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ये रामलीला कुछ खास है, यहां हिंदू-मुस्लिम से लेकर सभी धर्मों के लोग निभाते हैं हर छोटा-बड़ा किरदार - बिलासपुर राम नाटक समिति

बिलासपुर में सभी धर्मों के लोग रामलीला में निभाते हैं मुख्य किरदार, मंच से खूब लगते हैं जय श्री राम के जयघोष. बिलासपुर राम नाटक समिति इस बार 107वें वर्षो में प्रवेश करने जा रही है जो कि उत्तर भारत की सबसे पुरानी रामलीला में से एक मानी जाती है.

बिलासपुर राम नाटक समिति 107 वर्षो में कर रही प्रवेश
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Published : Sep 28, 2019, 9:11 PM IST

Updated : Sep 28, 2019, 11:52 PM IST

बिलासपुर: 107 वर्षों से बिलासपुर में हर साल बड़े ही उत्साह से रामलीला का मंचन होता है. खास बात ये है कि इस रामलीला के मंचन में हिंदू, मुस्लिम, सिख, और ईसाई धर्म के लोग शामिल होते हैं. दर्शक दीर्घा में भी एक चौथाई मुस्लिम बिरादरी के लोग होते हैं. रामलीला का दृश्य खत्म होने पर सभी मिलकर जय श्रीराम के नारे लगाते हैं.

रामलीला के इस मंच को बिलासपुर के अमजद हुसैन जिनेश शाह के नाम से भी जाना जाता रहा है. अमजद हुसैन काफी समय तक रामलीला से जुड़े रहे. बिलासपुर के मोहम्मद यूनुस 2 वर्षों तक रामलीला में भरत का किरदार निभा चुके हैं. महबूब खान ने वेदवती, केकेई, नइम ने महोदर, अहिरावण, कुबेर और अंगद का किरदार, हुसैन अली ने कुंभकरण, साजिद खान ने मेघनाद और यम, इमरान ताड़का का किरदार रामलीला के मंच पर कर चुके हैं.

वीडियो.

उस्मान शेख इस रामलीला कमेटी की शान हैं. ये हर छोटे किरदार में फिट बैठे जाते हैं. उस्मान श्रवण की माता ज्ञानवती, मंत्रा, शबरी, सरूपनखा और सुलोचना के किरदार निभा चुके हैं. वहीं, देवगन शब्बीर कुरैशी सहित अन्य कई ऐसे नाम हैं जिन्हें आपसी प्रेम और भाईचारे की मिसाल पेश करने के लिए जाना जाता है. सिख समुदाय से सुरजीत सिंह को रावण और तेजपाल नत्था को राम के किरदार के लिए आज भी याद किया जाता है. पर्दे पर काम करने वालों के अलावा शकील मोहम्मद के साथ अन्य मुस्लिम सदस्य एक महीना पहले री रामलीला की तैयारियों में जुट जाते हैं.

रामलीला की लिखित स्क्रिप्ट में पूर्णतया शुद्ध हिंदी का प्रयोग होता है. सादृश्य में विभाजित इस कला संग्रह में स्वयं लिखित 20 भजन हैं जो अत्यंत धार्मिक और दर्शकों को प्रभावित करने वाले हैं. राम नाटक समिति मंच के सज्जा प्रभारी संजय कंडेरा ने बताया कि इस बार रामलीला का मंचन 29 अक्टूबर से शुरू होगा. रामलीला में सभी धर्मों के लोग एक साथ मिलकर काम करते हैं.

बिलासपुर: 107 वर्षों से बिलासपुर में हर साल बड़े ही उत्साह से रामलीला का मंचन होता है. खास बात ये है कि इस रामलीला के मंचन में हिंदू, मुस्लिम, सिख, और ईसाई धर्म के लोग शामिल होते हैं. दर्शक दीर्घा में भी एक चौथाई मुस्लिम बिरादरी के लोग होते हैं. रामलीला का दृश्य खत्म होने पर सभी मिलकर जय श्रीराम के नारे लगाते हैं.

रामलीला के इस मंच को बिलासपुर के अमजद हुसैन जिनेश शाह के नाम से भी जाना जाता रहा है. अमजद हुसैन काफी समय तक रामलीला से जुड़े रहे. बिलासपुर के मोहम्मद यूनुस 2 वर्षों तक रामलीला में भरत का किरदार निभा चुके हैं. महबूब खान ने वेदवती, केकेई, नइम ने महोदर, अहिरावण, कुबेर और अंगद का किरदार, हुसैन अली ने कुंभकरण, साजिद खान ने मेघनाद और यम, इमरान ताड़का का किरदार रामलीला के मंच पर कर चुके हैं.

वीडियो.

उस्मान शेख इस रामलीला कमेटी की शान हैं. ये हर छोटे किरदार में फिट बैठे जाते हैं. उस्मान श्रवण की माता ज्ञानवती, मंत्रा, शबरी, सरूपनखा और सुलोचना के किरदार निभा चुके हैं. वहीं, देवगन शब्बीर कुरैशी सहित अन्य कई ऐसे नाम हैं जिन्हें आपसी प्रेम और भाईचारे की मिसाल पेश करने के लिए जाना जाता है. सिख समुदाय से सुरजीत सिंह को रावण और तेजपाल नत्था को राम के किरदार के लिए आज भी याद किया जाता है. पर्दे पर काम करने वालों के अलावा शकील मोहम्मद के साथ अन्य मुस्लिम सदस्य एक महीना पहले री रामलीला की तैयारियों में जुट जाते हैं.

रामलीला की लिखित स्क्रिप्ट में पूर्णतया शुद्ध हिंदी का प्रयोग होता है. सादृश्य में विभाजित इस कला संग्रह में स्वयं लिखित 20 भजन हैं जो अत्यंत धार्मिक और दर्शकों को प्रभावित करने वाले हैं. राम नाटक समिति मंच के सज्जा प्रभारी संजय कंडेरा ने बताया कि इस बार रामलीला का मंचन 29 अक्टूबर से शुरू होगा. रामलीला में सभी धर्मों के लोग एक साथ मिलकर काम करते हैं.

Intro:
हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई बिलासपुर रामलीला में निभाते है मुख्य किरदार
-राम नाटक समिति बिलासपुर 107 वर्षो में कर रही प्रवेश
- शुद्ध हिंदी में लिखी गई है रामनाटक की स्क्रिप्ट


यहां की ऐतिहासिक रामलीला रामायण काल को तो जीवंत करती ही है, धार्मिक सौहार्द की मिसाल भी है। बिलासपुर में 107 वर्ष से हर साल उत्साह पूर्वक रामलीला का मंचन होता है। दिलचस्प है कि रामलीला के मंचन में हिंदू, मुस्लिम, सिख, और ईसाई धर्म के लोग शामिल होते हैं। वही दर्शक दीर्घा में भी एक चौथाई मुस्लिम बिरादरी के लोग होते हैं। रामलीला का दृश्य खत्म होने पर सभी मिलकर जय श्रीराम के नारे लगाते हैं। बिलासपुर के अमजद हुसैन जिनेश शाह जी के नाम से भी जाना जाता रहा है, काफी समय तक रामलीला से जुड़े रहे हैं। बिलासपुर के ही मोहम्मद यूनुस 2 वर्षों तक भारत का किरदार निभा चुके है। महबूब खान ने वेदवती, केकेई, नाइम ने महोदर, अहिरावण, कुबेर और अंगद का किरदार, हुसैन अली ने कुंभकरण, साजिद खान ने मेघनाथ व यम, इमरान ताड़का का रोल करते हैं।



Body:उस्मान शेख तो ऐसे हैं जो हर छोटे किरदार में फिट बैठे जाते हैं। इस मुस्लिम युवक ने श्रवण की माता ज्ञानवती, मंत्रा, शबरी, सरूपनखा और सुलोचना के किरदार निभाए हैं। वही देवगन शब्बीर कुरैशी सहित अन्य कई ऐसे नाम है जिन्हें आपसी प्रेम और भाईचारे की मिसाल पेश करने के लिए जाना जाता है। सिख समुदाय से सुरजीत सिंह को रावण और तेजपाल नत्था को राम के किरदार के लिए आज भी याद किया जाता है। पर्दे पर काम करने वालों के अलावा शकील मोहम्मद सहित अन्य मुस्लिम सदस्य राम नाटक को संपूर्ण करने के लिए एक महीना पहले से ही अहम रोल अदा करते हैं।

शुद्ध हिंदी में होती है स्क्रिप्ट
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रामलीला में बुजुर्ग करणधारों को लिखित स्क्रिप्ट में पूर्णतया शुद्ध हिंदी का प्रयोग होता है। सादृश्य में विभाजित इस कला संग्रह में स्वयं लिखित और स्वर्णबध किए 20 भजन है जो अत्यंत धार्मिक और दर्शकों को प्रभावित करने वाले हैं।

29 से शुरू होगी रामलीला
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राम नाटक समिति के मंच सज्जा प्रभारी संजय कंडेरा ने बताया कि इस बार रामलीला का मंचन 29 अक्टूबर से शुरू होगा। रामलीला में सभी धर्मों के लोग एक साथ मिलकर काम करते।

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Conclusion:बाइट...
राम नाटक समिति बिलासपुर मंच सज्जा प्रभारी संजय कंडेरा ने कहां की बिलासपुर की रामलीला में सभी धर्म के लोग मिलकर यहां पर रोल अदा कर रहे है। 29 सितंबर से यहां पर रामलीला शुरू हो रही है।
Last Updated : Sep 28, 2019, 11:52 PM IST
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