बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के उपमंडल घुमारवीं में बाल मजदूरी की शिकायत मिलने पर श्रम विभाग और अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों की गठित टीम ने शहर की विभिन्न दुकानों में छापेमारी की. इस दौरान दुकानों पर रखे गये लोगों का विवरण हाजिरी रजिस्टर ,वेतन रिकॉर्ड , शॉप लाइसेंस सहित जरूरी कागजात चेक किए गए. दरअसल, उपायुक्त बिलासपुर आबिद हुसैन सादिक के निर्देशों पर घुमारवीं शहर और आसपास के इलाके में छापेमारी की गई.
13 वर्षीय बच्चे से सेल्समैन का कराया जा रहा था काम: विभाग द्वारा अचानक की गई इस छापेमारी के दौरान एक रेडीमेड गारमेंट्स की दुकान पर एक 13 वर्षीय बच्चे को काम करते पाया गया. जिसके बाद दुकानदार से बच्चे का सभी रिकॉर्ड दो दिन के भीतर विभाग के समक्ष प्रस्तुत करने के आदेश जारी किए गए. बता दें, विभागीय अधिकारियों द्वारा जांच करने पर पाया गया कि दुकानदार द्वारा इस बच्चे से सेल्समैन का कार्य कराया जा रहा था. वही बच्चे को काम करने के बदले में रहने की जगह और दो वक्त का खाना दिया जा रहा था.
व्यापारियों को जल्द से जल्द लाइसेंस बनवाने के आदेश: बता दें, शहर भर में कई गयी इस कार्रवाई के दौरान श्रम विभाग अधिकारियों के जांच में कई दुकानों पर काम कर रहे लोगों का आवश्यक रिकॉर्ड नहीं पाया गया. साथ ही इन दुकानों पर कोई वेतन संबंधी कोई रिकॉर्ड या हाजिरी रजिस्टर नहीं मिला. वही विभाग द्वारा सभी व्यापारियों को जल्द से जल्द अपने लाइसेंस बनवाने और अन्य औपचारिकताएं पूरे करने के आदेश जारी किए गए.
'गत दिनों घुमारवीं बाजार में बाल मजदूरी की शिकायतें मिलने पर इस मामले में संज्ञान लेते हुए श्रम विभाग सहित संबंधित विभागों की एक टीम गठित कर दबिश करने के निर्देश जारी किए गए. आज मौके पर टीम द्वारा एक दुकान से 13 वर्षीय बच्चे को काम करते पाया गया है. जिस पर दुकानदार के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी.' :- आबिद हुसैन, उपायुक्त बिलासपुर
आबिद हुसैन सादिक ने बताया कि अक्टूबर 2006 में, सरकार ने बाल श्रम (उन्मूलन और पुनर्वास) विधेयक, 2006 को बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 में संशोधन के रूप में पारित किया है. 2006 में, सरकार ने होटल,रेस्तरां, दुकान, कारखाना, रिसॉर्ट, स्पा, चाय की दुकानों आदि जैसे व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में घरेलू नौकर या श्रमिकों के रूप में बच्चों के रोजगार पर प्रतिबंध लगा दिया. इस विधेयक के अनुसार 14 साल से कम उम्र के बच्चों को काम पर रखने वाला कोई भी व्यक्ति अभियोजन और दंडात्मक कार्रवाई के लिए उत्तरदायी होगा.
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