बिलासपुर: 50 वर्षों के सफर में हिमाचल प्रदेश ने विकास की न केवल एक लंबी गाथा लिखी है बल्कि इस छोटे से पहाड़ी प्रदेश ने देश के भीतर भी अपनी अलग पहचान बनाई है. शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ-साथ मूलभूत सुविधाओं एवं आधारभूत ढांचे में व्यापक परिवर्तन हुआ है. इसी विकास गाथा में जिला बिलासपुर ने भी अनेक आयाम स्थापित किये हैं. बिलासपुर जिला भले ही भौगोलिक दृष्टि से महज एक छोटा जिला है लेकिन विकास के मामले में आज यहां राष्ट्रीय स्तर के न केवल अनेक संस्थान स्थापित हुए हैं बल्कि भाखड़ा बांध निर्माण में इस जिला ने बड़ी कुर्बानी देकर देश को रोशन किया है और उत्तरी भारत के करोड़ों लोगों की प्यास बुझाई है.
ऐतिहासिक दृष्टि से भी बिलासपुर जिला (तत्कालीन कहलूर रियासत) ने भी ऐतिहासिक पृष्ठ भूमि में हिमाचल के संदर्भ में कई मुकाम दर्ज करवाएं हैं, लेकिन वर्तमान में यदि पिछले 50 वर्षों का अवलोकन करें तो बिलासपुर जिला एक के बाद एक विकास के नए-नए पायदान चढ़ता जा रहा है जिसमें जिला में स्थापित होने जा रहा अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान शामिल है.
एम्स में मिलेंगी अत्याधुनिक सुविधाएं
बिलासपुर जिला के कोठीपुरा में लगभग 250 एकड़ भूमि में लगभग 1500 करोड़ रुपये की लागत से एम्स की स्थापना होने जा रही है. जिला में इस संस्थान के स्थापित होने से न केवल बिलासपुर व आसपास के जिलो बल्कि हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ पंजाब राज्य के लाखों लोगों को भी इसका लाभ मिलेगा. इस संस्थान में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस 750 बिस्तर का अस्पताल जिसमें 30 ट्रामा बेड, 80 आईसीयू बेड, 20 ऑपरेशन थियेटर, 20 स्पेशलिटी और सुपर स्पेशलिटी विभाग के साथ-साथ अत्याधुनिक उपकरण जैसे सीटी स्कैन, एमआरआई, कैथ लैब, इत्यादि से सुसज्जित होगा.
एम्स में आयुष भवन भी स्थापित
इस परिसर में आवसीय छात्रावास जैसी तमाम सुविधाएं उपलब्ध होंगी. इसके अतिरिक्त मरीजों के लिए गैर एलोपैथिक विधाओं से भी इलाज की सुविधा होगी जिसके लिए इसी परिसर में आयुष भवन भी स्थापित होगा. इस भवन में होम्यिपैथी, आयुर्वेद और यूनानी पद्धति से भी मरीजों का इलाज होगा और इसके लिए 30 बेड का एक वार्ड बनाया जा रहा है.
100 सीटों का मेडिकल काॅलेज
इसी संस्थान में 100 सीटों का मेडिकल काॅलेज, 60 सीटों का नर्सिंग काॅलेज और लगभग 600 लोगों को बैठने की क्षमता वाला ऑडिटोरियम भी स्थापित होगा. निश्चित तौर पर जिला में स्थापित हो रहा एम्स संस्थान प्रदेश के लोगों के लिए एक उत्तम, उन्नत एवं अत्याधुनिक उपचार सुविधाओं का केन्द्र बनेगा और लोगों को उपचार के लिए प्रदेश से बाहर नहीं जाना पड़ेगा. इससे न केवल यहां के लोगों को प्रदेश के अंदर ही राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर की चिकित्सा सुविधा मिलेगी बल्कि अनावश्यक परेशानी के साथ-साथ आर्थिक बचत भी होगी. जिला के कोठीपुरा में स्थापित हो रहे इस एम्स का शिलान्यास 21 जनवरी, 2019 को तत्कालीन केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने किया था. इस परियोजना को 30 सितम्बर, 2021 पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित था लेकिन कोरोना महामारी के चलते अब इसे आगामी वर्ष तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है.
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जिला बिलासपुर की बंदलाधार पर राजकीय हाइड्रो इंजीनियरिंग काॅलेज का निर्माण किया जा रहा है जिसका कार्य प्रगति पर है. हाइड्रो इंजीनियरिंग काॅलेज के निर्माण पर लगभग 105 करोड़ रूपए खर्च किए जा रहे हैं. आगामी वर्ष तक इस कालेज में कक्षाएं आरंभ करने का प्रयास है. वर्तमान में कांगड़ा जिला के नगरोटा भंगवा में हाइड्रो इंजीनियरिंग के दो ट्रेड की कक्षाएं चल रही है जिसमें 480 प्रक्षिशु अध्ययनरत है. हाईड्रो इंजीनियरिंग काॅलेज में चार ट्रैड में इंजीनियरिंग की डिग्री मिलेगी जिसमें कंप्यूटर साइंस, मेकेनिकल, सिविल और इलेट्रिकल इंजीनियरिंग स्ट्रीम को मंजूरी दी गई है. प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में यह देश में अपनी तरह का पहला हाइड्रो इंजीनियरिंग काॅलेज होगा.
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