बिलासपुर: प्राचीन इतिहास के मुताबिक सेहरा साहब गुरुद्वारा में गुरु महाराज की सेहरा बंदी हुई थी और गुरु महाराज के लावा फेरे गुरु का लाहौर में संपन्न हुए थे. हिन्दू मान्यता के मुताबिक बसंत पंचमी के दिन ही विद्या की देवी सरस्वती का जन्म हुआ था, इसलिए आज के दिन सरस्वती की पूजा की जाती है. किसानों के लिए भी यह त्योहार बहुत अहमियत रखता है. इसी दिन बसंत ऋतु का प्रारंभ भी होता है.
गुरु गोविंद सिंह के विवाह उत्सव पर दोनों गुरुद्वारों में हर साल पूरे उत्तर भारत से हजारों की संख्या श्रद्धालू पहुंचते हैं. यहां पर बसंत पंचमी के उपलक्ष्य पर दो दिवसीय मेले का आयोजन होता है, जिसके लिए जिला पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये हैं.
बसंत पंचमी के उपलक्ष्य पर गुरु के लाहौर में गुरु गोविंद सिंह का विवाह उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. हजारों की संख्या में श्रद्धालु पंजाब, हिमाचल, हरियाणा, दिल्ली और अन्य प्रदेशों से गुरु महाराज के दर्शन करने पहुंचते हैं. इस शुभ अवसर पर दोनों ही गुरुद्वारों को रंग बिरंगी लाइटों से सजाया गया है और लाखों श्रद्धालुओं के लिए लंगर की व्यवस्था भी की गई है.
आपको बता दें कि 29 जनवरी को गुरु महाराज की बारात सेहरा साहब गुरुद्वारा से नगर कीर्तन के रूप में चली थी और 30 जनवरी यानि आज पांच प्यारों की अगुवाई में यह बरात गुरु का लाहौर पहुंचेगी, जहां पर गुरु महाराज का विवाह उत्सव विधिवत रूप से पूर्ण होगा.