बिलासपुर: मरीज से मिलने आए तीमारदार को अब कोरोना रिपोर्ट लाना अस्पताल प्रशासन ने अनिवार्य कर दिया है. बिना कोरोना रिपोर्ट के मरीज से मिलने आए किसी भी तीमारदार का अस्पताल में प्रवेश वर्जित है. खबर की पुष्टि बिलासपुर चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर एनके भारद्वाज ने की है.
इलाज के लिए आए व्यक्ति का पहले होगा कोरोना टेस्ट
एमएस ने बताया कि कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते यह निर्णय लिया गया है. अब अगर किसी भी बीमारी से ग्रसित मरीज जिला अस्पताल में आता है तो उसका प्रथम इलाज में कोरोना टेस्ट किया जाएगा. उसके साथ ही उक्त मरीज का इलाज अन्य बीमारी के लिए होगा. अस्पताल प्रशासन का कहना है कि अस्पताल के पास रैट उपकरण से किए जा रहे कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट 10 मिनट के भीतर आ रही है. अस्पताल प्रशासन के पास टेस्ट करने के लिए प्रयाप्त मात्रा में कीट भी उपलब्ध है. उन्होंने बताया कि अब अस्पताल में कोरोना टेस्ट की संख्या भी बढ़ा दी गई है. सभी चिकित्सकों को बतौर आदेश जारी किए गए हैं कि कोरोना टेस्ट किए बिना किसी भी मरीज का इलाज न किया जाए.
कोरोना निगेटिव रिपोर्ट के बाद ही तीमारदार को मिलेगी एंट्री
अधिकारियों का मानना है कि कोरोना को इग्नोर करके अन्य बीमारी का इलाज करना भी सही नहीं है. ऐसे में बीमारी के साथ कोरोना रिपोर्ट की जांच करना भी प्रथम प्राथमिकता मानी जा रही है. बिलासपुर अस्पताल के प्रत्येक गेट पर सिक्योरिटी गार्ड को कोरोना रिपोर्ट की जांच करने के आदेश जारी किए गए हैं.
गार्ड आने वाले हर व्यक्ति का रिकार्ड रख कर रहे हैं. साथ ही तीमारदार को बिना कोरोना रिपोर्ट के वार्ड में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. अगर बिना रिपोर्ट के कोई तीमारदार मरीज के पास पहुंच जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई भी अमल में लाई जाएगी.
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