बिलासपुर: कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के दौरान विश्वभर में प्रदूषण का स्तर अपने सबसे निचले स्तर पर चला गया था. हमारे आसपास की आबो-हवा इतनी साफ इससे पहले कभी नहीं हुई थी. नदियां दर्पण की तरह साफ और आसमान का नीला चटक रंग आज की जेनरेशन को शायद पहली बार दिखा था.
लॉकडाउन में सड़कों पर गाड़ियां नहीं दौड़ रही थी, फैक्ट्रियां बंद थी, ऐसे में हवा इतनी साफ हो गई थी कि धर्मशाला से 200 किलोमीटर दूर जालंधर से हिमालय की धौलाधार पर्वत श्रृंखला दिखाई दे रही थी, लेकिन जैसे-जैसे जिंदगी पटरी पर लौटने लगी, सड़कों पर वाहनों की तादाद बढ़ी, फैक्ट्रियां-उद्योग एक बार फिर शुरू हुए वैसे-वैसे प्रदूषण का स्तर भी बढ़ा.
हिमाचल प्रदेश में भी लॉकडाउन के दौरान प्रकृति पर खासा असर दिखा था, लेकिन अब हालात फिर से पहले की तरह ही हो रहे हैं. कोरोना काल में लोग सार्वजनिक परिवहन की बजाय निजी वाहनों में ज्यादा सफर कर रहे हैं, जिसके चलते सड़क पर वाहनों की संख्या बढ़ी है और प्रदूषण का स्तर भी.
हिमाचल के सात शहरों में प्रदूषण का स्तर अधिक
हिमाचल में 7 शहर ऐसे हैं जहां प्रदूषण का स्तर अधिक रहता है. हालांकि समय के साथ इन शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स में बदलाव होता रहता है, लेकिन पूरे प्रदेश की बात की जाए तो इन्ही सात शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक खराब दर्ज किया जाता है. इनमें पांवटा साहिब, काला अंब, बद्दी, सुंदरनगर, डमटाल, नालागढ़ और परवाणू शामिल हैं.
ऐसी है हिमाचल के शहरों का आबोहवा
इसके अलावा प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों में प्रदूषण के स्तर को देखा जाए तो इस तरह से रहता है. पर्यटन नगरी मनाली में एयर क्वालिटी इंडेक्स 45, धर्मशाला में 32, परवाणू 43, ऊना में 46, सुंदरनगर में 62, डमटाल में 67, नालागढ़ में 63, पांवटा साहिब में 95, कालाअंब में 66, शिमला में 100 और बद्दी में एयर क्वालिटी इंडेक्स का स्तर 145 है.
सर्दियां बढ़ने से और बढ़ेगा प्रदूषण
हालांकि, अब सर्दियों के मौसम में भी वायु की गुणवत्ता पर असर पढ़ रहा है, ऐसे में प्रदेश के ऊंचाई वाले इलाकों में ठंड बढ़ने के साथ-साथ वायु प्रदूषण भी बढ़ता है. प्रदेश में एयर क्वालिटी इंडेक्स की बात करें तो लॉकडाउन से पहले और लॉकडाउन के बाद वातावरण में कोई ज्यादा बदलाव देखने को नहीं मिला है. हां इतना जरूर है कि लॉकडाउन के दौरान प्रदूषण का स्तर जरूर गिरा था.
प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों की माने तो लॉकडाउन के दौरान पर्यावरण जरूर साफ हुआ था, लेकिन अब हालात फिर एक बार पहले की तरह हैं. प्रदूषण बोर्ड अधिकारी बिलासपुर अतुल परमार का कहना है कि जब प्रदूषण की जांच होती है तो उसमें पिछले साल और मौजूदा साल के बीच कंपेरिजन होता है. पिछले साल और इस साल में प्रदूषण को लेकर कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है.
लोगों को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील होने की जरूरत
पर्यावरण विद् और समाजसेवी अंशुल कुमार का कहना है कि लॉकडाउन के बाद जैसे-जैसे लोग फिर से अपनी पुरानी जीवन शैली में लौट रहे हैं वैसे-वैसे प्रदूषण बढ़ रहा है. उन्होंने लोगों से खुद पर्यावरण के प्रति संवेदनशील होने की अपील की है. अंशुल कुमार का कहना है कि प्रदूषण रोकने का सबसे बड़ा उपाय पेड़ लगाना है. अपने आस-पास ह में एक बार एक पौधा जरूर लगाएं.
बिलासपुर में प्रदूषण को लेकर रिसर्च कर रहे छात्र आसिफ का कहना है कि लॉकडाउन के बाद से प्रदूषण एक बार फिर बढ़ा है. दिपावली के दौरान सरकार के आग्रह के बावजूद लोगों ने पटाखे जलाए इससे भी वायू प्रदूषण की गुणवत्ता खराब हुई है.
पर्यावरण ही नहीं आपकी सेहत भी खराब करता है प्रदूषण
प्रदूषण का ना सिर्फ प्रकृति पर बल्कि इंसानी सेहत पर भी काफी असर पड़ता है. सिर्फ वायु प्रदूषण से ही रेस्पिरेटरी सिस्टम यानी श्वसन तंत्र, लंग्स, हार्ट और बाकि अंदरूनी अंगों को नुकसान होता है. प्रदूषण से बचने के लिए जरूरी है आवश्यक सावधानियां और अच्छा खानपान.
एक तो कोरोना कहर और ऐसे में बढ़ता वायु प्रदूषण आपकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है. ऐसे में जरूरी है कि सावधानी बरतें और स्वस्थ रहें. लोगों को जरूरत है कि वे पर्यावरण के प्रति जागरूक हों और अधिक से अधिक पेड़ लगाने की कोशिश करें, ताकि प्रदूषण जैसी समस्या से निपटने में थोड़ा योगदान मिल सके.
ये भी पढ़ेंः हिमाचल का सीना छलनी कर रहा अवैध खनन, किन्नौर से सिरमौर तक डरावनी तस्वीरें