बिलासपुर: जिला में चार लाख की जनसंख्या एक लेडी डॉक्टर के सहारे है. डॉक्टर कम होने की स्थिति में पहले तो गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में दाखिल किया जाता है और जब मामला गंभीर हो जाता है तो अन्य अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है.
ऐसे समय में लोगों को विवश होकर निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता है, जिससे गरीब लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. निजी अस्पतालों में सामान्य डिलिवरी करवाने के लिए छह गुना अधिक पैसा खर्च करना पड़ता है.
बता दें कि क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर में गाइनी डॉक्टर्स की कमी होने के कारण गर्भ में कई बच्चे दम तोड़ चुके हैं. इसके अलावा समय पर उपचार नहीं मिलने के चलते गर्भवती महिलाओं की भी मौतें हुई हैं. क्षेत्रीय अस्पताल प्रभारी डॉ. राजेश आहलुवालिया ने जानकारी देते हुए बताया कि जिला बिलासपुर में वर्तमान समय में एक ही लेडिज डॉक्टर उपलब्ध है.
आरएएफयू या सीआइएचसी लेवल के किसी भी अस्पताल में लेडीज स्पेशलिष्ट डॉक्टर उपलब्ध नहीं है.जब क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर में कार्यरत्त लेडीज स्पेशलिष्ट डॉक्टर अपने निजी कार्य से अवकाश पर जाती हैं तो महिलाओं की परेशानी और भी बढ़ जाती है. इस संदर्भ में उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को अवगत करवाकर लेडीज स्पेशलिष्ट डॉक्टर्स की मांग उठाई है.