बिलासपुर: प्रदेश सरकार हिमाचल में बेहतर सड़कों की बात करती है, लेकिन धरातल पर सच्चाई कुछ और ही बंया करती है. सरकार के दावों की पोल दाबला जैसे गांव खोल देते हैं, जहां पर आजादी की 72 साल बाद भी सड़क सुविधा नहीं पहुंची है. आज भी करीब 100 लोगों की जनसंख्या वाले लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
दाबला गांव में सड़क सुविधा ना होने से एक बीमार बच्ची को ग्रामीणों ने चारपाई पर लेटाकर मुश्किलों का सामना करने के बाद अस्पताल पहुंचाया. सड़क सुविधा ना होने के चलते एम्बुलेंस सेवा गांव तक नहीं पहुंच पाती है. जिससे ग्रामीणों को इमरजेंसी के दौरान मरीज को कंधे पर उठाकर कई किलोमीटर पैदल चलकर अस्पताल पहुंचाना पड़ता है.
वहीं, स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव तक सड़क सुविधा ना होने के चलते उन्हें आए दिन इस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. दिन प्रतिदिन यह समस्या बड़ी हो जाती है. ग्रामीणों ने बताया कि बरसात के दिनों में सीर खड्ड पानी से भर जाता है, ऐसे में मरीज को खड्ड पार करवाने में और भी मुश्किल हो जाती है.
दाबला गांव के ग्रामीण हेमराज ने बताया कि गांव तक सड़क ना होने के चलते उनकी कैंसर पीड़ित बुजुर्ग माता को भी ऐसे ही चारपाई पर अस्पताल ले जाया गया था, लेकिन उनकी मां ने अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया. हेमराज ने कहा कि अगर सड़क सुविधा होती तो समय पर उनका इलाज हो सकता था. वहीं, स्थानीय ग्रामीणों ने सरकार और प्रशासन से जल्द ही सड़क सुविधा मुहैया करवाने की मांग की है.
इस समस्या के बारे में डीसी बिलासपुर राजेश्वर गोयल का कहना है कि दाबला गांव तक लोगों के आने जाने के लिए पक्के रास्ते की व्यवस्था की गई है, लेकिन एम्बुलेंस रोड ना होने के चलते ग्रामीणों को इस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जिसके समाधान के लिए जल्द ही पंचायत स्तर पर बातचीत कर गांव तक सड़क सुविधा पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा.
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