बिलासपुर जिले में स्थित तयुंन-सरयूंन किले का निर्माण कहलूर रियासत के 16वें राजा पृथ्वी चंद ने सुरक्षा की दृष्टि से करवाया था. बताया जाता है कि जब अफगानिस्तान के लुटेरे मोहम्मद गौरी ने भारत पर आक्रमण किया था तो राजाओं में इस बात का डर हो गया था कि उन पर भी आक्रमण हो सकता है. इसलिए सुरक्षा के मद्देनजर इस किले का निर्माण किया गया.
वर्तमान समय की बात करें तो प्रशासन की अनदेखी के कारण अब ये किला जर्जर हालत में है. ये किला पूरी तरह से टूट चुका है और अवशेष ही बाकी हैं. ऊंचाई पर बसे इस किले की हालत भले ही अभी ठीक न हो, लेकिन किले के ऊपर से बिलासपुर की सुंदरता देखते ही बनती है. किले को चूमती ठंडी हवाएं यहां दिन-रात चलती रहती हैं, लेकिन यहां पर रुकना खतरे से खाली नहीं है.
बिना रास्ते के किले तक पहुंचना मौत को दावत देने के बराबर है, लेकिन ईटीवी भारत की टीम ने तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए किले में प्रवेश किया और आप सभी को इस ऐतिहासिक धरोहर से रूबरू करवाया. कहा जाता है कि किले में 10 कमरे, तीन अन्य भंडार, एक कुआं, दुर्गा माता का मंदिर और एक कारावास भवन हुआ करता था.
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