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ग्राउंड रिपोर्ट: जानिए सुलभ शौचालयों का लोगों को मिलता है कितना फायदा? - हिमाचल प्रदेश न्यूज

हिमाचल को शौच मुक्त किया गया है, लेकिन धरातल की सच्चाई कुछ और ही ब्यां करती है. बिलासपुर की बात करें तो यहां पर प्रशासन द्वारा शहर के मुख्य स्थानों पर टॉयलेट बनाए गए है, लेकिन इसकी सुविधा लोगों को कितनी मिलती है. यह उस समय साफ हो गया जब सुबह के समय टॉयलटों पर ताला लटका पाया गया.

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Published : Nov 19, 2020, 7:53 PM IST

बिलासपुर: 19 नवंबर विश्व टॉयलेट दिवस के रूप में मनाया जाता है. हिमाचल को शौच मुक्त किया गया है, लेकिन धरातल की सच्चाई कुछ और ही ब्यां करती है.

बिलासपुर की बात करें तो यहां पर प्रशासन द्वारा शहर के मुख्य स्थानों पर टॉयलेट बनाए गए है, लेकिन इसकी सुविधा लोगों को कितनी मिलती है. यह उस समय साफ हो गया जब सुबह के समय टॉयलटों पर ताला लटका पाया गया.

वीडियो.

प्रशासन द्वारा टॉयलेट बनाए गए हैं कि लोग खुलें में शौच न करें, लेकिन सुबह के समय इन टॉयलटों में ताला लटके रहने की वजह से लोगों को मजबूरन खुले में शौच करने को विवश हो गए हैं. वहीं, प्रशासनिक आंकड़ों की बात करें तो बिलासपुर जिला में इंडिविजुअल हाउस होल्ड टॉयलेट के लिए सरकार की ओर से 14662 का टारगेट मिला था. जिसको जिला प्रशासन ने पूरा कर लिया है.

वहीं, इस आंकड़े को प्रशासन ने 2016 में ही पूरा कर लिया था. वहीं, खास बात भी है कि बिलासपुर जिला के घुमारवीं ब्लॉक को स्वच्छ निर्मल भारत का आवार्ड भी मिला है. 2010 में हिमाचल को पहला ब्लॉक होने के चलते घुमारवीं को स्वच्छ ब्लॉक होने पर सरकार द्वारा सम्मानित किया गया था. जिसमें घुमारवीं ब्लॉक के तहत आने वाली सभी पंचायतों को 2 लाख रूपये नकदी ईनाम राशि से पुरस्कृत किया गया था.

बताते चलें कि उसके बाद 2017 में बिलासपुर जिला को 169 कॉमिनिटी टायलेट यानि की सड़क किनारे, शहरों व सार्वजनिक स्थानों पर टायलेट बनाने का टारेगट था. जिसे भी जिला प्रशासन ने पूरा कर लिया है. वहीं, 2020-21 के टारगेट की बात करें तो अभी तक प्रशासन को 98 टॉयलेट बनाने का टारेगट दिया गया है, जिसके लिए प्रशासन कार्यरत है.

प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि डिमांड के हिसाब से भी टायलेट बनाए जाते हैं. मनरेगा के तहत अगर कोई डिमांड करता है तो उनके लिए भी टॉयलेट बनाए जाते हैं.

धरातल की रिपोर्ट की बात करें तो प्रशासन द्वारा टॉयलेट तो बना दिए गए हैं, लेकिन लोगों को इसकी अधिक सुविधा मिलती नजर नहीं आ रही है. क्योंकि जिस तरह ईटीवी भारत की टीम ने जब सुबह सवेरे बिलासपुर शहर के टायलेटों की तस्वीर देखी तो यहां पर तालें लटके हुए थे, जिससे लोगों को भारी दिक्कतों को सामना करना पड़ा.

बिलासपुर नगर परिषद ने 154 का टारगेट पूरा किया

बिलासपुर नगर परिषद में 2014-15 में 154 टॉयलेट की डिमांड सरकार को भेजी थी. जिसके बाद वहां से पैसा आने पर 154 टॉयलेटों का टारगेट नगर परिषद बिलासपुर में पूरा किया है. वह 154 घरों में पूरी तरह से टॉयलेट नगर परिषद द्वारा बनाए गए हैं यह पैसा स्वच्छ भारत मिशन के तहत लोगों को वितरित किया गया है.

क्या है विश्व शौचालय दिवस

शौचालय जीवन को बचाते हैं. ये विभिन्न बीमारियों के प्रसार को रोकने में मदद करते हैं. विश्व शौचालय दिवस वैश्विक स्वच्छता संकट से निपटने हेतु प्रेरित करने वाला एक महत्वपूर्ण दिवस है.

मनाने का उद्देश्य

विश्व में सभी लोगों को 2030 तक शौचालय की सुविधा उपलब्ध करवाना संयुक्त राष्ट्र के छह सतत विकास लक्ष्यों का हिस्सा है. संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों में सबको शुद्ध पेयजल और स्वच्छता की सुविधा उलब्ध कराने का लक्ष्य भी रखा गया है.

बिलासपुर: 19 नवंबर विश्व टॉयलेट दिवस के रूप में मनाया जाता है. हिमाचल को शौच मुक्त किया गया है, लेकिन धरातल की सच्चाई कुछ और ही ब्यां करती है.

बिलासपुर की बात करें तो यहां पर प्रशासन द्वारा शहर के मुख्य स्थानों पर टॉयलेट बनाए गए है, लेकिन इसकी सुविधा लोगों को कितनी मिलती है. यह उस समय साफ हो गया जब सुबह के समय टॉयलटों पर ताला लटका पाया गया.

वीडियो.

प्रशासन द्वारा टॉयलेट बनाए गए हैं कि लोग खुलें में शौच न करें, लेकिन सुबह के समय इन टॉयलटों में ताला लटके रहने की वजह से लोगों को मजबूरन खुले में शौच करने को विवश हो गए हैं. वहीं, प्रशासनिक आंकड़ों की बात करें तो बिलासपुर जिला में इंडिविजुअल हाउस होल्ड टॉयलेट के लिए सरकार की ओर से 14662 का टारगेट मिला था. जिसको जिला प्रशासन ने पूरा कर लिया है.

वहीं, इस आंकड़े को प्रशासन ने 2016 में ही पूरा कर लिया था. वहीं, खास बात भी है कि बिलासपुर जिला के घुमारवीं ब्लॉक को स्वच्छ निर्मल भारत का आवार्ड भी मिला है. 2010 में हिमाचल को पहला ब्लॉक होने के चलते घुमारवीं को स्वच्छ ब्लॉक होने पर सरकार द्वारा सम्मानित किया गया था. जिसमें घुमारवीं ब्लॉक के तहत आने वाली सभी पंचायतों को 2 लाख रूपये नकदी ईनाम राशि से पुरस्कृत किया गया था.

बताते चलें कि उसके बाद 2017 में बिलासपुर जिला को 169 कॉमिनिटी टायलेट यानि की सड़क किनारे, शहरों व सार्वजनिक स्थानों पर टायलेट बनाने का टारेगट था. जिसे भी जिला प्रशासन ने पूरा कर लिया है. वहीं, 2020-21 के टारगेट की बात करें तो अभी तक प्रशासन को 98 टॉयलेट बनाने का टारेगट दिया गया है, जिसके लिए प्रशासन कार्यरत है.

प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि डिमांड के हिसाब से भी टायलेट बनाए जाते हैं. मनरेगा के तहत अगर कोई डिमांड करता है तो उनके लिए भी टॉयलेट बनाए जाते हैं.

धरातल की रिपोर्ट की बात करें तो प्रशासन द्वारा टॉयलेट तो बना दिए गए हैं, लेकिन लोगों को इसकी अधिक सुविधा मिलती नजर नहीं आ रही है. क्योंकि जिस तरह ईटीवी भारत की टीम ने जब सुबह सवेरे बिलासपुर शहर के टायलेटों की तस्वीर देखी तो यहां पर तालें लटके हुए थे, जिससे लोगों को भारी दिक्कतों को सामना करना पड़ा.

बिलासपुर नगर परिषद ने 154 का टारगेट पूरा किया

बिलासपुर नगर परिषद में 2014-15 में 154 टॉयलेट की डिमांड सरकार को भेजी थी. जिसके बाद वहां से पैसा आने पर 154 टॉयलेटों का टारगेट नगर परिषद बिलासपुर में पूरा किया है. वह 154 घरों में पूरी तरह से टॉयलेट नगर परिषद द्वारा बनाए गए हैं यह पैसा स्वच्छ भारत मिशन के तहत लोगों को वितरित किया गया है.

क्या है विश्व शौचालय दिवस

शौचालय जीवन को बचाते हैं. ये विभिन्न बीमारियों के प्रसार को रोकने में मदद करते हैं. विश्व शौचालय दिवस वैश्विक स्वच्छता संकट से निपटने हेतु प्रेरित करने वाला एक महत्वपूर्ण दिवस है.

मनाने का उद्देश्य

विश्व में सभी लोगों को 2030 तक शौचालय की सुविधा उपलब्ध करवाना संयुक्त राष्ट्र के छह सतत विकास लक्ष्यों का हिस्सा है. संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों में सबको शुद्ध पेयजल और स्वच्छता की सुविधा उलब्ध कराने का लक्ष्य भी रखा गया है.

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