बिलासपुर: एसीसी सीमेंट फैक्टरी बरमाणा की तालाबंदी खुलने के बाद अब सबसे पहले उन्हीं 322 गाड़ियों को सीमेंट-क्लिंकर ढुलाई के लिए प्राथमिकता मिलेगी जिनका नंबर 14 दिसंबर को ढुलाई के लिए आया था. फैक्टरी बंद होने के साथ ही गाड़ियां भी लोडिंग के लिए प्रवेश नहीं कर सकी थी. फैक्टरी खुलने पर मंगलवार को सीमेंट व क्लिंकर ढुलाई के लिए सबसे पहले पूजा अर्चना के तौर पर दो गाड़ियां लोडिंग के लिए गई.
तालाबंदी के बाद तय स्टेशनों के लिए नहीं जा सकी थी गाड़ियां: बीडीटीएस बरमाणा के कार्यालय सचिव नंदलाल कौंडल के अनुसार 14 दिसंबर को जिस दिन फैक्टरी पर तालाबंदी हुई उस दिन की डिमांड के तहत सीमेंट व क्लिंकर ढुलाई के लिए 322 गाड़ियों का नंबर आया था. मगर फैक्टरी बंद होने से सभी गाड़ियां डिमांड के तहत निर्धारित स्टेशनों के लिए सीमेंट क्लिंकर लेकर नहीं जा सकी थी. अब जबकि फैक्टरी शुरू हो गई है तो जो गाड़ियां 14 दिसंबर को कटी थी उन्हीं को पहले डिमांड के तहत सीमेंट क्लिंकर ढुलाई के लिए भेजा जाएगा. कौंडल ने बताया कि उस दिन 15 गाड़ियां नंदपुर डंप, 7 खानपुर खुई, 50 नालागढ़, 20 रूपनगर, 10 नालागढ़ (जीयू कंपनी) के लिए और लोकल डंपों के तहत 9 बग्गी, 7 धापण, 17 फतेहपुर हमीरपुर और 9 उखड़ी के लिए सीमेंट-क्लिंकर लोड होकर जानी थी.
सीमेंट प्रोडक्शन शुरू होने में लगेगा थोड़ा समय: एसीसी सीमेंट कंपनी शुरू करने के लिए अडानी समूह की सहमति बन चुकी है लेकिन प्रोडक्शन शुरू होने में अभी समय लगेगा, क्योंकि सीमेंट फैक्टरी में क्लिंकर गर्म होने के लिए 72 घंटे का समय लगता है. क्लिंकर गर्म होने के बाद ही सीमेंट की प्रोडक्शन शुरू होगी. इस बीच जो क्लिंकर और सीमेंट का स्टॉक उपलब्ध है सबसे पहले वह उठेगा. वहीं, कंपनी में ठेके पर नियुक्त कर्मियों के भी बरमाणा पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है. बरमाणा में हालात सामान्य होने के लिए हफ्ता भर लग जाएगा.
बीडीटीएस-पूर्व सैनिक यूनियन बरमाणा को 65 करोड़ का नुकसान: एसीसी सीमेंट कंपनी बरमाणा में दो महीने से अधिक समय तक की तालाबंदी ने ट्रक ऑपरेटरों की कमर तोड़कर रख दी है. हर दिन बीडीटीएस को लगभग 60 लाख रुपए का नुकसान हुआ है और अब तक नुकसान का कुल आंकड़ा 40 करोड़ रुपए पार हो चुका है. इसी तरह पूर्व सैनिक यूनियन बरमाणा को भी 20 से 25 करोड़ के नुकसान का अनुमान हुआ है. इस लिहाज से बरमाणा में बीडीटीएस व पूवै फौजी यूनियन से जुड़े ऑपरेटरों को 65 करोड़ से अधिक नुकसान का आकलन किया जा रहा है. इसके अलावा राज्य सरकार को भी करोड़ों का नुकसान हुआ है. वहीं, पेट्रोल पंपों की सेल भी घटकर पच्चीस फीसदी रह गई थी और ऑपरेटरों की करोड़ों की उधारी से पंप संचालक परेशान थे.
बता दें कि शिमला में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की मध्यस्थता में आयोजित बैठक में अडानी समूह और बरमाणा व दाड़लाघाट यूनियनों के बीच ढुलाई रेट को लेकर सहमति बनी है. जिसके तहत मल्टी एक्सल गाड़ियों के लिए ढुलाई रेट 9.30 रुपए प्रति टन प्रतिकिलोमीटर और सिंगल एक्सल गाड़ियों के लिए ढुलाई रेट 10.30 रुपए निर्धारित किया गया है. बताया जा रहा है कि अडानी समूह व बरमाणा यूनियन के बीच 10 हजार मीट्रिक टन प्रतिदिन सीमेंट व क्लिंकर ढुलाई को लेकर सहमति बनी है, जिसका बाकायदा मंगलवार को कंपनी व यूनियन के बीच एग्रीमेंट किया गया है. पिछले 68 दिनों से फैक्टरी प्रबंधन व ट्रक ऑपरेटरों के बीच सीमेंट विवाद चल रहा है. ट्रक ऑपरेटरों ने बरमाणा में पक्का मोर्चा आंदोलन भी शुरू कर रखा था जिसमें एक दिन एक वार्ड से ट्रक ऑपरेटर शामिल हुए थे.
बिलासपुर के उपायुक्त पंकज राय ने कई दौर की वार्ताएं ट्रक ऑपरेटर यूनियन और अडानी समूह के साथ की और समझौता करवाने के लिए हरसंभव प्रयास किए मगर बात नहीं बन रही थी. पिछले दिन शिमला में हुई मीटिंग से पहले अंतिम दौर की वार्ता बिलासपुर में उपायुक्त कार्यालय के बचत भवन में हुई थी, जिसमें उपायुक्त पंकज राय ने अडानी समूह व ऑपरेटरों के बीच सहमति बनाने की कोशिश की, मगर बात न बन सकी. शिमला में हुई मीटिंग में दोनों पक्षों में सहमति बनी और इसी के साथ फैक्टरियों में प्रोडक्शन शुरू करने का रास्ता भी साफ हो गया. इससे दो महीने से अधिक समय से चल रहे ट्रक ऑपरेटरों का आंदोलन खत्म हुआ और ऑपरेटरों को एक बड़ी राहत मिली है.
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