बिलासपुर: प्रदेश में जंगली जानवरों और आवारा पशुओं के कारण अकसर किसानों की फसलें बर्बाद हो जाती थी. इस समस्या से परेशान होकर सूबे के किसानों ने खेतीबाड़ी का काम छोड़ कर दूसरे व्यवसायों को अपनाना शुरू कर दिया था, लेकिन इस समस्या का समाधान करने के लिए कृषि विभाग द्वारा सोलर फेंसिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. जिसकी शुरुआत जिला बिलासपुर से की गई है.
इस तकनीक के चलते अब किसानों की फसल सुरक्षित रखेगी. वहीं, जंगली जानवरों की मौत का सिलसिला भी थम जाएगा. सोलर लाइट से कनेक्शन कर खेतों के चारों ओर 10 फीट ऊंचाई तक तारें लगायी जाती है. जिसमें हल्के करंट के साथ एक हूटर भी कनेक्ट रहता है.
इस विधि के जरिये जंगली जानवरों के तार छूने पर उन्हें केवल हलका झटका लगता है, जिससे वह घबराकर भाग जाते हैं. इस तकनीक में हूटर बजने से खेत मालिक को जंगली जानवरों की जानकारी मिल जाती है. सोलर फेंसिंग तकनीक का इस्तेमाल करने वाले बिलासपुर के किसानों की मानें तो इस विधि को अपनाने के बाद एक बार फिर उन्होंने खेती करना शुरू कर दिया है.
बता दें कि हिमाचल सरकार द्वारा किसानों की फसल को जानवरों से सुरक्षित रखने के लिए सोलर फेंसिंग विधि की शुरुआत की गई है. जिसके जरिये सामूहिक किसानों द्वारा इस विधि को लगाने पर 85 प्रतिशत तक सब्सिडी और व्यक्तिगत लगवाने के लिए 80 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है.
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सोलर फेंसिंग विधि की जानकारी देते हुए कृषि विभाग बिलासपुर के डिप्टी डायरेक्टर कुलदीप सिंह पटियाल ने बताया कि बिलासपुर जिले में 125 किसानों द्वारा इस विधि का इस्तेमाल किया जा रहा है. जिससे उनकी फसल जंगली जानवरों से पूरी तरह सुरक्षित है.