Published : Jan 30, 2020, 5:18 AM IST

बिलासपुर: प्राचीन इतिहास के मुताबिक सेहरा साहब गुरुद्वारा में गुरु महाराज की सेहरा बंदी हुई थी और गुरु महाराज के लावा फेरे गुरु का लाहौर में संपन्न हुए थे. हिन्दू मान्यता के मुताबिक बसंत पंचमी के दिन ही विद्या की देवी सरस्वती का जन्म हुआ था, इसलिए आज के दिन सरस्वती की पूजा की जाती है. किसानों के लिए भी यह त्योहार बहुत अहमियत रखता है. इसी दिन बसंत ऋतु का प्रारंभ भी होता है.

वीडियो.

गुरु गोविंद सिंह के विवाह उत्सव पर दोनों गुरुद्वारों में हर साल पूरे उत्तर भारत से हजारों की संख्या श्रद्धालू पहुंचते हैं. यहां पर बसंत पंचमी के उपलक्ष्य पर दो दिवसीय मेले का आयोजन होता है, जिसके लिए जिला पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये हैं.

बसंत पंचमी के उपलक्ष्य पर गुरु के लाहौर में गुरु गोविंद सिंह का विवाह उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. हजारों की संख्या में श्रद्धालु पंजाब, हिमाचल, हरियाणा, दिल्ली और अन्य प्रदेशों से गुरु महाराज के दर्शन करने पहुंचते हैं. इस शुभ अवसर पर दोनों ही गुरुद्वारों को रंग बिरंगी लाइटों से सजाया गया है और लाखों श्रद्धालुओं के लिए लंगर की व्यवस्था भी की गई है.

आपको बता दें कि 29 जनवरी को गुरु महाराज की बारात सेहरा साहब गुरुद्वारा से नगर कीर्तन के रूप में चली थी और 30 जनवरी यानि आज पांच प्यारों की अगुवाई में यह बरात गुरु का लाहौर पहुंचेगी, जहां पर गुरु महाराज का विवाह उत्सव विधिवत रूप से पूर्ण होगा.

बिलासपुर: प्राचीन इतिहास के मुताबिक सेहरा साहब गुरुद्वारा में गुरु महाराज की सेहरा बंदी हुई थी और गुरु महाराज के लावा फेरे गुरु का लाहौर में संपन्न हुए थे. हिन्दू मान्यता के मुताबिक बसंत पंचमी के दिन ही विद्या की देवी सरस्वती का जन्म हुआ था, इसलिए आज के दिन सरस्वती की पूजा की जाती है. किसानों के लिए भी यह त्योहार बहुत अहमियत रखता है. इसी दिन बसंत ऋतु का प्रारंभ भी होता है.

वीडियो.

गुरु गोविंद सिंह के विवाह उत्सव पर दोनों गुरुद्वारों में हर साल पूरे उत्तर भारत से हजारों की संख्या श्रद्धालू पहुंचते हैं. यहां पर बसंत पंचमी के उपलक्ष्य पर दो दिवसीय मेले का आयोजन होता है, जिसके लिए जिला पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये हैं.

बसंत पंचमी के उपलक्ष्य पर गुरु के लाहौर में गुरु गोविंद सिंह का विवाह उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. हजारों की संख्या में श्रद्धालु पंजाब, हिमाचल, हरियाणा, दिल्ली और अन्य प्रदेशों से गुरु महाराज के दर्शन करने पहुंचते हैं. इस शुभ अवसर पर दोनों ही गुरुद्वारों को रंग बिरंगी लाइटों से सजाया गया है और लाखों श्रद्धालुओं के लिए लंगर की व्यवस्था भी की गई है.

आपको बता दें कि 29 जनवरी को गुरु महाराज की बारात सेहरा साहब गुरुद्वारा से नगर कीर्तन के रूप में चली थी और 30 जनवरी यानि आज पांच प्यारों की अगुवाई में यह बरात गुरु का लाहौर पहुंचेगी, जहां पर गुरु महाराज का विवाह उत्सव विधिवत रूप से पूर्ण होगा.

Intro:-लाहौर की तर्ज पर गुरु का लाहौर का किया था निर्माण
-लाहौर में बारात न ले जाने पर गुरु गोबिद सिंह जी ने लिया था निर्णय
-आनंदपुर साहिब से बिलासपुर के गुरु का लाहौर में गई थी बारात
-इसी तर्ज पर पंजाब सहित हिमाचल में मनाई जाती है बसंत पंचमी

असाइनमेंट पर आधरित...

बिलासपुर।
सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिद सिंह जी की शादी पंजाब और हिमाचल की अंतिम सीमा जिला बिलासपुर के गुरु का लाहौर में हुई थी। दरअसल,गुरु गोविंद सिंह जी की शादी पाकिस्तान के लाहौर के रहने वाले भाई हरजीत सिंह की बेटी जित्तो के साथ परिणय सूत्र में बंधे थे। इस दौरान जब भाई हरजस सिंह ने गुरु गोविंद सिंह जी को बारात लाने के लिए लाहौर को बोला तो गुरु गोविंद सिंह जी ने लाहौर आने के लिए मना कर दी। परन्तु भाई हरजस सिंह के मन की इच्छा पूरी करने के चलते उन्होंने उक्त स्थान को ही लाहौर बना दिया था। वहीं इस शादी में खास बात यह रही थी कि गुरु गोविंद सिंह जी ने इस शादी के स्थान को लाहौर की तर्ज पर सजाया था। जो नक्शा लाहौर का था उसी नक्शे की तर्ज पर शादी स्थल को सजाया था। इसी तर्ज पर तब से इस स्थान का नाम गुरु का लाहौर रखा गया था। यही कारण है कि हर साल बसंत पंचमी के दिन गुरु का लाहौर में गुरु साहिब के विवाह पर्व के संबंध में जोड़ मेला लगता है।


Body: इस मौके पर श्री आनंदपुर साहिब से विवाह रूपी एक विशाल नगर कीर्तन गुरु का लाहौर के लिए सजाया जाता है ।पूरे लाव लश्कर के साथ आनंदपुर साहिब से हर साल बारात आती है। और शादी समारोह की तरह गुरु का लाहौर में शादी का आयोजन किया जाता है।

बाइट...
ज्ञानी नारायण सिंह...बिलासपुर गुरद्वारा प्रबंधक।


Conclusion:गुरु का लाहौर में सुशोभित हैं चार गुरुद्वारे
बॉक्स...
पहला गुरुद्वारा त्रिवेणी साहिब एक प्रथा के अनुसार गुरु का लाहौर में पानी की कमी को दूर करने के लिए गुरु साहिब ने इस स्थान पर बरछा मार पानी की तीन धाराएं निकाली थी। इन तीनों धाराओं का पानी एक सरोवर में गिरता है। इस स्थान पर एक खूबसूरत गुरुद्वारा साहिब बनाया हुआ है। दूसरा गुरुद्वारा पौड़ साहिब गुरुद्वारा एक झरने पर बना हुआ है। इस प्रथा के अनुसार यह झरना गुरु गोविंद सिंह के घोड़े की तोपों से फूटा था। इस झरने का पानी खारा है। तीसरा गुरुद्वारा सेहरा साहिब एक प्रथा के अनुसार गुरु साहिब ने गुरु का लाहौर में पहुंचने से पहले यहां पर सेहरा बांधा था। यह गुरु का लाहौर से कुछ दूर गांव बस्सी में स्थित है। चौथा गुरुद्वारा श्री गुरु आनंद कारज साहिब इस स्थान पर श्री गुरु गोविंद सिंह जी की शादी माता जीतो जी (जीत कौर)के साथ हुई थी। इस याद को सदैव के लिए कायम रखने के लिए हां गुरुद्वारा साहिब बनाया गया है।
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