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बिलासपुर में गाइनी डॉक्टर्स की कमी, एक लेडी डॉक्टर के सहारे लाखों महिलाएं

बिलासपुर क्षेत्रीय अस्पताल में गाइनी डॉक्टर्स की कमी के चलते लाखों महिलाओं की आबादी एक लेडी डॉक्टर के सहारे है.

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Published : Jul 20, 2019, 4:55 PM IST

बिलासपुर: जिला में चार लाख की जनसंख्या एक लेडी डॉक्टर के सहारे है. डॉक्टर कम होने की स्थिति में पहले तो गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में दाखिल किया जाता है और जब मामला गंभीर हो जाता है तो अन्य अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है.

ऐसे समय में लोगों को विवश होकर निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता है, जिससे गरीब लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. निजी अस्पतालों में सामान्य डिलिवरी करवाने के लिए छह गुना अधिक पैसा खर्च करना पड़ता है.

डॉ. राजेश आहलुवालिया

बता दें कि क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर में गाइनी डॉक्टर्स की कमी होने के कारण गर्भ में कई बच्चे दम तोड़ चुके हैं. इसके अलावा समय पर उपचार नहीं मिलने के चलते गर्भवती महिलाओं की भी मौतें हुई हैं. क्षेत्रीय अस्पताल प्रभारी डॉ. राजेश आहलुवालिया ने जानकारी देते हुए बताया कि जिला बिलासपुर में वर्तमान समय में एक ही लेडिज डॉक्टर उपलब्ध है.

आरएएफयू या सीआइएचसी लेवल के किसी भी अस्पताल में लेडीज स्पेशलिष्ट डॉक्टर उपलब्ध नहीं है.जब क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर में कार्यरत्त लेडीज स्पेशलिष्ट डॉक्टर अपने निजी कार्य से अवकाश पर जाती हैं तो महिलाओं की परेशानी और भी बढ़ जाती है. इस संदर्भ में उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को अवगत करवाकर लेडीज स्पेशलिष्ट डॉक्टर्स की मांग उठाई है.

बिलासपुर: जिला में चार लाख की जनसंख्या एक लेडी डॉक्टर के सहारे है. डॉक्टर कम होने की स्थिति में पहले तो गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में दाखिल किया जाता है और जब मामला गंभीर हो जाता है तो अन्य अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है.

ऐसे समय में लोगों को विवश होकर निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता है, जिससे गरीब लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. निजी अस्पतालों में सामान्य डिलिवरी करवाने के लिए छह गुना अधिक पैसा खर्च करना पड़ता है.

डॉ. राजेश आहलुवालिया

बता दें कि क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर में गाइनी डॉक्टर्स की कमी होने के कारण गर्भ में कई बच्चे दम तोड़ चुके हैं. इसके अलावा समय पर उपचार नहीं मिलने के चलते गर्भवती महिलाओं की भी मौतें हुई हैं. क्षेत्रीय अस्पताल प्रभारी डॉ. राजेश आहलुवालिया ने जानकारी देते हुए बताया कि जिला बिलासपुर में वर्तमान समय में एक ही लेडिज डॉक्टर उपलब्ध है.

आरएएफयू या सीआइएचसी लेवल के किसी भी अस्पताल में लेडीज स्पेशलिष्ट डॉक्टर उपलब्ध नहीं है.जब क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर में कार्यरत्त लेडीज स्पेशलिष्ट डॉक्टर अपने निजी कार्य से अवकाश पर जाती हैं तो महिलाओं की परेशानी और भी बढ़ जाती है. इस संदर्भ में उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को अवगत करवाकर लेडीज स्पेशलिष्ट डॉक्टर्स की मांग उठाई है.

Intro:स्लग - जिला बिलासपुर में चार लाख की जनसंख्या मात्र एक लेडीज डॉक्टर के है हवाले , भाजपा के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा के गृह जिला बिलासपुर में स्थित क्षेत्रीय अस्पताल में प्रसूती महिला डॉक्टर के उपलब्ध नहीं होने से गर्भवती महिलाओं को करना पड़ रहा है पहाड़ सम्मान परेशानियों का सामना ,पहले अस्पताल में गर्भवती महिलाओं को कर लिया जाता है दाखिल उसके उपरान्त
प्रसूती यानि कि डिलीवरी के समय रैफर कर दिया जाता है अन्य अस्पतालों को ,निर्धन श्रेणी से संबंधित लोगों को कर्ज लेकर निजी अस्पतालों में करवानी पड़ती है डिलीवरी ।



ऐ /आई -क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर के में प्रसूती कक्ष व अस्पताल परिसर के विभिन्न प्रकार के दृश्य।


वी /ओ - जिला बिलासपुर में चार लाख की जनसंख्या मात्र एक लेडीज डॉक्टर के हवाले है। भाजपा के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा के गृह जिला बिलासपुर में स्थित क्षत्रीय अस्पताल में प्रसूती महिला डॉक्टर के उपलब्ध नहीं होने से गर्भवती महिलाओं को पहाड़ समान करना पड़ रहा है। इस समस्या से पीड़ित महिलाओं ने बताया कि पहले अस्पताल में गर्भवती महिलाओं को अक्सर दाखिल कर लिया जाता है उसके उपरान्त प्रसूती यानि कि डिलीवरी के समय अन्य अस्पतालों के लिए रैफर कर दिया जाता है। जिस कारण लोगों निजी अस्पतालों की ओर विवशता के कारण रुख करना पड़ता है। निजी अस्पतालों में कोई भी डिलीवरी समान्य ढंग की अपेक्षा ऑपरेशन से करवाई जाती है। निजी अस्पताल वाले डिलीवरी का बिल तीस से पैंतीस हजार रूपए बसूल रहे हैं। वर्तमान समय में निर्धन श्रेणी से संबंधित लोगों को कर्ज लेकर निजी अस्पतालों में प्रसव यानि डिलीवरी करवाने जाना पड़ रहा है। क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर में लेडीज स्पेशलिष्ट डॉक्टरों की अनुपस्थिति में मां के गर्भ में कई बच्चे बेमौत अपना दम तोड़ चुके हैं। इसके अलावा समय पर उपचार नहीं मिलने के चलते गर्भवती महिलाएं भी बेमौत मृत्यु को प्राप्त हो चुकी हैं। क्षेत्रीय अस्पताल के प्रभारी डॉ राजेश आहलुवालिया ने जानकारी देते हुए बताया कि जिला बिलासपुर में वर्तमान समय में एक ही लेडिज डॉक्टर उपलब्ध है। आरएएफयू या सीआइएचसी लेवल के किसी भी अस्पताल में लेडीज स्पेशलिष्ट डॉक्टर उपलब्ध नहीं है। जब क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर में कार्यरत्त लेडीज स्पेशलिष्ट डॉक्टर अपने निजी कार्य से अवकाश पर जाती है तो महिलाओं को परेशानी उठाने पड़ती है। इस संदर्भ में उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को अवगत करवाकर और लेडीज स्पेशलिष्ट डॉक्टरों की मांग उठाई है।

फीडबैक -
(1)-सीमा,तीमारदार क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर। (बाइट )
(2)-राजेश आहलुवालिया ,प्रभारी क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर। (बाइट )
(3)-शीतल ,स्थानीय निवासी बिलासपुर। (बाइट )Body:ByteConclusion:स्लग - जिला बिलासपुर में चार लाख की जनसंख्या मात्र एक लेडीज डॉक्टर के है हवाले , भाजपा के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा के गृह जिला बिलासपुर में स्थित क्षेत्रीय अस्पताल में प्रसूती महिला डॉक्टर के उपलब्ध नहीं होने से गर्भवती महिलाओं को करना पड़ रहा है पहाड़ सम्मान परेशानियों का सामना ,पहले अस्पताल में गर्भवती महिलाओं को कर लिया जाता है दाखिल उसके उपरान्त
प्रसूती यानि कि डिलीवरी के समय रैफर कर दिया जाता है अन्य अस्पतालों को ,निर्धन श्रेणी से संबंधित लोगों को कर्ज लेकर निजी अस्पतालों में करवानी पड़ती है डिलीवरी ।



ऐ /आई -क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर के में प्रसूती कक्ष व अस्पताल परिसर के विभिन्न प्रकार के दृश्य।


वी /ओ - जिला बिलासपुर में चार लाख की जनसंख्या मात्र एक लेडीज डॉक्टर के हवाले है। भाजपा के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा के गृह जिला बिलासपुर में स्थित क्षत्रीय अस्पताल में प्रसूती महिला डॉक्टर के उपलब्ध नहीं होने से गर्भवती महिलाओं को पहाड़ समान करना पड़ रहा है। इस समस्या से पीड़ित महिलाओं ने बताया कि पहले अस्पताल में गर्भवती महिलाओं को अक्सर दाखिल कर लिया जाता है उसके उपरान्त प्रसूती यानि कि डिलीवरी के समय अन्य अस्पतालों के लिए रैफर कर दिया जाता है। जिस कारण लोगों निजी अस्पतालों की ओर विवशता के कारण रुख करना पड़ता है। निजी अस्पतालों में कोई भी डिलीवरी समान्य ढंग की अपेक्षा ऑपरेशन से करवाई जाती है। निजी अस्पताल वाले डिलीवरी का बिल तीस से पैंतीस हजार रूपए बसूल रहे हैं। वर्तमान समय में निर्धन श्रेणी से संबंधित लोगों को कर्ज लेकर निजी अस्पतालों में प्रसव यानि डिलीवरी करवाने जाना पड़ रहा है। क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर में लेडीज स्पेशलिष्ट डॉक्टरों की अनुपस्थिति में मां के गर्भ में कई बच्चे बेमौत अपना दम तोड़ चुके हैं। इसके अलावा समय पर उपचार नहीं मिलने के चलते गर्भवती महिलाएं भी बेमौत मृत्यु को प्राप्त हो चुकी हैं। क्षेत्रीय अस्पताल के प्रभारी डॉ राजेश आहलुवालिया ने जानकारी देते हुए बताया कि जिला बिलासपुर में वर्तमान समय में एक ही लेडिज डॉक्टर उपलब्ध है। आरएएफयू या सीआइएचसी लेवल के किसी भी अस्पताल में लेडीज स्पेशलिष्ट डॉक्टर उपलब्ध नहीं है। जब क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर में कार्यरत्त लेडीज स्पेशलिष्ट डॉक्टर अपने निजी कार्य से अवकाश पर जाती है तो महिलाओं को परेशानी उठाने पड़ती है। इस संदर्भ में उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को अवगत करवाकर और लेडीज स्पेशलिष्ट डॉक्टरों की मांग उठाई है।

फीडबैक -
(1)-सीमा,तीमारदार क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर। (बाइट )
(2)-राजेश आहलुवालिया ,प्रभारी क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर। (बाइट )
(3)-शीतल ,स्थानीय निवासी बिलासपुर। (बाइट )
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