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अफगानिस्तान के लुटेरे के डर से बनाया गया तयुंन-सरयूंन किला, अनदेखी के कारण समाप्ति की कगार पर - तयुंन-सरयूंन किला

हिमाचल प्रदेश में राजा-महाराजाओं के जमाने की कई प्राचीन इमारतें आज भी मौजूद हैं. भले ही राजाओं का राजपाठ चला गया हो, लेकिन इन प्राचीन इमारतें में इतिहास की झलक अब भी बरकरार है.

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Published : Sep 16, 2019, 5:51 PM IST

बिलासपुर जिले में स्थित तयुंन-सरयूंन किले का निर्माण कहलूर रियासत के 16वें राजा पृथ्वी चंद ने सुरक्षा की दृष्टि से करवाया था. बताया जाता है कि जब अफगानिस्तान के लुटेरे मोहम्मद गौरी ने भारत पर आक्रमण किया था तो राजाओं में इस बात का डर हो गया था कि उन पर भी आक्रमण हो सकता है. इसलिए सुरक्षा के मद्देनजर इस किले का निर्माण किया गया.

तयुंन-सरयूंन किला

वर्तमान समय की बात करें तो प्रशासन की अनदेखी के कारण अब ये किला जर्जर हालत में है. ये किला पूरी तरह से टूट चुका है और अवशेष ही बाकी हैं. ऊंचाई पर बसे इस किले की हालत भले ही अभी ठीक न हो, लेकिन किले के ऊपर से बिलासपुर की सुंदरता देखते ही बनती है. किले को चूमती ठंडी हवाएं यहां दिन-रात चलती रहती हैं, लेकिन यहां पर रुकना खतरे से खाली नहीं है.

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तयुंन-सरयूंन किला
समुद्र तल से 12037 मीटर की ऊंचाई पर स्थित तयुंन-सरयूंन किले की जर्जर हालत की वजह से यहां तक पहुंचना बहुत मुश्किल हो गया है. यहां जाने के लिए रास्ता तक नहीं है और जंगली जानवरों का खतरा भी बना रहता है.
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तयुंन-सरयूंन किला

बिना रास्ते के किले तक पहुंचना मौत को दावत देने के बराबर है, लेकिन ईटीवी भारत की टीम ने तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए किले में प्रवेश किया और आप सभी को इस ऐतिहासिक धरोहर से रूबरू करवाया. कहा जाता है कि किले में 10 कमरे, तीन अन्य भंडार, एक कुआं, दुर्गा माता का मंदिर और एक कारावास भवन हुआ करता था.

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तयुंन-सरयूंन किला

ये भी पढे़ं - हिमाचल के किले: इतिहास को समेटे है बाघल रियासत का किला, आज खंडहर में हो रहा तब्दील

बिलासपुर जिले में स्थित तयुंन-सरयूंन किले का निर्माण कहलूर रियासत के 16वें राजा पृथ्वी चंद ने सुरक्षा की दृष्टि से करवाया था. बताया जाता है कि जब अफगानिस्तान के लुटेरे मोहम्मद गौरी ने भारत पर आक्रमण किया था तो राजाओं में इस बात का डर हो गया था कि उन पर भी आक्रमण हो सकता है. इसलिए सुरक्षा के मद्देनजर इस किले का निर्माण किया गया.

तयुंन-सरयूंन किला

वर्तमान समय की बात करें तो प्रशासन की अनदेखी के कारण अब ये किला जर्जर हालत में है. ये किला पूरी तरह से टूट चुका है और अवशेष ही बाकी हैं. ऊंचाई पर बसे इस किले की हालत भले ही अभी ठीक न हो, लेकिन किले के ऊपर से बिलासपुर की सुंदरता देखते ही बनती है. किले को चूमती ठंडी हवाएं यहां दिन-रात चलती रहती हैं, लेकिन यहां पर रुकना खतरे से खाली नहीं है.

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तयुंन-सरयूंन किला
समुद्र तल से 12037 मीटर की ऊंचाई पर स्थित तयुंन-सरयूंन किले की जर्जर हालत की वजह से यहां तक पहुंचना बहुत मुश्किल हो गया है. यहां जाने के लिए रास्ता तक नहीं है और जंगली जानवरों का खतरा भी बना रहता है.
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तयुंन-सरयूंन किला

बिना रास्ते के किले तक पहुंचना मौत को दावत देने के बराबर है, लेकिन ईटीवी भारत की टीम ने तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए किले में प्रवेश किया और आप सभी को इस ऐतिहासिक धरोहर से रूबरू करवाया. कहा जाता है कि किले में 10 कमरे, तीन अन्य भंडार, एक कुआं, दुर्गा माता का मंदिर और एक कारावास भवन हुआ करता था.

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तयुंन-सरयूंन किला

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Intro:अनदेखी का सरयुन खास किला समाप्ति की कगार पर
अफगानिस्तान के लुटेरे मोहम्मद गौरी के भय पर बनाया था किला
कहलूर रियासत के 16वे राजा ने बनाया था किला


बिलासपुर जिला के किलों में शुमार होने वाले तयुंन-सरयूंन का किला अनदेखी के चलते जर्जर हालत में है। आलम यह है कि यह किला राजाओ के काल का है लेकिन प्रशाशनिक अनदेखी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अब यह किला पूरी तरह से टूट चुका है तथा अवशेष ही बाकी है। बिलासपुर जिले के सरयुन खास पंचायत की धार पर यह किला कहलूर रियासत के 16वे राजा पृथ्वी चंद ने सुरक्षा की दृष्टि से बनाया था।





Body: बताया जाता है कि जब अफगानिस्तान के लुटेरे मोहम्मद गौरी ने भारत पर आक्रमण किया था तो राजाओं में इस बात का भय हो गया था इसलिए सुरक्षा की दृष्टि के मद्देनजर इस किले का निर्माण किया गया। ऊंचाई पर बसे इस किले की हालात भले ही जीण- शिड हो गई हो लेकिन किले के ऊपर से बिलासपुर की सुंदरता देखते ही बनती है। किले को चूमती ठंडी हवाएं यहां दिन-रात बहती है। लेकिन यहां पर रुकना खतरे से खाली नहीं है। लोगों की माने पहले यहां पर किसी जिज्ञासु लोग आते थे लेकिन अब यहां कोई नहीं आता बिना रास्ते के से किले तक पहुंचना मौत को दावत देने के बराबर है। समुद्र तल से 12037 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस किले तक जाने के लिए रास्ता तक शेष नही है। जंगली जानवरों का खतरा भी दिन दोपहर को बना रहता है।
ईटीवी भारत की टीम ने तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए जबकि ले में प्रवेश किया तो वहां भी केवल मिट्टी पुराने काल की गवाही दे रही थी। स्थानीय लोगों ने बताया कि इस किले में 10 कमरे, तीन अन्य भंडार,। एक कुआं, दुर्गा माता का मंदिर तथा एक कारावास भवन था। इस किले में आना किसी खतरे से खाली नहीं है यूं तो प्रदेश सरकार प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नित नई घोषणाएं कर रही है लेकिन यदि इस प्रकार की प्राचीन धरोहरो को सहेजा जाए तो पर्यटक इस ओर आकर्षित होंगे ओर स्थानीय लोगो की रोजगार भी मिलेगा

बाइट...
स्थानीय निवासी लकी सिंह ने बताया कि यहां पर कोई भी राजनीतिक नेता केंद्र टीम व प्रदेश की टीम सर्वे के लिए नहीं आई है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द ही इस किले को फिर से बनाया जाए। ताकि यहां पर पर्यटन की दृष्टि से यह किला विकसित हो सके


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